हेमंत शर्मा-
जस्टिस धर्मवीर शर्मा को भी कोरोना ने ग्रस लिया।आज उन्होंने नोयडा में अन्तिम सॉंस ली। धर्मवीर शर्मा जी इलाहाबाद हाईकोर्ट की उस पीठ के सदस्य थे जिसने रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद पर फ़ैसला देते हुए विवादित स्थान को तीन हिस्सों में बॉंट दिया था।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस एस यू खान से असहमत होते हुए उन्होंने अपना अलग फ़ैसला लिखा था जिसमें उन्होंने पूरे विवादित स्थान को हिन्दू पक्ष को देने का फ़ैसला दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने यही किया।
जस्टिस शर्मा उस स्थान को मस्जिद मानने को भी तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि बाबर ने इस्लाम के नियमों के ख़िलाफ़ मस्जिद बनायी है इसलिए इसे मस्जिद नहीं माना जा सकता है।
जस्टिस धर्मवीर शर्मा के अल्पमत फ़ैसले के मुख्य बिंदु थे—
- विवादित स्थल भगवान राम का जन्मस्थल है। इसे उस दैवीय शक्ति के मूर्त रूप में देखा जाता है, जिसकी भगवान राम के बाल्य रूप में जन्मस्थल के तौर पर उपासना की जाती है।
- विवादित ढाँचे का निर्माण बाबर ने किया। वर्ष तय नहीं है, मगर यह इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ किया गया, इसीलिए इसे मस्जिद नहीं कहा जा सकता।
- इस विवादित ढाँचे का निर्माण पुराने ढाँचे की जगह पर उसे ढहाकर किया गया। ए.एस.आई. ने साबित कर दिया कि यह ढाँचा एक भव्य हिंदू धार्मिक स्थल था।
- विवादित ढाँचे के बीच वाले गुंबद में ये मूर्तियाँ 22/33 दिसंबर, 1949 की मध्य रात्रि को रखी गईं।
- सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड बनाम गोपाल सिंह विशारद एवं अन्य और निर्मोही अखाड़ा व अन्य बनाम श्री जमुना प्रसाद सिंह व अन्य का मामला ‘टाइम बार्ड’ है, यानी कानूनी मियाद से बाहर का है।
- यह स्थापित हो चुका है कि मुकदमे में शामिल संपत्ति रामचंद्र जी की जन्मभूमि है। यहाँ हिंदुओं को आमतौर पर चरण-पादुका, सीता रसोई और दूसरी मूर्तियों को पूजने का अधिकार है। यह भी स्थापित हो चुका है कि हिंदू इस विवादित जगह की जन्मस्थान के तौर पूजा करते आए हैं।
अयोध्या पर किताब लिखते वक्त मेरी इनके साथ कई लम्बी बैठके हुई। सरल आदमी थे। श्रद्धांजलि ।