झारखंड में हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान, रांची के स्थापना वर्ष से कार्यरत गोला-रामगढ़ से स्टिंगर मनोज मिश्र ने आर्थिक तंगी से जुझते हुए 28 अगस्त 2015 को पत्रकारिता क्षेत्र को अलविदा कह दिया है. अलविदा कहते हुए मनोज मिश्र ने स्टिंगर पद को छोड़ने के संबंध में संपादक के नाम पत्र में कहा है कि मैंने 15 वर्षों तक निष्ठापूर्वक, इमानदारी से समर्पित भाव से अखबार में काम किया. अब मैं काम करते हुए असहज महसूस कर रहा हूं. साथ ही स्टिंगर पद छोड़ रहा हूं.
गोला-रामगढ़ के मनोज मिश्र ने 1989 में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर पत्रकारिता प्रारंभ की. 10 वर्षों तक भिन्न-भिन्न अखबारों में काम करते हुए 1999 में हिन्दुस्तान से जुड़े. प्रारंभ में समाचार के बावत उन्हें 10 रुपया मिलता था. फिर 300 रुपया महीना. वर्षों तक 300 रुपया में एक उम्मीद के साथ स्टिंगर के पद पर डटे रहे. कुछ वर्षों से उन्हें 2500 रुपया मिलने लगा. इमानदार और सिद्धांत प्रिय मनोज मिश्र पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए अवैध वसूली से दूर रहे. उनका परिवार बढ़ा. एक पत्नी और दो पुत्रियों के खर्च को वहन करने में असमर्थ रहते हुए उन्होंने अंत में पत्रकारिता क्षेत्र को छोड़ कर दूसरे क्षेत्र में भाग्य आजमाने का फैसला किया है. क्षेत्र के अन्य अखबारों के स्टिंगरों ने कहा है कि मनोज मिश्र काफी लंबे समय तक पत्रकारिता क्षेत्र को अपनी जीविका का स्रोत बनाए रखा. उन्होंने अपना जीवन इस क्षेत्र में झोंक दिया. उनके पत्रकारिता क्षेत्र से अलविदा कहने पर क्षेत्र के पत्रकार मर्माहत हैं और कह रहे हैं कि वो समय दूर नहीं जब लोग इस क्षेत्र से दूर भागेंगे. अच्छा आदमी कोई इधर काम नहीं करना चाहेगा.
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
संबंधित खबर…
asheesh bajpai
August 30, 2015 at 2:07 pm
आज के समय की ईमानदारी की पत्रकारिता का सही सच है। इसीलिये कोई पत्रकार अपने बच्चों को पत्रकार नहीं बनाना चाहता है.। लोग बताते चाहे बड़ी बड़ी करें।