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पंजाब केसरी के संपादक अश्विनी कुमार ने अनुवाद कर परिवार का पेट पाल रहे पत्रकार के साथ की धोखाधड़ी (पार्ट एक)

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आदरणीय यशवंत जी

संपादक

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम। 

यशवंत जी मेरे साथ हुई धोखाधड़ी के एक मामले की जानकारी आपको देना चाह रहा हूं, इस निवेदन के साथ कि आप इसे अपनी प्रतिष्ठित साइट पर प्रकाशित करें, ताकि मेरे साथ न्याय हो सके।  मैं दिल्ली में ट्रांसलेशन एजेंसी चलाता हूं। मैने पंजाब केसरी के संपादक अश्विनी कुमार द्वारा लिखित पुस्तक ‘क्या हिंदुस्तान में हिंदू होना गुनाह है’ का भारत की नौ विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करवाया है। लेकिन मुझे करीब एक साल बाद भी पूरा भुगतान नहीं मिला है। ट्रांसलेशन के संबंध में मुझसे हिंदू साहित्य सभा के पदाधिकारी महेश समीर ने संपर्क किया था, जो कि पुस्तक का संपादक भी है। उस समय समीर ने यही कहा कि धन की कोई कमी नहीं है और पूरा भुगतान सही समय पर होगा। इसी कारण मैंने कुछ एडवांस भी नहीं लिया।

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आदरणीय यशवंत जी

संपादक

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भड़ास4मीडिया डॉट कॉम। 

यशवंत जी मेरे साथ हुई धोखाधड़ी के एक मामले की जानकारी आपको देना चाह रहा हूं, इस निवेदन के साथ कि आप इसे अपनी प्रतिष्ठित साइट पर प्रकाशित करें, ताकि मेरे साथ न्याय हो सके।  मैं दिल्ली में ट्रांसलेशन एजेंसी चलाता हूं। मैने पंजाब केसरी के संपादक अश्विनी कुमार द्वारा लिखित पुस्तक ‘क्या हिंदुस्तान में हिंदू होना गुनाह है’ का भारत की नौ विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करवाया है। लेकिन मुझे करीब एक साल बाद भी पूरा भुगतान नहीं मिला है। ट्रांसलेशन के संबंध में मुझसे हिंदू साहित्य सभा के पदाधिकारी महेश समीर ने संपर्क किया था, जो कि पुस्तक का संपादक भी है। उस समय समीर ने यही कहा कि धन की कोई कमी नहीं है और पूरा भुगतान सही समय पर होगा। इसी कारण मैंने कुछ एडवांस भी नहीं लिया।

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मुझसे कहा गया था कि पुस्तकें लोकसभा चुनाव के पहले चाहिए (मुझे नहीं पता कि इसके पीछे क्या एजेंडा था) लेकिन सभी पुस्तकें लोककभा चुनाव के पहले सौंप दी गईं थीं। हालात तब बदले, जब अचानक अश्विनी कुमार को बीजेपी ने करनाल से लोकसभा का टिकट दे दिया। शायद इसके बाद इन पुस्तकों की आवश्यकता महसूस नहीं हुई और तभी से बकाया दिए जाने में आनाकानी की जा रही है।  इस संबंध में मैंने अश्विनी कुमार की पीए से भी चर्चा की और उनका कहना है कि हमने पूरा पैसा महेश समीर को भुगतान कर दिया है। समीर का कहना है कि अश्विनी कुमार ने पैसे देने से ही इंकार कर दिया है। और इस चक्कर में मेरा पैसा अटका हुआ है।

मेरे पास इस संबंध में सभी मेल, टेलीफोन पर हुई चर्चा रिकार्ड कर रखी हुई हैं, जो कि  मैं आपको प्रस्तुत कर रहा हूं।  पुस्तक में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से भी अश्विनी कुमार की सपत्निक की गई मुलाकात का जिक्र है और चित्र भी। जानकारी राष्ट्रपति भवन भी भेजी जाएगी।  मैं इस मामले को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सरसंघचालक मोहन भागवत के स्तर पर ले जाउंगा, जिससे उन्हें भी जानकारी मिले, कि उनके नाम पर कैसा-कैसा धोखा दिया जा रहा है। भागवत के अश्विनी कुमार से काफी अच्छे संबंध हैं और मैं दोनों का चित्र भी आपको प्रेषित कर रहा हूं।

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इसके अलावा प्रधानमंत्री, जो कि बीजेपी सांसदों से बेहतर आचरण की उम्मीद करते हैं, के दफ्तर सहित राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी सहित कई मंचों पर मामला उठाउंगा। आवश्यकता पड़ी तो कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।  मेरे पास इस पूरे प्रकरण को लेकर कई किश्तों की सामग्री है, जिसे सिलसिलेवार प्रकाशित किया जा सकता है मसलन इस पुस्तक के पीछे का राजनीतिक उद्देश्य, पुस्तक के नाम पर किया गया खेल, राज्यसभा की थी कोशिश, लेकिन लोकसभा का टिकट मिलना, हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने का सपना. केंद्रीय मंत्री बनने की कोशिश, समीर द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल के खिलाफ किए षडयंत्र आदि कई मुद्दों पर विस्तार से लिखा जा सका है।   मैं आपको मेरे द्वारा अश्विनी कुमार को प्रेषित दो मेल भी भेज रहा हूं। कुछ चित्र भी संलग्न हैं।

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…. जारी ….

