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उत्तर प्रदेश

कानपुर में पत्रकार के संरक्षण में गरीब मरीजों की जेब पर सरेआम डाका

कानपुर (उ.प्र.) : मामला कानपुर के स्वरुप नगर स्थित गैस्ट्रोलीवर हॉस्पिटल का है, जहाँ प्रेस क्लब और एक बड़े अखबार से जुड़े पत्रकार के संरक्षण में इलाज के नाम पर सरेआम मरीजों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। पुलिस और नेता भी हास्पिटल प्रबंधन से मिले हुए हैं।

कानपुर (उ.प्र.) : मामला कानपुर के स्वरुप नगर स्थित गैस्ट्रोलीवर हॉस्पिटल का है, जहाँ प्रेस क्लब और एक बड़े अखबार से जुड़े पत्रकार के संरक्षण में इलाज के नाम पर सरेआम मरीजों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। पुलिस और नेता भी हास्पिटल प्रबंधन से मिले हुए हैं।

उरई निवासी रजनी देवी को 29 मार्च को लीवर की बीमारी के कारण भर्ती कराया गया था। दो दिन तक इलाज करने के बाद मरीज की हालत नाजुक कहकर डॉ. वी. के. मिश्रा ने उन्हें आईसीयू में भेज दिया, जिसमें प्रतिदिन 8,500 रुपए आईसीयू का चार्ज और 7 से 10 हजार प्रतिदिन के दवाई और इंजेक्शन गैस्ट्रो लीवर स्थित मेडिकल स्टोर से ही मंगानी पड़ी। जब भी रजनी के बेटे विपिन ने डॉ. वी के मिश्रा से पूछा तो उन्होंने केवल इतना कहा कि हालत नाजुक है, ज्यादा दिमाग न लगाओ, नहीं तो माँ मर जाएगी, फिर पैसा रख के क्या करोगे? बकौल विपिन, वो किसानी करता है। पांच दिन में पैसा फूँककर वह बुरी तरह टूट चुका है।

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कल विपिन से सुबह इंजेक्शन मंगाया गया, जो गैस्ट्रोलीवर में 820 रुपए का दिया गया। विपिन ने जब वही इंजेक्शन हैलट के सामने से माँ केमिस्ट एंड सर्जिकल से लिया तो उसे वो 350 रुपए में मिला। जब विपिन  ने जाकर वीके मिश्रा से इसकी शिकायत करनी चाही तो उन्होंने उससे कहा कि यहाँ से लेना हो तो लो, नहीं तो मरीज को कहीं और ले जाओ और उसकी माँ को आईसीयू से बाहर करते हुए ये लिखवा लिया कि अगर मेरी माँ को कुछ होता है तो मै स्वयं जिम्मेदार होऊंगा। 

विपिन ने रात में धमकियों से परेशान होकर एक बजे 100 नंबर  पर फोन कर पुलिस को बुला लिया लेकिन पुलिस से भी सांठ – गांठ के चलते कोई हल नहीं निकला। जब एस.आर.न्यूज़ ने इस मामले को उठाया तो रात से सुबह तक  मरीजों को वहां से भगाना शुरू कर दिया गया। जानकारी के अनुसार सुबह तक 5 मरीजों को वहां से रिफर कर भगाया जा चुका था।

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हमने इस बाबत जब गैस्ट्रोलीवर हॉस्पिटल के डॉ वी.के.मिश्रा से बात करनी चाही तो वहां के मैनेजर ने हमारे पत्रकारों से अभद्रता करनी शुरू कर दी। मामला बढ़ने पर डॉ. वी.के.मिश्रा ने कहा कि हमारी थाने और कथित प्रेस क्लब के अध्यक्ष से बात हो गयी है। बहुत देखे हैं तुम जैसे पत्रकार। जो करना हो, कर लेना। कहीं नहीं छपेगा, न ही कोई छापेगा।

डॉक्टर के बयानों से तो लगता है कि जैसे चंद कथित पत्रकारों और पुलिस के संरक्षण में ही मरीजों से लूट का ये गोरखधंधा काफी समय से चल रहा है और रोज इसी प्रकार से मरीजों को लूटा जाता है और फिर होता है लूट की रकम का बन्दर बाँट, जिसका एक बड़ा हिस्सा तथाकथित संरक्षण देने वाले पत्रकारों और पुलिस को भी जाता है। शायद इसी लिए न तो पुलिस कोई कार्रवाई करती है, न तथाकथित पत्रकारों और नेताओं के दबाव में कोई समाचारपत्र छापता है। उपरोक्त संरक्षण के कारण ही गैस्ट्रोलीवर हॉस्पिटल का स्टाफ और डॉक्टर बेख़ौफ़ होकर मरीजों को लूट रहे हैं और बांट-बखरा न लेने वाले पत्रकारों से भी अभद्रता करने से नहीं चूक रहे हैं। अब देखना ये है कि प्रशासन क्या हॉस्पिटल के ऊपर कोई कार्रवाई करता है या फिर कथित पत्रकारों से संरक्षित ये हॉस्पिटल ऐसे ही फलता- फूलता रहेगा और पिसते रहेंगे गरीब।

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0 Comments

  1. Dumpy

    April 8, 2015 at 11:12 am

    The same thing happened with me in the same hospital. They loot the patience till the time he/she gets die.
    I had to get my sister admitted 2 years ago, before admitting the patient I checked with doctor and inquired about the tentative budget which they told me maximum 10-15 thousands. We submitted Rs 6000 in advance and just after admitting the patience, doctor started treatment. Just after 2 days, they started making bill of Rs 4000- Rs 13000 everyday. Not only this, they created the worst situation for the patient and after 5 days, they asked us to transfer the patient to ICU and which would cost around Rs 20000/day.
    We refused to do that then doctor asked to bring back the patience as it can’t be treated normally. I approached the head of the hospital and told the problem and our financial condition. Sr Doctor checked the patient and told us that the Jr doctor has given some very high power medicine which resulted the patience condition worst.
    We believed & requested Sr Doctor to help and advise what to be done, he listened to us for sometime and said, either to admit in ICU or bring back the patience. We we just shocked to all these because everyone, including him, was involved in that scam.
    We asked to release our patient on 10th day with more worst situation and they gave another shock by handing over a bill of Rs 40,000 again, while we had already paid almost Rs 60000 till 9th day. We had a big dispute but finally had to pay the amount with tears.

    That day we realized how this cheap and fraud this hospital is and how badly we were scammed.

    Beware of Gastro lever Kanpur !!

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