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सुख-दुख

नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन फुटेला

गणेश झा-


‘जनसत्ता’ के चंडीगढ़ संस्करण में शुरुआती टीम के हमारे साथी रहे पत्रकार जगमोहन फुटेला के अचानक निधन की खबर मिली है। चंडीगढ़ ‘जनसत्ता’ के ही साथी भूपेंद्र नागपाल जी के एक फेसबुक पोस्ट से स्तब्ध कर देनेवाला यह बहुत ही दुखद और हृदय विदारक समाचार मिला।

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जगमोहन भाई चंडीगढ़ जनसत्ता के मेरे अनन्य मित्रों में से थे। उनका इस तरह हमें छोड़कर चले जाना मेरे लिए पारिवारिक क्षति है। मेरे लिए यह बहुत बड़ा सदमा है। अक्सर फोन पर बात होती रहती थी। कल भी उनका प्रतिदिन का नियमित ह्वाट्सएप संदेश आया था। उन्होंने कभी जाहिर नहीं होने दिया कि वे इतने बीमार हैं। वे इतने बीमार थे भी नहीं कि अचानक हमें छोड़कर चले जाएं।

वैसे कुछ साल पहले ब्रेन स्ट्रोक के बाद से उनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा तो नहीं कहा जाए पर ठीक ठाक जीवन व्यतीत कर रहे थे। मेरी जानकारी के मुताबिक जगमोहन भाई अपने जज बेटे के साथ दिल्ली में रह रहे थे। मेरे बुरे दिनों में जगमोहन भाई ने बिना मांगे कई बार मेरी आर्थिक मदद की थी। मैं उनका ऋणी हूं।

कुछ साल पहले की बात है जब हरियाणा के गुड़गांव में एक न्यूज चैनल में उनको जिम्मेदारी का पद मिला था तब उन्होंने नौकरी के लिए मुझे बिहार के गांव से बुलवा लिया। उस समय मै बहुत दिक्कत में चल रहा था। फिर भी मैं गुड़गांव पहुंचा था।

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इंटरव्यू की औपचारिकताओं के बाद उन्होंने मुझे बिना मांगे अपनी जेब से आने-जाने का किराया दिया। चैनल शुरू होने में अभी देर थी इसलिए मुझे उस सभय वापस भेज दिया यह कहकर कि लगभग महीने भर बुलाउंगा। पर इसी बीज चैनल के प्रोमोटरों ने कुछ गड़बड़ की और चैनल नहीं आ पाया।

चैनल के प्रोमोटरो से उनका भी कुछ बिगाड़ हो गया और उन्होंने चैनल आने से पहले ही खुद को वहां से अलग कर लिया। पर प्रोमोटरों की दी हुई पीड़ा उनको कुछ अधिक नुकसान कर गई और इसके बाद से वे मानसिक तौर पर काफी व्यथित रहने लगे और उसी बीच उनको ब्रेन स्ट्रोक भी हुआ। लंबे समय तक पीड़ित रहने के बाद वे उबरे पर फिर पहले की तरह पूर्ण रूप से स्वस्थ और एक्टिव नहीं हो सके।

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मैं उनको नोएडा के वॉयस ऑफ इंडिया न्यूज चैनल में लेकर आया था और उनको चैनल का चंडीगढ़ ब्यूरो चीफ बनाया था। पर हमारे दुर्भाग्य से वह चैनल भी कुछ ही महीने चल पाया था। उस चैनल में हमारे मेहनत के कमाए हुए बहुत पैसे डूबे डूबे। जगमोहन भाई अपने चैनल में मुझे नौकरी देकर एक सच्चे और दयालु मित्र होने की अपनी जिम्मेदारी पूरी करना चाह रहे थे। पर नियति को यह मंजूर नहीं था। मैं उनके 11 हजार रुपए आज तक नहीं लौटा पाया हूं।

वे कहते थे कि जब होगा तब देना। बाद में मेरी स्थिति देकर कह दिया कि वो सब कुछ नहीं, कोई उधार बाकी नहीं। समझ लो मैंने आपको कोई पैसे नहीं दिए। ऐसा कहकर उन्होंने भले मुझे अपनी तरफ से उऋण कर दिया पर मैं तो अब हमेशा के लिए उनका कर्जदार बन गया हूँ।

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जगमोहन भाई आप हमेशा मेरे दिल में रहोगे। आप बहुत याद आओगे और हमेशा याद आओगे। आपको अश्रूपूर्ण विदाई मित्र। ईश्वर आपको अपने श्री चरणों में स्थान दें और भाभीजी, पुत्र अभिषेक और अन्य परिवारजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें । मित्र आपको मेरी विनम्र श्रद्धांजलि । ॐ शांति ।।

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1 Comment

1 Comment

  1. रवीन्द्र नाथ कौशिक

    March 31, 2023 at 12:12 am

    गणेश जी,आप भी बड़े दिल वाले हैं। वरना कौन किसका उपकार मानता है और वो भी उसके जाने के बाद। अच्छे लोगों को अच्छे मित्र कम ही मिलते हैं। भगवान आपको आपके मित्र वियोग को सहने का बल दे। ओऊम शांति शांति शांति ओऊम।

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