Om Thanvi : ज़िंदगी की धूप-छांव में क्रूरता भी कम नहीं। हिंदी के प्रतिष्ठित सम्पादक राजकिशोरजी का बेटा अचानक नहीं रहा। वह एबीसी न्यूज़ के लिए काम करता था। बरसों चीन में रहा। अब दिल्ली आ गया था। मैं कल ही अपने पिताजी के पास गाँव आया। राजकिशोरजी का यहाँ फ़ोन आया और पिताजी की तबीयत पूछी। मैंने बताया कि वे अपने बिस्तर अब समेटने लगे हैं। उन्हें सुनकर अफ़सोस हुआ। पर रात उनका संदेश आया कि उनका बेटा बहुत ‘क्रिटिकल’ स्थिति में है। पढ़कर शब्दों पर भरोसा नहीं हुआ।
राजकिशोरजी से चालीस साल पुराना संबंध है। तब से जब वे कलकत्ता वाले रविवार में थे और मैं फ़्रीलान्सिंग करता था। चार रोज़ पहले उनके घर गया था। उनकी पोती और पोता पहली बार मिले। वे माँ पर गए हैं जो इंगलैंड से आती हैं। दोनों बच्चों ने हमारे पाँव छुए। फिर खेलने लगे। राजकिशोरजी ने बताया, बच्चे चीन में पैदा हुए जब विवेक वहाँ बीबीसी में काम करता था। विवेक उनका इकलौता बेटा था। और उसके बाद आज सुबह ब्रेन हैमरेज से बेटे की मृत्यु की ख़बर। आप समझ सकते हैं कि राजकिशोरजी, विमलाजी, दोनों मासूम बच्चों और उनकी माँ पर दुख का पहाड़ टूटा है। ऐसे हादसे में कोई कुछ नहीं कर सकता यह भी हम जानते हैं। सिवा इस प्रार्थना के कि वे दुख को झेल सकें। ख़ासकर दो अबोध बच्चों के लिए।
Ashwini Chaudhary : Heartbroken….just read Om Thanvi s post about the sad demise of Vivek Raj, son of senior journalist Raj kishore ji. When I started my Television Production Company in Delhi in nineties Vivek was in my first team of assistants. I still remember when he came to the office for the first time with Raj Kishore ji, fresh out of journalism school, full of dreams and ideas. A ring in his ear and unkept long hair. Later when he trimmed his pony because Raj kishore ji insisted, he framed the pony tail and it was there on the wall of his bedroom for a long time…. I saw a young rebel in him. He worked with me on our current affair programmes and documentaries for a long time. He first introduced me to sarson ke tail wali fish curry rice which his mother Vimla Ji used to send with him. Kumud my wife learnt the recipe from him and it is still my favourite. Later I moved to Mumbai and Vivek joined BBC then ABC and travelled the world but stayed in touch with me and kumud. He was a young , bright, socially conscious journalist with a spine who always called spade a spade. Rest in peace Vivek…will miss you always.
Jaishankar Gupta : दुखद सूचनाओं का सिलसिला टूटता क्यों नहीं! कुछ दिन पहले वरिष्ठ पत्रकार मित्र नीलाभ, फिर हमारे अभिन्न मित्र पत्रकार हरिमोहन की पत्नी पूनम जो हमारी मुंह बोली बहन की तरह थी, हम सबको छोड़कर अनंत की यात्रा पर चली गई। और आज हमारे अग्रज, रविवार और नवभारत टाईम्स के दिनों में वरिष्ठ सहयोगी रहे राजकिशोर जी के पत्रकार पुत्र विवेक राज के असामयिक निधन की सूचना ने अंदर से हिला दिया। विवेक को हम अस्सी के दशक के पूर्वार्ध में कलकत्ता प्रवास के समय से जानते थे जब वह बच्चे थे। अभी भी हमारे लिए तो वह बच्चे ही थे लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था। कल शाम मष्तिकाघात के बाद उनकी हालत जो बिगड़ी तो आज उनके दुखद निधन के रूप में आई सूचना ने सन्न कर दिया। उनके निधन की सूचना भी वरिष्ठ पत्रकार मित्र ओम थानवी जी की पोस्ट से मिली।
दुख और शोक की इस घड़ी में राजकिशोर जी और विमला भाभी, गुड़िया तथा विवेक की पत्नी और उनके दोनों बच्चों की पीड़ा को हम महसूस कर सकते हैं। ईश्वर उन्हें इस असह्य पीड़ा को झेल सकने का साहस और धैर्य प्रदान करे। हम और हमारे परिवार की सहानुभूति और संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं। अभिषेक को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी, जयशंकर गुप्त और अश्विनी चौधरी की एफबी वॉल से.