Dayanand Pandey : राजदीप सरदेसाई को शहीद बता कर उन को सर चढ़ा लेने वाले मित्र एक बार इस लिंक को ज़रूर देखें। उलटा चोर कोतवाल को डांटे वाली बात समझ में आ जाएगी। राजदीप ने कितने दिनों तक अंबानी की दलाली की है आईबीएन7 में और कितनों के पेट पर लात मारा है, क्या यह भी लोग भूल गए हैं? खैर उनकी ताज़ा गुंडई के दीदार करें! goo.gl/7lPcEp
Rajkishor : पत्रकार के साथ हाथापाई गलत है, लेकिन अगर पत्रकार यही काम करे तो..? तीखे सवाल पूछने का हक पत्रकारों को उनके काम की जरूरत के लिए मिला है। यह कोई विशेषाधिकार नहीं। आप निष्पक्ष होकर अपना काम करें तो ही इज्जत मिलेगी। जाहिर है कि मर्यादा तो पत्रकार महोदय की भी है। अमेरिका में राजदीप सरदेसाई के साथ मोदी समर्थकों की हाथापाई पर तमाम साथी बेहद व्यग्र और उग्र हैं। जब तक पूरा वीडियो नहीं देखा, मुझे भी यह विचलित कर रहा था। पूरा वीडियो देखने के बाद राजदीप का जो असली चेहरा सामने आया वह ज्यादा दुखद और शर्मनाक है। जरा सी हूटिंग बर्दाश्त नहीं कर पाने पर राजदीप ने ही मोदी समर्थक पर हाथ छोड़ा। इसके बाद धक्कामुक्की हुई। यहां तक जो हुआ, उसे भी जाने दें तो राजदीप ने पूरे घटनाक्रम की गलत रिपोर्टिंग भी की। ऐसा दिखाया कि मोदीभक्तों ने उनके ऊपर हमला कर दिया। वैसे मोदी के अंध समर्थक जितने आक्रामक हैं, उससे यह लोगों को बहुत अस्वाभाविक भी नहीं लगा। मगर वीडियो कुछ और कहता है। इस घटना को पत्रकार या पत्रकारिता पर हमला मान रहे साथियों से इल्तिजा है कि एक बार वीडियो जरूर देखें। goo.gl/7lPcEp
Vyalok Pathak : मैं बचपन से कहता आ रहा हूं कि थोड़ी देर ठहरकर प्रतिक्रिया देना बहुत अच्छा होता है। अब, जिस एक व्यक्ति की पिटाई की बड़ी चर्चा हो रही है, मैडिसन स्क्वायर पर, उसको लेकर दो-तीन सवाल। 1. हालांकि, आज की तारीख़ में कोई पत्रकार है, इसी पर मुझे संदेह है….बड़ेवाले तो प्रबंधक, मैनेजर या दलाल हैं और जो छोटे हैं, वे क्लर्क, किरानी, कर्मचारी या अधिक-से अधिक आइटी कर्मचारी हैं। फिर, इसके पत्रकार होने का दावा क्यों किया जा रहा है? 2. जिस तथाकथित विक्टिम के पत्रकार होने की चर्चा की जा रही है, वह शायद वही व्यक्ति है न, जो एक स्टिंग खा गया था। जिसने 300 कर्मचारियों की नौकरी खा ली थी और जिसने अपनी ‘शानदार’ कमाई से करोड़ों का बंगला खरीदा है। क्या, उसके आय के स्रोत की जांच हुई? 3. क्या हा हुसैन करनेवालों ने पूरा वीडियो देखा? क्या उनको पता है कि तथाकथित विक्टिम ने लोगों को उकसाया, गाली दी और यहां तक कि हाथापाई भी की? और, आखिरकार…. 4. जब पूरा वीडियो आ गया है, तो क्या मर्सिया पढ़नेवाले सभी महात्माओं से यह उम्मीद की जाए, कि वे अपनी बात वापस लेंगे, माफी मांगेंगे और उस ‘विक्टिम’ का संस्थान उसको तत्काल प्रभाव से उसकी नौकरी से मुक्त करेंगा, उसे वापस बुलाएगा और उसका बहिष्कार करेगा? ऐसी कोई उम्मीद इनसे मुझे तो नहीं है… goo.gl/7lPcEp
(राष्ट्रीय सहारा के पत्रकार दयानंद पांडेय, दैनिक जागरण के पत्रकार राजकिशोर और छुट्टा पत्रकार व्यालोक पाठक के फेसबुक वॉल से.)
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भगवान दास सिंह
September 30, 2014 at 3:52 am
आपलोग सोचो, अखबार का कटिंग लेकर अरविंद केजरीवाल केवल भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार चिल्लाता था और इलेक्ट्रोनिक मीडिया उसके लिए बिस्तर की तरह 24 घंटे बिछी नजर आती थी। यहां एक Dr. Subramanian Swamy हैं! तमिलनाडु की मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार के मामले में ही चार साल की सजा दिलवा दी है, लेकिन मीडिया में कहीं भी स्वामी की उस तरह से चर्चा नहीं है। मीडिया में केवल मार्क्स की औलाद और शहरी माओवादी तबका ही चकल्लस तय करता है। मीडिया को चलाने वालों की सबूतों के आधार पर पोल खोलने की आज बहुत आवश्यकता है। राजदीप सरदेसाई जैसों ने जिस तरह से जमीर बेचकर पैसा कमाया है, उससे पत्रकारिता शुद्ध रूप से दलाली नजर आती है। #ArrestRajdeep
jitendra tiwari
September 30, 2014 at 9:27 am
राजदीप के स्वभाव में लोगों को उत्तेजित करना और पत्रकारिता की आड़ में संरक्षित जीव बन जाना | मुझे याद है जब सोनिया गाँधी ने प्रधानमन्त्री पद का त्याग करने की घोषणा की थी तब भी राजदीप वहाँ खड़े लोगों को नसीहत देने लगे | जब लोग उत्तेजित होने लगे तो गाली दी | परिणाम वही हुआ जो अमरीका में हुआ | ऐसा करके राजदीप अपनी फ्रस्ट्रेशन निकालते है | लगे हाथों चर्चा में भी आ जाते हैं | मोदी के साथ राजदीप भी गए, इसी बहाने कम से कम देशवासियों को तो पता लगा | रही बात पत्रकारिता के राजधर्म की, तो इस मामले में हम लोग एक दूसरे को कठघरे में न खड़ा करें तो ही ठीक है | गए जमाने जब जेब में इस्तीफ़ा रखकर धौंस के साथ पत्रकारिता के आदर्श बने घूमते थे | अब तो लाला की नौकरी बजा रहे हैं सब | कोई अम्बानी की तो कोई बिड़ला की, और कोई ऐरों गैरों की |