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सुख-दुख

योगेश गुप्ता दलाल नहीं हैं इसीलिए परिवार चलाने के वास्ते सतना में नौकरी कर रहे हैं

साथी, तकलीफजदा हूं योगेश गुप्ता के बारे में यह सुन कर पढ़ कर। बनारस में योगेश ने पत्रकारों की लड़ाई के चलते नौकरी गंवाई। मैंने खुद एक बार एचटी प्रबंधन के अपने एक साथी से पूछा तो उनका जवाब था कि नेतागिरी छोड़ दें, सब बढ़िया हो जाएगा। योगेश ने नुकसान उठाया। सड़क पर रहे। स्ट्रिंगर के तौर पर भी काम किया पर समझौता नहीं किया।

<p>साथी, तकलीफजदा हूं योगेश गुप्ता के बारे में यह सुन कर पढ़ कर। बनारस में योगेश ने पत्रकारों की लड़ाई के चलते नौकरी गंवाई। मैंने खुद एक बार एचटी प्रबंधन के अपने एक साथी से पूछा तो उनका जवाब था कि नेतागिरी छोड़ दें, सब बढ़िया हो जाएगा। योगेश ने नुकसान उठाया। सड़क पर रहे। स्ट्रिंगर के तौर पर भी काम किया पर समझौता नहीं किया।</p>

साथी, तकलीफजदा हूं योगेश गुप्ता के बारे में यह सुन कर पढ़ कर। बनारस में योगेश ने पत्रकारों की लड़ाई के चलते नौकरी गंवाई। मैंने खुद एक बार एचटी प्रबंधन के अपने एक साथी से पूछा तो उनका जवाब था कि नेतागिरी छोड़ दें, सब बढ़िया हो जाएगा। योगेश ने नुकसान उठाया। सड़क पर रहे। स्ट्रिंगर के तौर पर भी काम किया पर समझौता नहीं किया।

देश भर में कहीं नहीं पर बनारस में छापे पड़े अखबारों के दफ्तर में पीएफ के रिकार्ड चेक करने को। और कितने लोग रोल पर हैं इसके लिए। योगेश मुसलसल चुनौती दे रहे हैं खुद को हटाए जाने को लेकर, स्थानांतरण को लेकर। वो दलाल नहीं जो बनारस में बैठ मलाई रोटी खाएं। परिवार चलाने के लिए सतना गए हैं काम करने। हक और दावा, अदालती केस उनका बनारस के लिए है। इंतजार करें। हमें बहुत से योगेश चाहिए, उनके साथ केडीएन राय चाहिए, राजेंद्र रंगप्पा चाहिए और कई काशी के जुझारु साथी चाहिए।

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लेखक सिद्धार्थ कलहंस लखनऊ में पदस्थ हैं और बिजनेस स्टैंडर्ड के प्रिंसिपल करेस्पांडेंट हैं. उनसे संपर्क 09336154024 के जरिए किया जा सकता है.

मूल पोस्ट…

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काशी पत्रकार संघ योगेश गुप्ता की जेब में, नौकरी करते हैं सतना में फिर भी हैं मानद सदस्य

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0 Comments

  1. Mani

    September 25, 2014 at 11:54 am

    बहुत सही बात। यह है वास्तविकता। और इस सच्चाई को छिपकर पोर्टल पर खबर चलवायी गयी योगेश गुप्ता को बदनाम करने के लिए। वो कर्मठ पत्रकार हैं, लेकिन परिवार का पेट पालना भी उनकी ज़िम्मेदारी है। उनके खिलाफ खबर लिखने वाले व्यक्ति कितने घिनौने हैं, आप इसी से लगा लीजिये कि योगेश जी पेट के लिए रोटी जुटाने को नौकरी करने अपना देस वाराणसी छोड़कर से सतना गये हैं। बनारस में तो नौकरी खोयी और अब सम्मान पर भी उंगली उठ रही है। और सतना में क्या-कितना मिल रहा होगा उनको? अब वे मानद सदस्य हैं तो इसमें भी समस्या। हद है घिनौनेपन ही। दम और गैरत हो तो राघवेन्द्र चड्ढा के खिलाफ लिखो।

  2. subhash sharma

    September 25, 2014 at 1:42 pm

    झूठे हैं योगेश गुप्ता
    वाराणसी जनसंदेश टाइम्स से पिछले साल ही इस्तीफा दे दिया था। सतना मध्यप्रदेश जनसंदेश में काम करते हुए खुद को जनसंदेश टाइम्स का पत्रकार बताना क्या उचित है। जनसंदेश टाइम्स के नाम से मानद सदस्य कैसे बन गये। वह भी नई सदस्यता सूची में। ईमानदार हैं तो काशी पत्रकार संघ की सदस्यता छोड़े और काशी के पत्रकारों से माफी मांगे।

  3. k.singh

    September 25, 2014 at 2:43 pm

    सिद्धार्थ कलहंस कैसे बन गये काशी के ठेकेदार
    सिद्धार्थ कलहंस जी अच्छा पत्रकार होना ठीक है, लेकिन बेइमानी और धोखाधड़ी करना ठीक नहीं है। योगेश गुप्ता आपके आदर्श हैं तो फिर धोखाधड़ी से आपको भी वह काशी पत्रकार संघ का मानद सदस्य बनवा देंगे। आप भी बनारस आइए और किसी स्थानीय अखबार के नाम पर सदस्य बन जाइए। चुनाव लड़िये और काशी के पत्रकारों का नेता बन जाइए। आपके आदर्श केडीएन राय भी हैं जो डेढ़ महीने तक संघ के गेस्ट हाउस में रहे और फूटी कौड़ी जमा नहीं की। संघ का गेस्ट हाउस उनकी जागीर नहीं थी। लगता है कि आपको योगेश गुप्ता और केडीएन ने ओब्लाइज किया है।
    आपसे आग्रह है कि बनारस के भ्रष्ट और बेइमान पत्रकारों को ईमानदारी का प्रमाण-पत्र न बांटिये।

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