14 अक्टूबर की सुबह नास्तिक सम्मेलन में शामिल होने को वृन्दावन के लिए निकला था और करीब 11 बजे वहाँ पहुँच भी गया था। लेकिन श्री बिन्दु सेवा संस्थान के परिसर में जाने का रास्ता लगभग पौन किलोमीटर पहले अटल्ला चौकी पर ही अवरुद्ध कर दिया गया था। गलियों में हो कर वहाँ पहुँचा तो हालात देख कर स्तब्ध रह गया।
वृन्दावन जो मिथकीय कृष्ण की रासलीला के लिए प्रसिद्ध है। जहाँ हजारों नहीं लाखों भक्तगण निरन्तर जाते रहते हैं, हजारों सदैव मौजूद रहते हैं वहाँ भारतीय संस्कृति उस के उच्चतम मानदंडों के मुताबिक दृष्टिगोचर होनी चाहिए, उस का जो रूप हमें देखने को मिला वह अत्यन्त निन्दनीय और त्याज्य था।
तीन दिन संस्थान, वृन्दावन और मथुरा में गुजरे। वह लम्बी दास्तान है। बहुत अजीज और जहीन व्यक्तियों से मित्रता हुई। नास्तिक सम्मेलन न हमारे मंसूबों जैसा हुआ और न ही उन के मंसूबों जैसा जिन्हों ने इसे नष्ट कर डालने का बीड़ा उठाया था। लेकिन आघातियों ने नास्तिकों की इस आपसी मिलन की घटना को स्मरणीय और देश भर में चर्चित बना दिया।
रात ही लौटा हूँ और तीन दिनों के काम एक दम सामने हैं। इस कारण आज बहुत व्यस्त रहूंगा। हो सकता है शाम को कुछ समय मिले। वृन्दावन की दास्तान विस्तार से लिखने की इच्छा है। जैसे जैसे समय मिलेगा लिखूंगा।
अभी इतना कह सकता हूँ कि वहाँ वृन्दावन में पौराणिक कंस जैसा व्यक्तित्व जीवित और सक्रिय मिला जिस ने इस सारे उत्पात में नेतृत्वकारी भूमिका अदा की, वह अकेला था जो इस सम्मेलन को नष्ट करने के लिए सब कुछ कर रहा था जो वह कर सकता था। वह वहाँ का सिटी मजिस्ट्रेट राम अरज यादव था।
रायपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेशराय द्विवेदी की एफबी वॉल से.
Abhishek singh
June 21, 2017 at 12:02 pm
राम अरज यादव एक नेक दिल , कर्मठ और सत्यनिष्ठ अधिकारी है ।
पूरा मथुरा उनकी तारीफ करता है ।
पूरा मथुरा उनसे दिल से जुड़ा है और उनके साथ खड़ा है ।