शिशिर सोनी-
मैँ हैरान हूं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्षदों की तरह नाला, सीवर पर तो बात किया पर बतौर पीएम, बिहार को किए गए वादे पर कुछ नहीं बोले। उन्होंने न ये हिसाब दिया कि सवा लाख करोड़ रुपए की मदद की घोषणा का क्या हुआ? न ही मुदित मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुछ पूछने की गुस्ताखी की! प्रधानमंत्री ने ये नहीं बताया कि मोतिहारी चीनी मिल शुरू करने का सपना दिखा गए थे 2014 में ये सपना स्थानीय लोगों का कब पूरा होगा?
प्रधानमंत्री बिहार के कृषि विकास के लिए कुछ नहीं बोले? एग्रो इंडस्ट्रीज की असीमित संभावनाओं पर कुछ नहीं बोले। उन्हें लगता है कि सब भूल गए होंगे। कुछ नये बातों का पैकेज लाओ और वोट मांग लो। पर वे खुद भूल रहे हैं ये बिहार है। इस बार लोग हिसाब कर रहे हैं। मोतिहारी में भाजपा विधायक को यूं ही नहीं दौड़ा दिया। ऐसा ही दृश्य सभी कामचोर विधायकों के क्षेत्र में होने वाला है। लोग सवालों के साथ लैस हैं। जवाब देना होगा।
प्रधानमंत्री ताकतवर हैं। देश का अपरंपार दुलार उन्हें हासिल है। वे चाहें तो बिहार की तस्वीर बदल सकते हैं। आजादी के बाद बिहार ‘बेस्ट गवर्न स्टेट’ था। चारो तरफ इंडस्ट्रीज ग्रोथ कर रही थी। सिंदरी, बरौनी, बोकारो में बड़ी इंडस्ट्रीज लग रही थी। चीनी मिल चौतरफा बन रहे थे। तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर था, लेकिन आखिर श्रीबाबू के बाद बिहार के विकास को कैसे ग्रहण लगा? जातीय राजनीति का प्रयोगशाला बिहार को किसने बनाया? बिहार में सब संसाधन होते हुए केंद्र की राजनीति में पिछलग्गू स्टेट किसने बनाया? बिहार ने क्यों नहीं अपना हक केंद्र से छीना? आज भी बिहार क्यों चुप है? मुंह खोलो बिहार वालों। सवाल करो बिहार वालों। 26 सालों से जमे नीतीश कुमार से सवाल करो। नीतीश कुमार के साथ कदमताल कर रहे भाजपा नेताओं से सवाल करो। जायज सवाल करो।
बिहार वालों ये वही बिहार है जहां के बाबू जगजीवन राम देश के रक्षामंत्री थे। आज के रक्षामंत्री से लाख दर्जे बेहतरीन कार्यकाल रहा। मगर उन्हें जातपात की राजनीति में उलझाकर किसने बर्बाद कर दिया? मुजफ्फरपुर के बड़े नेता जेपी कृपलानी जिनकी पत्नी सुचित्रा कृपलानी यूपी की पहली महिला सीएम बनीं। डा. राजेंद्र प्रसाद पहले राष्ट्रपति। मजरहुल हक में आखिर क्या कमी थी, उनमें लीडरशिप क्वालिटी थी उसकी भ्रूण हत्या किसने की? बिहार के कोख से हमेशा बड़े नेताओं ने जन्म लिया। बड़े आंदोलन को सींचा। देश को नई राह दिखाई। बिहार फिर भी बेजार रहा? अपने भाग्य पर रोता रहा, क्यों? आखिर बिेहार को उसका हक कौन देगा? कौन दिलवायेगा?
शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था क्यों लचर है? इसकी जिम्मेदारी किसकी है? पटना में एक हनुमान मंदिर है। देखिये वहां कितनी भीड़ लगी रहती है। यानि हमारे यहां धार्मिक पर्यटन का बड़ा स्कोप है। इसके लिए हमने क्या किया? कुछ नहीं किया। जापान, थाईलैंड, मालदीव जैसे अन्य बौद्ध धर्म के देश के आते हैं तो बिहार की कुव्यवस्था की पोल अपने देश में जाकर खोलते हैं। नीतीश कुमार ने इन सर्किट को क्यों नहीं आधुनिक बनाया? जैन का बड़ा इतिहास बिहार से जुड़ा है। सिख का इतिहास जुड़ा है। मेले लगाने की औपचारिकता से हटकर क्यों नहीं कुछ बड़ा प्लान किया जाता जिससे बिहार के धार्मिक पर्यटन को नया ऑक्सीजन मिल सके। रोजगार के बड़े साधन उपलब्ध हो सकें।
बिहार वालों सवाल करो। राजनेता वोट मांगने आएं तो खदेड़-खदेड़ कर सवाल पूछो- क्यों नहीं आया केंद्रीय विद्यालय तुम्हारे यहां? क्यों सरकारी स्कूल, कॉलेज, अस्पतालों का बुरा हाल है?
प्रधानमंत्री बेिहार जाएंगे तो फिर तुम सब को सवालों का पुलिंदा भेजेंगे। अभी अपने तरकश में सवालों के तीर को धार दो। तैयार रहो।
शिशिर सोनी दिल्ली के बेबाक पत्रकार हैं.
Utkarsh
September 17, 2020 at 12:12 am
मोतिहारी के सुगौली में चीनी मिल चल ही रहा है। पड़ोसी बेतिया में भी बंद पड़ी 5 चीनी मिलें start हो चुकी हैं। झांसागुरुओं से बच के रहना बिहारियों इसीलिए फिर से उन्ही को ले आओ जिन्होंने ये सभी चीनी मिल बंद करवाए थे।
गांव गांव में बिजली, सड़क, और lpg पहुंच चुकी है जो की प्रगतिवाद के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है, फिर से लालटेन और लकड़ी लाओ। लाल सलाम। जय हिन्द
Rajeev Kumar
September 17, 2020 at 2:57 am
Bihar walon ko kaho ki bachche kam paida karen…itni badi aabadi ko modiji to kya koi party vikas ki rah par nahin le ja sakti….aur aap bhi aaj jo kyon yeh bakwas kar raho ho…….ticket chahiye hoga…!