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मध्य प्रदेश दूरदर्शन का समाचार एकांश : जात ही पूछो साधू की…

मध्य प्रदेश दूरदर्शन के समाचार एकांश में जात और अर्थ (धन) को लेकर उठापटक मची हुई है. पुराने लोगों से काम लेना बन्द कर पैसा लेकर नये लोगों से काम लेना शुरु कर दिया गया है. वही जात के आधार पर लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. डेस्क पर काम करने वाले 5 लोगो को तो बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. गौरतलब है कि सत्ता सम्भलने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दूरदर्शन को सशक्त करने की पहल शुरु की थी. अपने विदेश दौर के समय वे सिर्फ दूरदर्शन की टीम को ही साथ लेकर गये थे. इतना ही उन्होनें अपने सरकार के साथियों और अधिकारियों को निर्देश भी दिया था कि कोई भी योजना या खबर पहले दूरदर्शन को दे उसके बाद निजी चेनल को.

<p>मध्य प्रदेश दूरदर्शन के समाचार एकांश में जात और अर्थ (धन) को लेकर उठापटक मची हुई है. पुराने लोगों से काम लेना बन्द कर पैसा लेकर नये लोगों से काम लेना शुरु कर दिया गया है. वही जात के आधार पर लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. डेस्क पर काम करने वाले 5 लोगो को तो बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. गौरतलब है कि सत्ता सम्भलने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दूरदर्शन को सशक्त करने की पहल शुरु की थी. अपने विदेश दौर के समय वे सिर्फ दूरदर्शन की टीम को ही साथ लेकर गये थे. इतना ही उन्होनें अपने सरकार के साथियों और अधिकारियों को निर्देश भी दिया था कि कोई भी योजना या खबर पहले दूरदर्शन को दे उसके बाद निजी चेनल को.</p>

मध्य प्रदेश दूरदर्शन के समाचार एकांश में जात और अर्थ (धन) को लेकर उठापटक मची हुई है. पुराने लोगों से काम लेना बन्द कर पैसा लेकर नये लोगों से काम लेना शुरु कर दिया गया है. वही जात के आधार पर लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. डेस्क पर काम करने वाले 5 लोगो को तो बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. गौरतलब है कि सत्ता सम्भलने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दूरदर्शन को सशक्त करने की पहल शुरु की थी. अपने विदेश दौर के समय वे सिर्फ दूरदर्शन की टीम को ही साथ लेकर गये थे. इतना ही उन्होनें अपने सरकार के साथियों और अधिकारियों को निर्देश भी दिया था कि कोई भी योजना या खबर पहले दूरदर्शन को दे उसके बाद निजी चेनल को.

इसके पीछे मंशा थी कि लम्बे समय से एक पुराने ढर्रे में चल रहे दूरदर्शन की छवि सुधरे. कुछ प्रदेशों में इसका असर भी दिखा. जिसमें मध्यप्रदेश भी एक था. समाचार एकांश में ऐसे अनुभवी अधिकारियों को भेज गया जिन्होनें रुटिन से हटकर काम किया और ग्राफ में इजाफा किया. लेकिन अधिकारी के बदलते ही जिनके हाथों में शाक्ति आई उन्होनें नया खेल करना शुरु कर दिया. 100 से ज्यादा स्ट्रींगरों में से कुछ को छोडकर अधिकांश पर जात के नाम पर काम लेना बन्द कर दिया गया. वही दूर दराज के स्ट्रींगरों को साफ शब्दों में खबर ना भेजने और अपनी सेवाएं समाप्त माने की दो टूक बात कहाकर उन्हें दरकिनार कर दिया गया.

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समाचार एकांश में एक अधिकारी जिनकी नौकरी का समय कुछ माह ही बचे है उन्होनें तो पुराने स्ट्रींगरों के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया है. जो भी स्ट्रींगर उनसे मिलने गया उसे दुत्कार कर भाग दिया और साफ हिदायत दे दी कि आइन्दा यहाँ ना आये. उन्होनें तो प्रदेश में अपने लोगों को समाचार भेजने का आदेश दे कर उन्हें विश्वस्त कर दिया है कि नये इम्पैनल मेंट में आपको ले लिया जायेगा. उज्जैन में तो किसी मनोज पौराणिक का नाम समाने आया है.

