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उत्तर प्रदेश

यूपी के इस डिप्टी एसपी ने सपा के एक खानदानी नेता के संरक्षण में बेशुमार काली कमाई की!

भ्रष्ट भदौरिया

हर्षवर्धन भदौरिया यूपी पुलिस में दरोगा के रूप में भर्ती हुआ और डिप्टी एसपी के रूप में नौकरी को अलविदा कहा. वर्ष 2003 तक वह अलग-अलग जिलों में तैनात रहा. 2003 में नोएडा विकास प्राधिकरण में उसकी तैनाती हुई और फिर वह यहीं का होकर रह गया. एक बड़े नेता के संरक्षण में इसने बेशुमार दौलत बनाई. फिलहाल हुई जांच से पता चला है कि यह आदमी आय से बारह गुना ज्यादा संपत्ति का मालिक है. प्रतिशत के रूप में बात की जाए तो इस आदमी के पास आय से 1178 प्रतिशत ज्यादा संपत्ति है.

एंटी करप्शन ब्रांच मेरठ ने नोएडा के सेक्टर-49 थाने में इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे हर्षवर्धन भदौरिया पर शिकंजा कसने के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. एक दौर था जब हर्षवर्धन भदौरिया की नोएडा प्राधिकरण में तूती बोलती थी. शहर की सड़कों को भदौरिया ने पार्किंग में तब्दील कर दिया था. करोड़ों रुपए की अवैध कमाई सड़कों से हो रही थी. यह सिलसिला अभी जा रही है.

पुलिस अधिकारी रहते हुए हर्षवर्धन भदौरिया के पास प्राधिकरण में परचेज ऑफिसर तक का दायित्व था. उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी की सरकार जाने के तीन साल बाद अब इस भ्रष्ट अफसर पर शिकंजा कसा है. आयकर विभाग के फंदे में फंसे भदौरिया की परेशानियां आने वाले दिनों में बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं. चर्चा है कि भदौरिया के जरिए समाजवादी पार्टी के एक खानदानी नेता पर शिकंजा कसने की तैयारी है. समाजवादी पार्टी के चाणक्य के कहे जाने वाले इस नेता के पास सपा सरकार के दौरान नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद के अलावा पूरा वेस्ट यूपी हैंडल करने का काम था. इस नेता के संरक्षण में ही महाभ्रष्ट यादव सिंह से लेकर महानतम भ्रष्ट भदौरिया तक को फलने-फूलने का मौका मिला. जाहिर सी बात है, काली कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा तो नेता के पास ही जाता होगा. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि प्राधिकरण लोकसभा चुनाव के परिणामों से पहले हुई यह कार्यवाही गठबंधन पर शिकंजा कसने के लिए है.

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एंटी करप्शन ब्रांच मेरठ की प्राथमिक जांच में पता चला कि 1 जनवरी 2003 से 29 मई 2017 तक पूर्व डीएसपी को अपने वेतन से आय 83 लाख रुपए मिले जबकि इसी अवधि में इसने करीब 10 करोड़ 63 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए. इस तरह आय में 12 गुना से ज्यादा इजाफा पाया गया. बताया जाता है कि पूर्व डीएसपी की संपत्ति नोएडा प्राधिकरण के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह से दोगुनी से ज्यादा है. 954 करोड़ रुपए के घोटाले में जेल में बंद पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह के खिलाफ आय से 512 फीसदी ज्यादा संपत्ति निकली थी. वहीं हर्षवर्धन भदौरिया के पास आय से 1178 फीसदी ज्यादा संपत्ति होने का पता चला है.

पूर्व डीएसपी भदौरिया ने 2017 में रिटायरमेंट से पहले ही वीआरएस ले लिया था. एंटी करप्शन ब्रांच को भदौरिया की कई अन्य स्थानों पर बेनामी संपत्ति होने की जानकारी मिली है जिसकी जांच की जा रही है. यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार में पूर्व डीएसपी का नोएडा विकास प्राधिकरण में ऐसा रसूख था कि कोई अफसर इसके फैसले के खिलाफ नहीं जाता था. जब सपा सरकार बदल गई तो उसके ऊपर कार्रवाई के बादल मंडराने लगे. लिहाजा उसने रिटायरमेंट से 4 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था. मगर इसे तुरंत मंजूर नहीं किया गया.

