Yashwant Singh : दिल्ली में केजरीवाल का सीएम बनना इसलिए जरूरी है ताकि लोकतंत्र बचा रहे. कांग्रेस ने करप्शन के कारण तो वामपंथियों ने खुद के अहंकार की वजह से अपने आप को नष्ट कर लिया है. ऐसे में देश में कोई स्मार्ट और धारधार विपक्ष लगभग न के बराबर है. केजरीवाल और उनकी पार्टी के दिल्ली राज्य में बहुमत में आ जाने से इतना तो हम सबको संतोष रहेगा कि ये भाई और उनकी पार्टी कुछ न कुछ खुराफात करेगा, और वह खुराफात सच में जनहित में होगा.
अतीत के अनुभवों के आधार पर कह सकता हूं. केजरीवाल के लिए खोने के लिए कुछ नहीं है. वो जो खोना था खो चुके हैं. अब उन्हें हमें आपको ठेल कर दिल्ली का सीएम बना देना है ताकि वह मोदी भाई साहब की सरकार के लिए सच्चा विपक्ष बन सकें. पप्पू पर मुझे कभी भरोसा नहीं रहा है और कांग्रेस जैसी गलीज़ पार्टी को तो आजादी के बाद ही खत्म कर देना चाहिए था, गांधी जी के कहे अनुसार. इसलिए भाइयों, दिल्ली विधानसभा के लिए मेरा वोट केजरीवाल और आप पार्टी को. बाकी, लोकतंत्र है, आप अपनी मर्जी के मालिक हैं. इतना कह सकता हूं कि जो मैं कह लिख रहा हूं, एक बड़े तजुर्बे और अनुभव के बाद लिख रहा हूं. भारत में सच्चा लोकतंत्र बनाए रखना है तो केजरीवाल और आप को बहुमत दिलाना है. बाकी तो जो है सो हइये है 🙂
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भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.
rajkumar
December 27, 2014 at 11:38 am
yaswant ji, ngo ke nam par sarkari v videsi paise par chalne vale parjivi ki aukat to loksabha ke chunav me janta ne batadi, Anna Hazare ke pith me chhura ghopne vale kejrival ki bachi hui ijjat ki bhi bhad pitnevali h, Asutosh v asish khetan jaise dalal patrkar jis ke senapati ho to bhagwan bhi chahe to inko jit nahi dila sakta,
Pranshu
December 27, 2014 at 4:03 pm
Ek baat toh hai, aapka yeh blog bhadas4media se “media4aap” banta jaa raha hai.
arun srivadtsva
December 28, 2014 at 5:14 pm
Sahee kaha yashwant Bhaee.mai bhee pahle CPM me thaa .. Asp kee koee vichardhaaraa nahee hai lemon hain achchhe log..
sudarshi
January 12, 2015 at 5:24 pm
आपकी बात से सहमत हुआ जा सकता था अगर वास्तव में केजरीवाल ईमानदारी दिखाते हुए अपने पाजामे में रहता। एक बार सरकार बनाने के बाद अगर वह ईमानदारी से सरकार चलाकर दिखाता और जनता के सामने एक नजीर पेश करता तो वह वास्तव में मौजूदा राजनीतिज्ञों के लिये एक बडी चुनौती होता। लेकिन वह अपनी क्षुद्र लालच के चलते जो था उसे भी गंवा बैठा। आप भले ही कुछ कहें. आम जनता अच्छी तरह समझ गई थी कि वह प्रधानमंत्री बनने के लिये जनलोकपाल जैसे मामूली मुद्दे पर सरकार छोड गया। पता नहीं आप कैसे उसका समर्थन कर रहे हैं जबकि वह पूरी तरह घाघ राजनीतिज्ञ में तब्दील हो चुका है। इसका सबसे बडा प्रमाण है खुद की जाति बताना। लोग उसे जाति के आधार पर नहीं उसकी ईमानदारी से प्रभावत थे। लेकिन दिल्ली में बनिये ज्यादा हैं तो उसने अपनी जाति बता दी। मुझे नहीं लगता कि केजरीवाल का आगे कोई राजनीतिज्ञ भविष्य है।