वहीं इन्दौर, झाबुआ, धार, जबलपुर, ग्वालियर आदि स्थानों पर भी लोगों को खडा कर दिया गया है. सूत्रों का तो कहना है कि बकायदा एक निश्चित रकम भी नये लोगों से ली जा रही है. वही हाल में ही जूनियर अधिकारी से पदोन्नत होकर डिप्टी डायरेक्टर हुए अधिकारी नये खेल कर रहे है. उन्होनें तो दिल्ली एक पत्र भेजकर अपनी जात और लिंग का हवाला देते हुए फ्री हेन्ड देने की बात कही है.इन अधिकारी का मानना है कि अभी तक जो स्ट्रींगर है उनमें सवर्ण का वर्चस्व है. इसलिए अब उन्हें बाहर कर अपनी जात के लोगों को शामिल करेंगे.

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जात और धन के इस खेल में सारे नियमों को ताक में रख दिया गया है. भोपाल की डेक्स में काम करने वाले पांच लोगों को जो सवर्ण वर्ग से उन्हें हटा दिया गया है. वही समाचार बनाने की जिम्मेदारी जिस व्यक्ति पर है उसे भी हटाने की कोशिश की जा रही है. अधिकारियों के इस खेल में समाचार एकांश में समाचार नदारद हो गया है. स्थिति यहाँ है कि बुलेटिन ड्राय चल रही है.

भोपाल से एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. Rupesh Jain

    January 10, 2016 at 10:30 am

    दूरदर्शन भोपाल के समाचार एकांश मै जाति और धन के आधार पर कार्य आवंटन के मुद्दे पर भड़ास ४ मीडिया जैसें प्रतिष्ठित पोर्टल को भ्रामक जानकारिया उपलब्द्ध कराइ गई है. यह झूठा प्रोपोगंडा यहाँ लम्बे समय तक पदस्थ रहे एक पूर्व अधिकारी द्वारा कराया जा रहा है ताकि वह पुनः अपनी पदस्थापना करा सके. निदेशक स्तर का यह अधिकारी पहले भी भ्रस्टाचार, महिला उत्पीड़न, स्ट्रिंगर्स से पैसा वसूली, कैजुअल समाचार वचाको,संपादको और डेटा एंट्री ऑपरेटरों से पैसा वसूलीं और मातहतों के ट्रांसफर के लिए बदनाम रहा है. अपनी नौकरी का अधिकाँश समय भोपाल मै गुजरने वाला यह अधिकारी सूचना प्रसारण मंत्रालय के एक अंडर सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी से मिलीभगत कर नेपाल सवांदाता की पोस्टिंग को अधूरी छोड़कर फिलहाल आकाशवाणी भोपाल के समाचार प्रमुख के पद पर कार्यरत है. चूंकि दूरदर्शन समाचार मै प्रसारित होने वाली प्रत्येक स्टोरी से इसे कमीशन की राशि मिलती थी इसलिए यह फिर से यहाँ का अतिरिक्त प्रभार लेकर या पूर्णकालिक पोस्टिंग पर आना चाहता है. आदरणीय संपादक जी को बताना चाहता हूँ की भोपाल समाचार एकांश की बागडोर इस समय उपनिदेशक स्तर के वरिष्ठ अधिकारी के हाथो मै है जिन्हे न केवल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बल्कि प्रिंट और मंत्रालय की अन्य इकाइयों मै कार्य का दीर्घ अनुभव है. हाल ही मै पदोन्नत होकर आई एक अन्य उपनिदेशक अखिल भारतीय सेवा की स्वच्छ छवि वाली, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी है. समाचार बुलेटिन को रोचक, प्रभावपूर्ण, प्रतिस्पर्धी और दर्शको के अनुकूल बनाने के लिए कुछ स्ट्रिंगर्स की स्टोरीज को गुणवत्ता और अनुपयोगिता के आधार पर नाकारा भी जाता है लकिन इसका यह अर्थ नहीं है की धन या जाति के आधार पर ऐसा किया जा रहा है . पूर्व मै दिल्ली के न्यूज़ रूम मै काम कर चूका समाचार संपादन से जुड़ा अधिकारी भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से कर रहा है. मेरा उद्देश आपके सम्मानित पोर्टल के माध्यम से सच्चाई सामने लाना था सो मैंने किया , शेष हमारे सुधि पाठक अपने फीडबैक के माध्यम से अवगत करा सकते है.
    आपका
    एक अदना सा मीडियाकर्मी

