मामला कोर्ट में होने के बावजूद सत्ता की ताकत दिखाने का प्रयास
खोजी पत्रिका दृष्टांत की खबर से बौखलाये उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना तथा उनके विभाग की भी जिम्मेदारी संभालने वाले अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी हर उस स्तर पर जाने को तैयार हैं, जिसे लोकतंत्र में दमन कहा जाता है. खुलासे से बौखलाये सतीश महाना दृष्टांत मैगजीन पर मानहानि का मुकदमा करने या कोई नोटिस देने की बजाय पत्रिका और उसके संपादकीय लोगों की जांच कराने का आवेदन सरकार से किया और अवनीश अवस्थी के नेतृत्व वाले गृह विभाग ने एसआईटी जांच के आदेश जारी करा दिये.
जब दृष्टांत ने इस मामले को कोर्ट में चुनौती दी तो कोर्ट ने इस प्रताडि़त करने वाला कदम बताते हुए यूपी सरकार से एक सप्ताह में जवाब मांगा, लेकिन इसी बीच कोरोना का मामला आ जाने के चलते गतिविधियां प्रभावित हो गईं. सरकार की तरफ से जवाब देने की बजाय एक बार फिर दृष्टांत और उससे जुड़े लोगों को परेशान करने का प्रयास शुरू कर दिया गया. इसी क्रम में एसआईटी की टीम दृष्टांत का प्रकाशन करने वाले प्रेस पर पहुंचकर पूछताछ शुरू कर दी. प्रेस मालिक पर पत्रिका ना छापने का दबाव बनाये जाने का प्रयास किया गया.
मामला कोर्ट में होने के बावजूद अपर मुख्य सचिव के दबाव में एसआईटी की टीम दृष्टांत का प्रकाशन और उसकी टीम को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह पत्रकारों के दमन पर उतर गई है. अधिकारियों और नेताओं के भ्रष्टाचार पर कलम चली नहीं कि संबंधित लोगों को परेशान एवं प्रताड़ित करने का कुचक्र शुरू हो जाता है. एफआईआर लिखना भी आम बात हो गया है. दृष्टांत के मामले में भी ऐसा ही किया गया.
नियमत: अगर खबर गलत थी तो मानहानि का मुकदमा किया जा सकता था, या कोर्ट में चुनौती दी जा सकती थी, लेकिन सतीश महाना एवं अवनीश अवस्थी की टीम ने नियमों को दरकिनार करने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एसआईटी के नाम पर संपादकीय टीम को जेल भेजने का कुचक्र रच दिया. खुलासों पर कार्रवाई करने की बजाय खुलासा करने वालों को ही प्रताड़ित किया जा रहा है. मामला कोर्ट में है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार दृष्टांत की टीम को परेशान करने का हर संभव प्रयास कर रही है.
Kamal garg
July 21, 2020 at 7:57 am
मीडिया जगत का तो काम ही है सच्चाई को सामने लाना।सच्चाई के रास्ते पर कठिनाई तो आती है, इससे विचलित नहीं हो कर,दुगुने जोश से काम करना है।