Kamal Kumar : विमानों के गायब होने का अनसुलझा वैज्ञानिक रहस्य… भारतीय वायुसेना के विमान AN32 को गुम हुए आज चौथा दिन है मगर आब तक उसका कोई सुराग नहीं मिल सका है। यह विमान सोमवार को जोरहाट से अरुणाचल प्रदेश के सीमांत क्षेत्र के लिए उड़ा था। इससे पूर्व 2016 में भी भारतीय वायुसेना का AN32 विमान गायब हो गया था जिसमें 29 वायुसैनिक सवार थे, जिसका आज तक पता नहीं चल सका है। या पता चलने के बाद जानकारी बाहर नहीं आने दी गयी है।
इसी तरह 2014 में मलेशिया का एक यात्री विमान MH370 भी लापता हुआ था, जिसका कोई भी पता आज तक नहीं चल पाया। मलेशिया के विमान को ढूंढने के लिए दुनिया भर के विशेषज्ञों, टोही विमानों और वैज्ञानिकों का प्रयास नाकामयाब रहा था। लम्बे खोजी मिशन के बाद इस अभियान को खत्म कर दिया गया। जबकि, 2016 में लापता भारतीय वायुसेना के विमान और वायुसैनिकों को तुरन्त भुला दिया गया जैसे आज लापता हुए विमान को भुलाने की कोशिश शुरू हो चुकी है।
इन विमानों का गायब होना विज्ञान का अनसुलझा बहुत बड़ा रहस्य बन चुका है। इतने बड़े विमानों का गायब होना आश्चर्यजनक है जिन पर उन्नत संचार प्रणाली होती है, इलेक्ट्रॉनिक नेविगेशन सिस्टम होता है जिन्हें डिटेक्ट करना मुश्किल नहीं है, उसके वाबजूद लापता विमानों का मलबा तक नहीं मिल सका है। इन विमानों को धरती निगल गयी या आसमान खा गया कोई भी नहीं जानता लेकिन इनके लापता होने के पीछे बड़ी साजिशें होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
जब इन विमानों का संपर्क अपने एयर कंट्रोल सेंटर से टूट गया होगा तो दो स्थितियाँ बनती हैं। एक, विमान का संचार तन्त्र खराब हो गया हो, दूसरा विमानों के संचार तन्त्र पर किसी अन्य एजेंसी ने नियंत्रण स्थापित कर लिया हो और उसने उसके संचार तन्त्र को बंद कर दिया हो, जिससे इन विमानों का अपने स्टेशन से संपर्क टूट गया होगा। पहली स्थिति में अक्सर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं जिनका मलबा ढूंढ लिया जाता है लेकिन दूसरी स्थिति पर वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे होंगे।
दूसरी स्थिति पूरी तरह से विमानों के कम्प्यूटर सिस्टम को हैक किये जाने का मामला है जिसमें विमान को हैक कर उस पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है और उसे किसी गुप्त स्थान पर उतारा जा सकता है। इसमें सवार लोगों की हत्या कर, विमान के मलबे को भी खत्म किया जा सकता है। इन दो स्थितियों के अलावा कोई अन्य स्थिति विमानों के गायब होने की नहीं बनती है।
चूंकि, कोई भी विमान अंतरिक्ष में नहीं जा सकता अतः उसका मलबा धरती पर ही मिलना चाहिए जो नहीं मिल रहा है। अंतरिक्ष की उड़ान हेतु आवश्यक पलायन वेग (11.2 km/sec) और विमान के विशेष डिजाइन की आवश्यकता होती है अतः इन विमानों को अंतरिक्ष में नहीं खींचा जा सकता है लेकिन दूर बैठकर उसके संचार प्रणाली और नियंत्रण प्रणाली में नियंत्रण स्थापित करने की संभावना हो सकती है। दूर बैठे हुए हैकर आज सर्वाधिक सुरक्षित कम्प्यूटर प्रणाली में हैकिंग कर सकते हैं जिसमें सबसे सुरक्षित अमेरिकी सिस्टम में भी साइबर हमला होने की पुष्टि हुई है। इसी तरह हमारे देश के विभिन्न मंत्रालयों के सिस्टम में पिछले वर्ष भयंकर साइबर हमला हुआ था। इस तरह उड़ते विमानों की प्रणाली में नियंत्रण स्थापित कर सकने की क्षमता कुछ देशों के पास हो सकती है, जो अभी गुप्त हो।
