श्री सुधीर अग्रवाल जी, श्री गिरीश अग्रवाल जी, श्री पवन अग्रवाल जी,
आपको अवगत कराना है कि आपके मानव संसाधन विभाग के काबिल अफसरों ने न तो मुझे आज दिनांक तक सेवा में वापस लिया है और न ही पूर्णतः सेवा मुक्त किया है।
आज दिनांक तक मुझे मेरी ग्रेच्युटी एवं अनुभव प्रमाणपत्र नहीं दिया गया है। जो कि अनुचित श्रम व्यवहार की श्रेणी में आता है।
आपके विरुद्ध ग्रेच्युटी के लिये श्री संजय कपरदार के केस में श्रम आयुक्त रांची द्वारा दिये गये आदेश (कॉपी संलग्न) के अनुसार स्पेशल अलाउंस को ही डियरनेस अलाउंस (DA) माना है। क्योंकि आपके द्वारा DA दिया ही नहीं जाता है। जो कि श्रम कानूनों का भी उल्लंघन है।
मुझे जो वेतन और भत्ते मिल रहे थे उसके अनुसार मेरी निम्नलिखित ग्रेच्युटी बनती है :-
11 वर्ष 3 माह X अन्तिम माह की बेसिक + स्पेशल अलाउंस X 15 / 26 = रुपये 334931.00
मजिठिआ के हिसाब से मेरी निम्नलिखित ग्रेच्युटी बनती है :-
11 वर्ष 3 माह X अन्तिम माह की बेसिक + डियारनेस अलाउंस X 15 / 26 = रुपये 412170.00
सेवा बहाली हेतु मै कई बार संस्थान में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुआ परन्तु गेट से अंदर नहीं आने दिया गया और यह कहते हुए वापस कर दिया गया के अभी मेरी सेवा की बहाली नहीं की गई है।
मैंने सेवा में पुनः बहाली का केस फाइल किया है और जिसमें यदि मेरी सेवा बहाली हो जाती है तो न्यायालय के सेवा बहाली के आदेश की अनुपालना में सेवा की निरन्तरता बनाये रखने हेतु आपके द्वारा मुझे इस मेल के अन्तर्गत दी जाने वाली ग्रेचुटी की राशि को मै संसथान में वापस जमा करवा दूँगा।
अतः अविलम्ब मेरी ग्रेचुयी देवे अन्यथा मुझे उसके लिये ग्रेचुटी एक्ट के अन्तर्गत सक्षम अधिकारी के समक्ष वाद योजित करना पड़ेगा।
यहाँ यह भी स्पष्ट है कि यह ग्रेच्युटी की राशि मेरे वेतन से ही काटी गई है जो कि ग्रेच्युटी एक्ट 1972 का उल्लंघन है। क्योंकि ग्रेच्युटी सदैव संस्थान के द्वारा बनाये गये ग्रेच्युटी फंड से ही दी जानी चाहिये।
जिस तरह से आपके संस्थान में कर्मचारी की सैलरी से ग्रेच्युटी काटी जाती है उसके अनुसार आपके यहाँ 1 महीने काम करने वाला कर्मचारी भी ग्रेच्युटी पाने का अधिकारी है।
सूचित रहे।
सादर
जितेन्द्र कुमार सिंह
एम्प्लाई कोड 16698
उप प्रबंधक, विधि विभाग दिल्ली
दैनिक भास्कर/डीबी कॉर्प लि.
09313422277
सूचनार्थ मेल
श्रम विभाग दिल्ली व अन्य राज्यों के श्रम विभाग के अधिकारीगण एवं अन्य सभी पीड़ित कर्मचारीगण व उनके अधिवक्तागण