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सुख-दुख

क्या स्वर्गीय कल्पेश याज्ञनिक का चरित्रहनन कर रहे हैं कीर्ति राणा?

नीरज याज्ञनिक-

श्री कीर्ति राणा जी… जो पूर्व में दैनिक भास्कर में कार्यरत थे, मेरे बड़े भाई कल्पेश यागनिक भी दैनिक भास्कर में ही कार्यरत थे… को लेकर एक तरफा मनगढंत व आपत्तिजनक बातें लगातार लिख रहे हैं।

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किसी भी बड़े संस्थान में नौकरी के दौरान ट्रांसफर सामान्य सी बात है… खुद कल्पेश भाई के अनेकों मर्तबा ट्रांसफर हुए थे, जो कभी खुद की या परिवार की मर्जी के बिना भी हुए होंगे।
राणा जी लिखते हैं… उन्होंने (ट्रांसफर को लेकर) पहले यहां का पूछा, फिर वहां का पूछा आदि इत्यादि अनेक बातें…। इसका एक पहलू यह भी तो हो सकता है… कि कल्पेश जी तो प्रयास कर रहे थे… उनके ऊपर बैठे लोगों को मंजूर नहीं था…? क्या कल्पेश भाई मालिक थे…?

यदि वे संस्थान में इतने ताकतवर थे ? और आपको पसंद नहीं करते थे तो वो आपसे पूछते ही क्यों ? सीधे ट्रांसफर ही नहीं कर देते…।

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कल्पेश भाई का सुसाइड केस साढ़े तीन वर्ष बाद अब कहीं जाकर आगे बढ़ने की कगार पर है… केस के पहले उनकी छवि कमजोर करने का प्रयास तो नहीं ये…???

या फिर कोई बड़ी साजिश…???

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साढ़े तीन वर्ष पश्चात सस्ती लोकप्रियता पाने व परिवार को मानसिक परेशान करने के इरादे से यह सबकुछ करने का प्रयास प्रतीत होता है।

अपने ट्रांसफर की कहानियों को लेकर सभी के पास कहानियां हैं… आपके पास भी होगी… लिखना है तो जीवित रहते लिख दो…! क्योंकि मुर्दे से लड़ाई सिर्फ कायर इंसान लड़ता है…।

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कल्पेश याज्ञनिक के भाई नीरज याज्ञनिक की फ़ेसबुक वॉल से.

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