  2. sharma

    January 12, 2016 at 12:53 am

    महोदय . किसी भी मेल और अफवाह को ज्यों का त्यों छाप देना पत्रकारिता के बुनियादी नियमों का उल्लंघन है। मानता हूं इंटरनेट पत्रकारिता पर किसी प्रकार की लगाम नहीं है। लेकिन किसी भी खबर की तह में जाकर पुष्टि करना भी आवश्यक है। प्रादेशिक समाचार एकांश में काम करने वाले व्यक्ति बिना किसी जाति भेद और धन के प्रलोभन के कार्य कर रहे हैं। यहां पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है। वीडियो एडिटिंग में सात लोग हैं ही नहीं। कहां से निकाल देंगे। और स्ट्रिंगर्स की खबरें बाकायदा आ रही है बकायदा प्रसारित हो रही हैं। किसी अधिकारी ने किसी स्ट्रिंगर्स के साथ कभी बदतमीजी नहीं की है। और हां स्ट्रिंगर्स का अनुबध दो साल के लिए होता है वो कभी खुद को स्थायी न समझें. हकीकत मेैं भी जानता हूं और आप भी यह सुपारी पत्रकारिता करने की कोशिश है जोकि दूरदर्शन के समाचार एकांश में कतई नहीं चलने वाली है. एक बेहद खुशनुमा माहौल में यहां पर काम हो रहा है। कृपया आलत फालतू खबरों को बिना तस्दीक किए पोर्टल में जगह देना अपनी क्रेडिबलिटी खराब करना है। आशा है आप संजीदा होकर इस विषय पर ध्यान देंगे।

  3. Pathak

    January 11, 2016 at 12:04 am

    यह विशुद्द बेतुकी बातें है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दूरदर्शन भोपाल में कार्य सुचारू रूप से चल रहा है। कहीं किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है। डेस्क पर काम करने वाले किसी व्यक्ति को नहीं निकाला गया है। और हां सवर्ण अवर्ण कुवर्ण जैसी प्रथाएं अत्यंत पुरानी हैं। यहां पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है। यहां एक सवर्ण रिपोर्टर पेरिस कवरेज के लिए जा चुका है वहीं सवर्ण कॉपी एडिटर डेस्क की सारी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। तीनो रिपोर्टर सवर्ण हैं जो न केवल स्थानीय बल्कि डीडी न्यूज के लिए बेहतरीन रिपोर्टिंग कर रहे हैं। प्रादेशिक समाचार एकांश में काम करने वाले सभी लोग जाति भेद धर्म लिंग जैसे भेदभाव से परे हटकर काम करते हैं। भड़ास से विनम्र गुजारिश है कि अपनी क्रेडेबलिटी बनाए रखे और केवल किसी के मेल के आधार पर खबरों का प्रकाशन न करे

  4. kumble

    January 11, 2016 at 12:12 am

    यशवंतजी आपकी वेबसाइट पर हम पत्रकारों के सरोकार की खबरें पढ़ने में गहरी रुचि रखते हैं। इस क्षेत्र में आपकी विश्वसनीयता है। लेकिन किसी भी ई मेल को खबर के तौर पर प्रकाशित कर देना पत्रकारिता के मूलभूत नियम का उल्लंघन है। हम आपको बताना चाहेंगे कि अधिकारी किसी स्ट्रिंगर को नहीं भगाते हैं न ही किसी के साथ बदतमीजी करते हैं।

  5. manu dev

    January 11, 2016 at 12:19 am

    …. deputy director who is targeted in this article also has swarim jati blood… her mother is brahmin…. how can she discriminate against swarnim jatis…. som frustrated journo has written this whose corruption was probably stopped by her… keep it up deputy director and frustrate the frustrated.. lol