केंद्र में मोदी सरकार और विभिन्न राज्यों में बीजेपी की संघी सरकारों के सत्ता में आने के बाद विज्ञान और रिसर्च में गोबर ज्ञान भरा जा चुका है। अब गोबर लेपन पर परमाणु बम भी असर न होने की खोज हो चुकी है। रात दिन संघी राष्ट्र को प्राचीन काल तक ले जाने की साजिश और मेहनत कर रहे हैं अतः आधुनिक विज्ञान में क्या–क्या संभव हो सकता है, यह बात ही फिजूल हो गयी है।
यहाँ तो ईवीएम जैसी मशीन ही किसी भी तरह के छेड़छाड़ या हैकिंग से फुलप्रूफ घोषित हो चुकी है और आश्चर्य यह है कि जिन लोगों ने 8 वीं या 10 वीं के बाद कभी विज्ञान की ओर मुड़कर नहीं देखा, जिन्हें आधुनिक उन्नत टेक्नोलॉजी के विषय में ABC तक पता नहीं, वे लोग ही ईवीएम को फुलप्रूफ घोषित करते हैं। ध्यातव्य है, अमेरिका जो तकनीक 1960–70 के दशकों में विकसित कर चुका था, वह भी इतनी शक्तिशाली थी कि पूरी दुनिया पर नजर रख सकती थी। हमारे पास आज भी ऐसी तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है। चीन तकनीकी के क्षेत्र में अमेरिका को टक्कर दे रहा है। यह असंभव नहीं कि इन दोनों देशों के पास उड़ते विमानों को हैक कर अपहरण करने की क्षमता भी हो।
इस तरह वायुसैनिकों सहित वायुसेना के विमानों का गायब होना बड़ी चिंता का विषय है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को बेहद असुरक्षित बना रहा है। यदि, इस तरह भारतीय संचार प्रणाली पर हैकिंग के जरिये कोई देश नियंत्रण प्राप्त कर लेगा तो, पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी, कोई युद्धक विमान युद्ध में उड़ नहीं पायेगा, मिसाइलों का रुख मोड़ दिया जाएगा या वे उड़ ही नहीं पाएंगी, कोई भी संचार उपकरण काम करना बंद कर देगा। यह सब कोई कल्पना नहीं है बल्कि आधुनिक तकनीकी से संभव है। जिस पर अमेरिका सहित विभिन्न देश लगातार काम कर रहे हैं।
हमारी सरकार तो परमाणु वैज्ञानिकों के अपहरण या हत्या तक को नहीं रोक पा रही है, वह क्या वैज्ञानिक प्रगति करेगी? खैर! हमें इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है बल्कि गाय, गोबर की चिंता करनी है। मुसलमानों को सबक सिखाना है, उनको नमाज पढ़ने से रोकना है, अनुसूचित जातियों के लोगों को उनकी वास्तविक औकात में रखना है, उन्हें मंदिर प्रवेश करने से रोकना है, उनको घोड़ी पर चढ़ने से रोकना है, उनकी बारातों में पत्थरबाजी करनी है या रात दिन हिंसा फैलानी है क्योंकि अभी हम महान हिन्दू साम्राज्य की स्थापना करने में व्यस्त हैं, वैज्ञानिक और तकनीकी विकास तो नश्वर है।
कमल कुमार की एफबी वॉल से साभार.
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Neeraj A Yadav
June 7, 2019 at 10:44 pm
Are you an aviation expert? If so,why don’t you trace them?