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पूर्व डीएसपी हर्षवर्धन भदौरिया की सेक्टर-47 में आलीशान कोठी है. इसे मिनी ताजमहल की तर्ज पर बनावाया गया है. इसमें 24 घंटे प्राइवेट सुरक्षा गार्डों की तैनाती रहती है. कोठी की देखभाल में 15 से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं. इसके अलावा भी नोएडा के कई इलाकों में भी संपत्ति है. एक प्राइवेट स्कूल भी चल रहा है. नोएडा के विभिन्न इलाकों में कई दुकानें चल रहीं हैं जिसका लाखों रुपए में किराया मिलता है.

पूर्व डीएसपी के कार्यकाल में पूरे नोएडा शहर की पार्किंग की जिम्मेदारी इसी के पास थी. यह सामानों की खरीद का भी हेड था. हर्षवर्धन भदौरिया के 2012 से 2017 के राज में नोएडा की तमाम सड़कों पर पार्किंग के ठेके भूपेंद्र सिंह और भूप सिंह नाम के ठेकेदारों को दिए गए. आरोप लगे कि ये दोनों ठेकेदार हर्षवर्धन के रिश्तेदार हैं. इन्हें बिना किसी प्रक्रिया के ठेके दे दिए गए.

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अथॉरिटी में तैनात रहे डीएसपी हर्षवर्धन भदौरिया के राज में उसके सबसे नजदीकी सिपाही विनय उपाध्याय ने भी जमकर कमाई की. अपने अफसर के संरक्षण में सिपाही विनय उपाध्याय भी कुबेरपति बनने में पीछे नहीं रहा. सेक्टर-46 में कोठी खरीदने के साथ ही उसने कई जगह संपत्ति खड़ी कर ली.

विनय ही हर्षवर्धन की ओर से पार्किंग के ठेके आवंटन करने, अथॉरिटी के विभागों में करोड़ों की खरीद करने और अतिक्रमण रोधी अभियान चलाने का जिम्मा संभालता था. पद में सबसे छोटे स्तर पर होने के बावजूद हर्षवर्धन के साथ उसकी भी प्राधिकरण में तूती बोलती थी. प्राधिकरण में काम करने वाले इंस्पेक्टरों और अन्य अफसरों को विनय के कारनामों के बारे में पता था, लेकिन उसके दबदबे और हर्षवर्धन की राजनीतिक पहुंच की वजह से किसी ने उसके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटाई.

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नोएडा प्राधिकरण में तैनाती के दौरान हर्षवर्धन भदौरिया ने कई रिश्तेदारों को भी काम दिया. उन्हें विभिन्न पार्किंग सौंपने आदि के काम में लगाया जाता था. बताया जाता है कि इसी कारण अवैध पार्किंग चलाने का काम तेजी से फैला. उनका एक रिश्तेदार हरियाणा के फरीदाबाद का रहने वाला है. शहर के तमाम सेक्टरों में अवैध पार्किंग को लेकर कई बार केस भी दर्ज हुए थे.

हर्षवर्धन के खिलाफ तमाम शिकायतें की लेकिन मजबूत पकड़ की वजह से उनका कुछ नहीं बिगड़ा. दरोगा से डीएसपी पद पर पहुंचे हर्षवर्धन ने सेक्टर-57 बिशनपुरा में दो स्कूल खोले. लोगों ने आरोप लगाए कि ये स्कूल ग्राम सभा की जमीनों पर बनाए गए हैं. उन स्कूलों की बिल्डिंगों का निर्माण अथॉरिटी के ठेकेदारों से और फर्नीचर-बिजली का काम प्राधिकरण के ईएमई डिपार्टमेंट से करवाया गया. शिकायत के बावजूद उसका कुछ नहीं बिगड़ा. इसके साथ ही भदौरिया ने सेक्टर-47 में शानदार कोठी भी खड़ी कर ली.

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