समय पर वेतन न मिलने के कारण विगत दिनों जनसंदेश लखनऊ के कई बड़े छोटे कर्मचारियों ने संस्थान को अलविदा कह दिया। इन्ही में, जनरल डेस्क इंचार्ज रहे कमल वर्मा संस्थान छोड़ने के बाद जब अपना बकाया वेतन लेने संस्थान पहुंचे तो उन्हे वेतन देने के बजाय संस्थान के एकाउंटेन्ट ने उनके साथ जमकर गाली गलौज की और कहा कि बकाया वेतन नहीं मिलेगा जो करना है कर लो। ऐसा नहीं है कि केवल कमल वर्मा का बेतन बकाया है बल्कि संस्थान के कई कर्मचारियों का पैसा विनीत मौर्या मारे बैठे हैं।
जनरल डेस्क पर ही धर्मेश अवस्थी भी काम करते थे उन्होने भी वेतन समय पर न मिलने के कारण संस्थान को अलविदा कह दिया था। आजकल वो इलाहाबाद में हैं और अपने बकाये वेतन के लिए कई बार जनसंदेश लखनऊ का दरवाजा खटखटा चुके हैं लेकिन उन्हे भी हर बार बिना वेतन के लौटना पड़ता है। कमल वर्मा ने अपने साथ हुई बदसलूकी के मुद्दे बोलते हुए कहा कि संस्थान के एकाउंटेंट ने उनके साथ जमकर गाली गलौज की। उसके कुछ देर बाद विनीत मौर्या ने फोन पर उनको धमकी दी कि वेतन नहीं मिलेगा जो कर सकते हो कर लो।
जब कमल वर्मा ने कहा कि बकाया वेतन मेरा हक है अगर आप नहीं देंगे तो मैं कनून की मदद लूंगा, तो विनीत मौर्या ने कमल वर्मा को धमकाते हुए बोला कि बहुत आये तुम्हारे जैसे कानून की बात करने वाले। इस मुद्दे पर विनीत मौर्या से फोन पर बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
फिलवक्त बकाया वेतन को लेकर संस्थान के पूर्व और वर्तमान कर्मचारी परेशन हैं। विनीत मौर्या ने संस्थान के कर्मचारियों के पीएफ का पैसा भी मार रखा है। अब बकाया वेतन और पीएफ के पैसे को लेकर संस्थान के पूर्व कर्मचारी लामबंद हो रहे हैं साथ ही इन पूर्व कर्मचारियों को वर्तमान कर्मचारियों का पूरा सहयोग भी मिल रहा है।
भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।
Dhanesh patel
September 2, 2014 at 6:52 am
bhai varanasi me jansandesh to band hone ke kagar per hai. yaha bhi paisha nahi mil raha hai. aur gali galouz to roj ho raha hai.
prakash c yadav
September 3, 2014 at 8:10 am
jansandesh allahabad bhi band hone ki kagar par hai
shyamal
September 1, 2014 at 6:35 pm
Accountent Yasdav sala kutta hain.
dinesh
August 31, 2014 at 4:12 pm
अच्छे दिन आ गए हैं…! सबसे ज्यादा मजे में तो गोरखपुर यूनिट के सीनियर साथी हैं। उन सभी लोगों का काम तो प्रेस क्लब चला रहा है। उन्हें वेतन की जरूरत नहीं है। मौजा ही मौजा।
Kashinath Matale
September 5, 2014 at 12:53 pm
BE UNITED
UNITED WE STAND !!
DIVIDE WE FALL !!!