  6. akash

    January 12, 2016 at 12:56 am

    मैने आपकी खबर पड़ी बड़ा आश्चर्य हुआ…..मैं थोड़ी देर मुस्कुराया फिर कुछ सोचते अपने संस्थान के बारे में सोचने लगा की मैरी जानकारी में कहीं कोई कमी तो नहीं है… वैसे में आपको बताना चाहुंगा की मैं पिछले 2 वर्ष से दूरदर्शन भोपाल में कार्यरत हूं मैने कभी आरएनयू भोपाल में 7 वीडियों एडिटर को कार्य करते हुए नहीं देखा…और जहां तक जाति आधारित भेदभाव की बात है… में खुद sc में आता हूं आजतक किसी भी सहकर्मी या अधिकारी ने मुझ से जातिगत भेदभाव नहीं किया है। कृपया पत्रकारिता की गरिमा को बनाए रखते हुए बिना किसी तथ्य के आप इस तरह की खबरों को अपने पोर्टल पर जगह न दें….. वरना आपके पोर्टल की विश्वष्नीयता पर प्रभाव पड़ेगा।

  7. ek stringer

    January 12, 2016 at 1:04 am

    खबर गलत तथ्यों पर आधारित है,वास्तविकता से कोसो दूर है।

  8. Kanha

    January 12, 2016 at 1:32 am

    kabकब तक हकीकत से मुँह छुपाओगी जानम पीआईबी मे भी सुर्खिया बटोरी खलघाट मनावर के वो सम्मेलन…अपनी ईमानदारी के किस्से छपवा रही हो पाजेटिव ब्लड दिखा रही हो । जितनी तन की काली हो उतनी मन. ..काली जय महाकाली ।

  9. Kanha

    January 12, 2016 at 1:37 am

    कल बौने बदशाह मिले अतिरिक्त हँसते हुए … कद मे और दबे हुए से खीसे निपोरते… पूजा के कारण कर ली शांति भंग हो गया बुढापा रंगीन । यशवंत भाई तुस्सी ग्रेट हो जँहा हम. अपने मन.की बात कर पा रहे है ।

  10. Raj gopal aacharya

    January 14, 2016 at 10:50 am

    मध्यप्रदेष ें पचास जिलो में करीब 100से भी अधिक स्ट्रिंगर दूरदर्षन के लिये समाचार प्रेषण का कार्य करते है। जो पूरी लगन से संपूर्ण प्रदेष में समाचार कव्हरेज कर प्रेषण कर रहे है।
    यह कि दूरदर्षन केन्द्र भोपाल मध्यप्रदेष के समाचार विभाग द्वारा इन स्ट्रिंगर्स को काफी समय से स्टोरी के भुगतान में बिलम्ब किया जाता है। तथा समय पर भुगतान नही हो पाता । साथ ही अधिक स्ट्रिंगर होने के कारण प्र्याप्त स्टोरी भी नही मिल पाती। एक स्ट्रिंगर मात्र चार से पाॅच स्टोरी ही कर पाता है। यह कि इस साल 2015 के अंत में अधिमान्यता के लिये जव स्ट्रिंगर्स ने भोपाल में नवीनीकरण हेतु संपर्क किया तो एन्हें बताया गया कि नऐ स्ट्रिंगर्स की पैनल बनाना है। इसके बाद ही अधिमान्यता नवीनीकरण की अनंषंसा की जायेगी। मै आपको बताना चाहता हूॅ कि नई पेनल बनाने के नाम पर स्ट्रिंगर्स की और भर्ती की जाती है। जिनसे राषि लेकर नियुक्त किया जाता है। जिससे दूरदर्षन केन्द्र की काफी बदनामी पत्रकारिता के क्षैत्र में होती है।हाल ही में यहाॅ से रिटायर होने वाले एक उपनिदेषक समाचार नई पेनल बनाने की तैयारी कर रहे हे।

  11. Raj gopal aacharya

    January 14, 2016 at 10:53 am

    दूरदर्षन केन्द्र समय पर भुगतान नही हो पाता । साथ ही अधिक स्ट्रिंगर होने के कारण प्र्याप्त स्टोरी भी नही मिल पाती। एक स्ट्रिंगर मात्र चार से पाॅच स्टोरी ही कर पाता है।
    अधिमान्यता के लिये जव स्ट्रिंगर्स ने भोपाल में नवीनीकरण हेतु संपर्क किया तो एन्हें बताया गया कि नऐ स्ट्रिंगर्स की पैनल बनाना है। इसके बाद ही अधिमान्यता नवीनीकरण की अनंषंसा की जायेगी। महादय मै आपको यह बताना चाहता हूॅ कि नई पेनल बनाने के नाम पर स्ट्रिंगर्स की और भर्ती की जाती है। जिनसे राषि लेकर नियुक्त किया जाता है। जिससे दूरदर्षन केन्द्र की काफी बदनामी पत्रकारिता के क्षैत्र में होती है।हाल ही में यहाॅ से रिटायर होने वाले एक उपनिदेषक समाचार नई पेनल बनाने की तैयारी कर रहे हे।

