जम्मू कश्मीर में पिछले 11 वर्षो से संपादक रवींद्र श्रीवास्तव के खिलाफ रिटेनर और स्ट्रिंगर पहली बार खुल कर सामने आ गए। विगत 22 जून को जम्मू प्रेस क्लब में अमर उजाला के सभी हेड मौजूद थे। उनकी मीटिंग हुई। कार्यकारी संपादक उदय सिन्हा के अलावा मार्केंटिंग और सर्कुलेशन के हेड भी मीटिंग में थे। रेवेन्यू कम हो रहा है, इस पर पहली बार मीटिंग हुई। मुद्दा रेवेन्यू बढ़ाने का रहा लेकिन बैठक में स्ट्रिंगरों ने खुलेआम रवींद्र श्रीवास्तव के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि पिछले 12 साल से इनके उत्पीड़न के चलते सिर्फ हजार-दो हजार की सैलरी पा रहे हैं। सभी ने एक एक कर अपने पक्ष रखे। रवींद्र श्रीवास्तव तो क्या जवाब देते, सभी सीनियर्स भी स्थिति पर खामोश और अवाक रह गए। उदय सिन्हा बीच में नहीं आते तो मामला बिगड़ चुका था और हाथापाई की नौबत आने ही वाली थी।
स्ट्रिंगरों का कहना था कि रवींद्र ने अब तक 11 वर्ष रहते हुए एक भी प्रमोशन और इन्क्रीमेंट नहीं दिया। खुद को मालिक समझ रहे रवींद्र ने स्पेशल इंक्रीमेंट तो कभी किसी को नहीं दिया। अपने चहेतों और चाटुकारों को भी नहीं। चाटुकार और चहेते भी छोड़ गए। रवींद्र कहा कि ये सभी नालायक हैं। सभी दसवीं-बारहवीं पास हैं। जबकि 80 प्रतिशत ग्रेजुएट हैं। कई पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट भी हैं। प्रमोशन तो दूर की बात है। सीओ पॉलिसी के तहत प्रमोशन लेने के बाद भी कई रिपोर्टर पांच-छह साल से घिसट रहे हैं। जिन रिपोर्टर ने 1999 में अमर उजाला के साथ जुड़कर उसे नंबर एक बनाया, उनका ट्रांसफर कर दिया। पिछले 11 साल में रवींद्र ने एक के लिए भी कोई रिक्मेंडेशन नहीं दिया।
मीटिंग में हुए हंगामे के बाद उदय सिन्हा ने हस्तक्षेप किया और सभी को आश्वासन दिया कि रिटेनर्स और पांच साल पूरा कर चुके स्टाफ के लिए जल्द कार्यवाही होगी। रवींद्र की प्रताड़ना के शिकार पहले भी कई रिपोर्टर सुसाइड कर चुके हैं। अब तो लोकल न्यूज पेपर में छपी खबर को ही अमर उजाला में दूसरे दिन बाइलाइन के साथ छापा जा रहा है। कई लोग पुरानी खबरों पर ही बाइलाइन ले रहे हैं। सब रवींद्र की नेतृत्व में हो रहा है। उनको सिर्फ जम्मू कश्मीर से अमर उजाला को खत्म करना है। उन्हें संपादक बनाने वाले गॉड फॉदर का ही कहना मान रहे हैं और रिपोर्टर को खत्म कर रहे हैं।
इसके बाद उदय सिन्हा दो दिन तक जम्मू रहे और संपादकीय विभाग की मीटिंग लेते रहे। इस मीटिंग के बाद संपादकीय में काफी उत्साह है। उन्हें उम्मीद है कि पांच-छह साल बाद पहली बार स्पेशल इंक्रिमेंट या प्रमोशन अब मिल सकता है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित
bhadasi
June 30, 2015 at 10:00 am
अब इन मूर्खों को कौन समझाए कि जिस उदय कुमार से उन्होंने इन्क्रीमेंट व पक्के होने की उम्मीद लगा रखी है, उन्हीं के इशारे पर जम्मू का संपादक ११ सालों से नाचता आ रहा है। ऐसे में उदय कुमार के समक्ष उसके चमचे के खिलाफ बगावती तेवर दिखाने वालों कहीं लेने के देने न पड़ जाएं। स्पेशन इन्क्रीमेंट तो दूर कहीं आपको किनारे न कर दिया जाए। लिहाजा सावधान रहें। उदय कुमार उन संपादकों में से है, जो अपने चेलों के लिए अखबार की लुटिया तक डूबोने का रिस्क ले लेते हैं। अगर ज्यादा जानकारी हासिल करनी है तो हिमाचल व चंडीगढ़ के किसी साथी से हकीकत पता कर लें।
badthwal
July 1, 2015 at 5:06 am
करीब करीब सभी यूनिट मे एक जैसा ही हाल है. halat खराब चल रही है. संपादक उदय सिन्हा के इशारो पर काम करते है. kewal लखनऊ के संपादक है जो किसी की sunte नहीं है. उदय सिन्हा की अंडर मे नहीं आते है, इसलिए अपना निर्णय खुद लेते है.
