ये कहानी कशिश न्यूज़ चैनल की है. बिहार-झारखंड का रीजनल चैनल है ये. इस चैनल के प्रबंधन ने 8 महीने की बकाया सेलरी मांगने वाले अपने 22 कर्मचारियों को बिना पैसे दिए बाहर निकाल दिया है.
इस चैनल के मालिक विधायक सुनील चौधरी हैं. कर्मचारियों ने चैनल के मालिक उर्फ सीएमडी को वाट्सअप मैसेज भेजकर सैलरी में से कुछ पैसे फिलहाल देने की अपील की है ताकि आत्महत्या करने की नौबत ना आ पाए. पर मालिक तो मालिक होता है क्योंकि उसका दिल नहीं होता. इसलिए सुनील चौधरी का भी दिल नहीं पसीजा. इनने आश्वासन देना तो दूर, किसी कर्मचारी के मैसेज का जवाब तक नहीं दिया.
इस चैनल के संपादक संतोष सिंह हैं जो फेसबुक पर संवेदना और सरोकार से संबंधित लंबी लंबी पोस्ट लिखते रहते हैं और इनके लिखे को एनडीटीवी वाले रवीश कुमार शेयर करते रहते हैं. ये दोनों लोग इन 22 मीडियाकर्मियों के साथ हुए अन्याय के बारे में एक लाइन फेसबुक या ट्विटर पर नहीं लिख सके हैं.
पता चला है कि चैनल के संपादक संतोष सिंह ने पटना और रांची ऑफिस के कर्मचारियों के अकाउंट में दस से पंद्रह हजार रुपये तक डलवा दिया है. सिर्फ रांची ऑफिस के चार लोगों को पैसे नहीं दिए गए है. ये वे लोग थे जिन्होंने सैलरी के लिए आवाज उठाई थी. आरोप है कि संपादक के इशारे पर इन चार लोगों की सैलरी रोक कर इन्हें भूखे मारने की साजिश रची गई है.
जिन कर्मचारियों ने 8 महीने तक कर्ज लेकर और बैंक में रखे पैसों को यह सोच कर खर्च किया कि कंपनी एक दिन उन्हें पैसे दे देगी, लेकिन पूरी तरह कंगाल बनाने के बाद पैसे देना तो दूर कंपनी ने उन्हें काम से ही हटा दिया. वह भी बिना किसी कागजी करवाई के. जब इन चार कर्मचारियों ने प्रबंधन से पैसे मांगे तो उन्हें कहा गया कि आपकी सेवा समाप्त हो चुकी है और जब फंड आएगा तब सैलरी मिलेगी.
बता दें कि जिन लोगों ने 2 साल पहले चैनल छोड़ा है या जिन्हें हटाया गया है आज तक उन्हें सैलरी नहीं मिली. मतलब साफ है फंड की बात कह कर प्रबंधन कर्मचारियों के हक के पैसों को डकारने की कोशिश कर रहा है.
प्रबंधन एक तरफ पैसे की किल्लत की बात कह कर्मचारी हटा रहा है वहीं चैनल चलाने के लिए नए कर्मचारियों की बहाली कर ली है. वह भी एडवांस सैलरी देकर.
इस अन्याय पर कौन बोलेगा, कौन लिखेगा?
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.