  12. Raj gopal aacharya

    January 14, 2016 at 10:55 am

    दूरदर्षन केन्द्र मध्यप्रदेष पचास जिलो में करीब 100से भी अधिक स्ट्रिंगर दूरदर्षन के लिये समाचार प्रेषण का कार्य करते है। जो पूरी लगन से संपूर्ण प्रदेष में समाचार कव्हरेज कर प्रेषण कर रहे है। दूरदर्षन केन्द्र भोपाल मध्यप्रदेष के समाचार विभाग द्वारा इन स्ट्रिंगर्स को काफी समय से स्टोरी के भुगतान में बिलम्ब किया जाता है। तथा समय पर भुगतान नही हो पाता । इस साल 2015 के अंत में अधिमान्यता के लिये जव स्ट्रिंगर्स ने भोपाल में नवीनीकरण हेतु संपर्क किया तो एन्हें बताया गया कि नऐ स्ट्रिंगर्स की पैनल बनाना है। इसके बाद ही अधिमान्यता नवीनीकरण की अनंषंसा की जायेगी। महादय मै आपको यह बताना चाहता हूॅ कि नई पेनल बनाने के नाम पर स्ट्रिंगर्स की और भर्ती की जाती है। जिनसे राषि लेकर नियुक्त किया जाता है। जिससे दूरदर्षन केन्द्र की काफी बदनामी पत्रकारिता के क्षैत्र में होती है।हाल ही में यहाॅ से रिटायर होने वाले एक उपनिदेषक समाचार नई पेनल बनाने की तैयारी कर रहे हे।

  13. अजहर

    January 20, 2016 at 5:46 am

    एक बात समझ से परे है कि बिन सबूत और तथ्यों के कैसे कोई भी अपनी औकात सोशल साईट पर निकाल सकता है। जितनी मेहनत यह सुर्खियां बटोरने के लिए की जा रही है उससे आधी भी चैनल को ऊँचा उठाने और अपने काम का स्तर उठाने के लिए किया गया होता तो ये नमूने भी और अच्छे पदों पर होते। पर इन्हें तो सरकारी दामाद बन फ्री की सैलरी उठाकर काम करने वालों में ऊँगली करने में जो ज्यादा मज़ा आता है। खैर….कान्हा जी ने शायद अपनी महिला मित्रों और रिश्तेदारों से नाता तोड़ लिया है तभी तो इतना अशिष्ट शब्दों का प्रयोग किया है। इनके घर में कही ये ऐसा तो नहीं करते ?

  14. RL

    January 20, 2016 at 6:52 am

    बड़ा अफ़सोस होता है यह देखकर कि दूरदर्शन जैसे सरकारी एवं विश्वसनीय संस्थान में अपनी खुन्नस निकालने के लिए लोग अंदर के ही कर्मचारी बिन आधार और सबूतों के बिना ही चरित्रहीन शब्दों के माध्यम से आरोपो को ख़बर बनाने पर आमादा है।

    जाति आधारित राजनीति करने वालों के शब्दों का चयन महिलाओं के प्रति इनकी सोच को क्लियर करता है। और यह भी सोचने पर मज़बूर करता है कि ये अपने ऑफिस ही क्या अपने आसपास रह रही महिलाओं के प्रति कैसी मंशा रखते है। भगवन इनकी बहन, बेटियों और बीवी की इनके संकुचित मानसिकता से रक्षा करें।

  15. Mohit Sen

    January 21, 2016 at 2:12 am

    Jinka khud ka koi str nahi, Jinke shabdo se jalan ki boo saf dikhai de rahi hai we mahol banane ke liye kisi par bhi ilzam lga rahe hai. Yha shabdo ka chayan dekhkar to subse pahle achchary ho rha hai ki ese log bhi Doordharshan me kam kar rahe hai aur sirf zahar failane ka kam kar rahe hai.

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