झूठ और फ्रॉड के बल पर पत्रिका ग्रुप अपने मीडियाकर्मियों के जायज हक पर डाका डालने चला था. पर उसकी चोरी कोर्ट में पकड़ी गई. वह खुद को चोर बताए जाने पर इतना तिलमिलाया कि हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चला गया. हर कोर्ट में पत्रिका प्रबंधन की हार हुई.
सुप्रीम कोर्ट से लतियाये जाने के बाद पत्रिका प्रबंधन ने अब अपना मुंह बंद कर लिया. पत्रिका प्रबंधन के लीगल सेल को सांप सूंघ गया है. मालिकों को उल्लू बनाकर लाखों रुपये फीस लेने वाले पत्रिका के लीगल सेल के लोग और वकील अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ कहां अपील करेंगे, कुछ सूझ नहीं रहा है.
उधर, पत्रिका के कर्मचारी बेहद प्रसन्न हैं. लेक्चर झाड़ने में उस्ताद पत्रिका अखबार और इसका प्रबंधन सरेआम चोर साबित हुआ है. अपने कर्मियों की पैसे चोरी करने के लिए इस ग्रुप ने लंबी साजिश रची. नई कंपनी बनाकर उसमें सारे कर्मियों को नियुक्ति दिखा दी और फिर उस कंपनी को अपना मानने से इनकार कर दिया. कोर्ट में मीडियाकर्मियों ने साबित किया कि ये कंपनी भी पत्रिका ग्रुप वालों की ही है जो कर्मचारियों के पैसे हड़पने के लिए साजिश पर साजिश किए जा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आर्डर की कापी देखें जिसमें पत्रिका ग्रुप की चोरी को वैधानिक रूप से इस्टैबलिश कर दिया है… अब आप कह सकते हैं कि पत्रिका ग्रुप चोर है…
राजस्थान पत्रिका वाले मामले का सुप्रीमकोर्ट का आर्डर देखें-
पूरे प्रकरण को समझने के लिए ये मूल खबर पढ़ें-