देश के पत्रकारों और पत्रकार एवं गैर-पत्रकार संगठनों के लिए श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचारपत्र कर्मचारी (सेवा की शर्तें) और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम,1955 तथा श्रमजीवी पत्रकार (मजदूरी की दरों का निर्धारण) अधिनियम, 1958 को निरस्त होने से बचाने के लिए अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए पांच दिन शेष बचे हैं।
देश की संसद ने लोकसभा सचिवालय,नई दिल्ली के तहत व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2019 पर विचार के लिए लोकसभा सांसद भर्तृहरि मेहताब की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति का गठन कर रखा है और इस समिति के समक्ष उपरोक्त संहिता के संबंध में विचार या सुझाव प्रस्तुत करने के लिए लोकसभा सचिवालय ने 21 अक्तूबर को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रखी थी और इसके तहत प्रेस विज्ञप्ति जारी किए जाने के 15 दिनों के भितर कोइ भी व्यक्ति, संस्था, समूह या यूनियन अपना विचार या सुझाव रख सकती है।
ऐसे में अब महज चार दिन का समय शेष बचा है। लिहाजा उपरोक्त पत्रकार अधिनियमों के निरस्त किए जाने का विरोध कर रहे समाचारपत्र कर्मचारियों, यूनियनों, संगठनों, क्लबों को सलाह दी जाती है कि वे अधिक से अधिक संख्या में अपना उपरोक्त अधिनियमों को निरस्त किए जाने से होने वाले नुकसान से लोकसभा की इस स्थायी समिति को अवगत करवाएं।
हालांकि विज्ञप्ति के अनुसार सुझाव/विचार लिखित तौर पर दो प्रतियों में मांगे गए हैं, मगर देरी से बचने के लिए इसे ईमेल के माध्यम से भी तुरंत भेजा जा सकता है। लिहाजा अपने सुझाव/विचार/विरोध इत्यादि लिख कर नीचे दी गइ ईमेल आईडी पर तुरंत मेल करें और साथ ही इसका प्रिंट लेकर दो प्रतियां नीचे दिए गए पते पर स्पीडपोस्ट कर दें। इस संबंध में न्यूजपेपर इम्प्लाइज यूनियन आफ इंडिया द्वारा भेजा गया पत्र भी संलग्न किया जा रहा है।
पता- डायरेक्टर (एएन-आईआई एंड एल), लोकसभा सचिवालय, कमरा संख्या-330, संसद भवन अनेक्स, नई दिल्ली;110001, फैक्स नंबर 23011697,
ADDRESS: DIRECTOR (AN-II&L), LOK SABHA SECRETERIATE, ROOM NO. 330, PARLIAMEN HOUSE ANNEXE, NEW DELHI-110001.
EMAIL: [email protected]
न्यूजपेपर इम्प्लाइज यूनियन आफ इंडिया के अध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल की रिपोर्ट. संपर्क- 9816103265
Vijay
November 17, 2018 at 5:17 am
अंशकालिक संवाददाता………..बहुत खूब…….शोषण की इन्तहां है ये, एक तो उन्हें अवैतनिक रखा जाता है, ऊपर से आईफ़ोन, ऐसे में किसी से पारदर्शी पत्रकारिता की अपेक्षा करना बेमानी होगी ये समाचार पत्र वाले पत्रकारों को दलाली करने पर विवश करते हैं और उनके पकड़े जाने पर अपना पल्ला यह कहते हुए झाड़ लेते हैं कि अमुख व्यक्ति हमारे संस्थान में काम नहीं करता
विशद कुमार
November 29, 2018 at 1:57 pm
सही कहा आपने
Shambhu
January 5, 2019 at 5:31 am
सही बोले, इनको न्यूज़ दलाल चाहिए।