Samar Anarya : विडंबना: 11 स्त्रियों द्वारा यौन हिंसा के आरोपी मोदी के छुटभैये मंत्री एम जे अकबर ने बस एक के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का मामला दाखिल किया- प्रिया रमानी के जो पहली थीं। बड़ी विडंबना: यह उसने उस राजन करंजवाला की लॉ फ़र्म द्वारा किया जो ख़ुद मी टू में फँसा है!
Irony: MJ Akbar, accused of sexual harassment by 11 women, just filed a defamation case against only one- journalist Priya Ramani- the first to out him. Bigger Irony: He did it through Rajan Karanjawala’s law firm despite Karanjwala himself having been outed in metoo.
हर्ष वर्धन त्रिपाठी : MJAkbar ने Priya Ramani पर मानहानि का दावा दायर कर दिया। मोदी जी अकबर तो मामला जीत जाएंगे, क्योंकि वहां सबूत-गवाह चलेंगे, लेकिन जनता की अदालत में तो सबूत-गवाह नहीं चाहिए। जनभावना एमजे के खिलाफ है, समझिए इसे।
Sheetal P Singh : अकबर ने रिकार्ड 97 वकीलों की फ़ौज लेकर एक लड़की प्रिया रमानी पर मानहानि का मिसाइल दागा! पटियाला हाउस कोर्ट की रजिस्ट्री में परिवाद दाख़िल!
Om Thanvi : आहत और शिकायतज़दा औरतों को मुक़दमे से डराने-धमकाने निकले एमजे अकबर को चुनावी एजेंडा लगती है मी-टू की मुहिम। उन्होंने अपने साथ काम कर चुकीं पत्रकार प्रिया रमानी पर मुक़दमा ठोक दिया है। सैकड़ों महिलाएँ – जिनमें कम से कम 12 ने ख़ुद को अकेले अकबर से पीड़ित बताया है – क्या महज़ एक चुनाव लड़ने के लिए अपनी पीड़ा की आपबीती, और दुनिया के सामने अपना नाम, दावँ पर रखेंगी? कहना न होगा, मंत्री की यह मुक़दमेबाज़ी समान आरोपों से ग्रस्त अन्य हस्तियों को भी अपने अनुभव उठाने वाली महिलाओं को अदालत में घसीटने को प्रेरित करेगी। फिर मेनका गांधी ने शिकायतों की पड़ताल के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाने की बात की थी, उसका अब क्या होगा जब मंत्री को ही समिति की जाँच पर एतबार नहीं? क्या अकबर के कल के चुनावी एजेंडे वाले बेतुके बयान को उनकी बॉस, स्त्री विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, की सम्मति हासिल थी? कल अकबर आख़िर किसकी अनुमति से वह सब बोले हैं? क्या कामकाजी स्त्रियों द्वारा यौन उत्पीड़न के मामले में बड़े नामों को उजागर करने के अपूर्व साहस को केंद्र सरकार क्या वाक़ई चुनावी हथकंडा समझती है? बेटी बचाओ के जुमले का अजब मोड़ है!
सौजन्य : फेसबुक
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