arvind
July 1, 2015 at 5:31 am
भाई साहब अपने सही फ़रमाया. उदय कुमार उन चापलूस और दुस्ट संपादको मे से है जिसे सही और galat का ज्ञान नहीं है. शशि शेखर ने अपने अमर उजाला की samay मे उदय को नॉएडा मे फटकने भी नहीं दिया था. शशि जी की जाते ही अमर उजाला की पूरी सत्ता उदय कुमार की हाथ मे आ गयी और उसने सबसे पहले अपने चमचो को set करना शुरू किया. जो लोग अमर उजाला की निक्कमे और नकारे लोगो की लिस्ट मे शामिल थे, आज उन्हें उदय ने काबिल बता कर संपादक बना दिया. चंडीगढ़, हिमाचल, नॉएडा, आगरा, देहरादून, gorakhpur, गाजिअबाद, वाराणसी. इन सभी यूनिट mai संपादक आग मूत रहे है. प्रमोशन इन्क्रीमेंट भी इन्ही लोगो को दिया जो बहुत नियर डिअर है. विजय त्रिपाठी, हरीश चन्द्र और राजेंद्र त्रिपाठी. rajul भाई साहब को उलटी पट्टी पढ़ाता है और धांधली कर रहा है उदय कुमार. जब जम्मू यूनिट जैसे जगहों पर घिर जाता है तो आश्वासन देने लग जाता है.
lakheda
July 1, 2015 at 6:29 am
दरअसल अतुल भाई साहब के जाने के बाद राजुल जी ने एडिटोरियल ज्यादा देखा नहीं. गधे संपादको के भरोसे छोड़ दिया. उसी का आज ये परिणाम है. बड़े संपादक के नाम पर अब यहाँ कोई है नहीं. उदय कुमार भी सेवानिवृत्ति की और है. मार्च तक निपट जायेंगे. तब तक आठ महीने मे यहाँ तबाही मचा देंगे. चंडीगढ़ और गोरखपुर के संपादक के लिए उदय कुमार अपनी जान देने को भी तैयार है. हिंदुस्तान अख़बार का दोस्ताना जो पुराना रहे. सम्बन्धी जो purane रहे है. अमर उजाला मे आकर मैनेजमेंट की आँख मे धूल झोंक कर याराना nibha रहे है. इसीलिए तो कर्मी इस्तीफा मे संपादक की शिकायत लिख कर जाते है. हाल ही मे चंडीगढ़ मे एक महिला सहयोगी ने यही किया. कानोकान किसी को खबर तक नहीं हुए. ये सब उदय कुमार और चंडीगढ़ क़े संपादक की मिलीजुली कहानी है. राजुल माहेश्वरी तक सूचना ढंग से दी गई. उसने अपने इस्तीफे मे संपादक की झंड कर दी और अमर उजाला छोड़ने क़े बाद sathiyo को bataye. लेकिन कोई करवाई नहीं हुए. संपादक और कार्यकारी संपादक आज भी अपनी jagah virajman है.
पितामह भीष्म
July 8, 2015 at 4:35 am
अमर उजाला अपना मुकाम खोता जा रहा हैं इसका प्रमुख कारण जिन लोगो ने अमर उजाला को अपने खून-पसीने से नंबर वन बनाया उन्ही को प्रबंधन ने बहार कर दिया। पहले शशिशेखर फिर उदय सिन्हा भारी रहे संस्थान पे।