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धन्यवाद सहित

योगेश जोशी

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[email protected]

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0 Comments

  1. sharad vajpayee

    September 29, 2014 at 1:42 pm

    पंजाब केसरी का यूं भी कर्मचारियों का पैसा हड़पने का रिकार्ड रहा है। इस अखबार के खिलाफ इस मुद्दे पर जो भी कार्रवाई हो सकती हो, की जानी चाहिए। लगता है कि यह पुस्तक हिंदुत्व के नाम पर दुकानदारी चलाने के लिए छापी और अनुवादित कराई गई गई है। पुस्तक में जिस तरह आरएसएस प्रमुख का चित्र है, मामला गंभीर दिखाई दे रहा है।

  2. shashank yadav

    September 29, 2014 at 1:51 pm

    ये कुछ तत्व हैं जो कि राजनेताओं और संघ के नेताओ से अपने रिश्ते भुनाने के लिए पुस्तकों का सहारा ले रहे हैं। मेरी जानकारी के अनुसार,कोशिश तो राज्यसभा की की जा रही थी, लेकिन बिल्ली के भाग्य से छींका फूटा और जनाब लोकसभा में चले गए। कोशिशें अब भी जारी हैं। और यह हिंदू साहित्या सभा है क्या? ऐसे तत्वों का खुलासा जरूरी है।

  3. ramakant singh

    September 29, 2014 at 1:53 pm

    khul kar ladiye aise tatvo se, hum aapke saath hai.

  4. सिकंदर हयात

    September 29, 2014 at 5:31 pm

    लगे हाथ मेरे भी छपे तीन हास्य व्यंगय का हिसाब किताब साफ़ हो जाता तो कैसा रहे ?

  5. srikant shrivastava

    September 30, 2014 at 1:10 am

    मोटी भले ही पूरी सरकार को साफ और स्वच्छ दिखाने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन इस तरह के हिंदूवादी नेताओं का क्या, जिनका कोई ईमान नही है। मजेदार बात है कि फोटो स्वामी के साथ भी है, जिन्होंने भ्रष्टाचार के कई मामलों में मामले दायर किए हैं।

  6. ashish deshpremi

    October 1, 2014 at 2:14 pm

    Sharam aani chahiye …. in do muh ks netao ko …. jo akhbar malik bhi hai aur neta bhi ……… aab yaha koshish cm pad ke liye kar raha hai ……

  7. राजेश विश्वकर्मा

    October 2, 2014 at 1:18 am

    यह हिंदू साहि्त्य सभा क्या है …. अब साहित्य भी हिंदू और मुस्लिम के होने लगे। इन्हें कोई समझाए, साहित्य समाज का होता है, धर्म का नहीं।

  8. सत्य पारीक

    October 4, 2014 at 5:29 am

    मैने पंजाब केसरी की चार पीढियों लाला जगतनारायण , रमेशजी , अश्वनी जी , आदित्य जी के साथ सन १९७५ से लेकर २०१३ तक काम किया , इस दोरान मुझे एसी कोई खामी नहीं लगी जिसमे किसी के पैसे हडपने या ब्लेकमेल करने की बात आई हो , लाला जी का परिवार विशुद्ध राष्ट्रवादी और देश की एकता , अखंडता के लिए मर मिटने वाला हे इसी कारण इस परिवार के दो अमर शहीद हुए , किसी को बदनाम करना उचित नही , किसी की राजनितिक महत्वकांक्षी होना कोई गलत नहीं ,

  9. anurag annu

    October 4, 2014 at 10:05 am

    सत्यपारिख जी,
    राजनीति महत्वाकांक्षा बिलकुल बुरी बात नही है, लेकिन किसी के जायज पैसे न देना पूरी तरह अनुचित है। क्या हिंदुस्तान में हिंदू होना गुनाह है? शीर्षक से ऐसा लगता है कि पुस्तक राजनीति में हित साधने के लिए प्रकाशित की गई है। मुझे तो अगली किश्तों का इंतजार है, देखते हैं क्या खुलासा होता है हिंदू साहित्य सभा और अश्विनी कुमार चोपड़ा का।

  10. सत्य पारीक

    October 5, 2014 at 5:15 am

    अनुराग जी ,

    क्या आप कोई ऐसे मिडिया हॉउस का नाम बता सकतें हें जो स्वहित से हट कर खबर लिखता या दिखता हो ? इस क्षेत्र का मुझे चालीस साल का अनुभव हे , केवल देश समाज हित की पत्रकारिता आजादी से पहले थी अब नहीं होती ,

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