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सुख-दुख

खेती किसानी से संबंधित पत्रकारिता समेत कई कैटेगरी के पुरस्कारों पर मोदी सरकार ने गिरा दी गाज!

बृहस्पति पांडेय-

किसान आंदोलन रोकने में नाकाम भारत सरकार खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह कुछ नहीं कर पाई तो कृषि पत्रकारिता और किसानों को दिए जाने वाले अवॉर्ड को ही बंद कर दिया।

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भारत सरकार किसान आंदोलन से इतनी डर गई कि उसने उसे कुछ नहीं मिला तो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के स्थापना दिवस पर दिया जाने वाले वार्षिक पुरस्कारों में कटौती कर कई पुरस्कारों को पूरी तरह से बंद कर दिया। इसमें जहां किसानों को 31 पुरस्कार पिछले साल दिए गए थे उसे कम कर 7 तक कर दिया। बाकी किसान आंदोलन की खबर कवर करने वाले पत्रकारो का जब सरकार कुछ नहीं कर पाई तो उसने कृषि पत्रकारिता के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रिंट मीडिया हिंदी की श्रेणी सहित अंग्रेजी पत्रकारिता व सभी 6 चौधरी चरण सिंह कृषि अनुसंधान और विकास में उत्‍कृष्‍ट पत्रकारिता के लिए पुरस्कारों को पूरी तरह समाप्त कर दिया दिया।

जब मुझे पुरस्कारों को बंद किये जाने की जानकारी हुई तभी मुझे लग गया था कि सरकार ने इन पुरस्कारों को साजिश के तहत बंद किया होगा। क्यों कि कृषि वैज्ञानिकों के किसी भी पुरस्कार में कटौती नहीं कि गई है कटौती की गई तो किसानों के पुरस्कारों के बंद किया गया तो पत्रकारो के पुरस्कारों को।

इस मसले में जब मेरे द्वारा प्रधानमंत्री के ऑनलाइन पोर्टल पर पर शिकायत किया गया तो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के कार्यालय से पत्र प्रेषित कर मुझे बताया गया कि गृह मंत्रालय व केंद्रीय कृषि मंत्री के आदेशो के क्रम में इन पुरस्कारों को बंद किया गया है।

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अब सवाल यह उठता है कि कृषि मंत्रालय के पुरस्कारों को बंद करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखना पड़े तो निश्चित ही दाल में कुछ काला होगा। क्यो की न किसानों से देश से खतरा है ना ही पत्रकारो से । वैसे भी यह पुरस्कार उन किसानों को दिया जाता था जो खेती में कुछ नया करते थे। वैसे ही उत्कृष्ट कृषि पत्रकारिता का पुरस्कार ऐसे पत्रकारों दिया जाता रहा जो पत्रकार किसानों के हित मे तथ्यपरक और खोजपरक खबरें लिखते थे। यह तो था नहीं कि पत्रकार और किसान आतंकी थे जिसकी वजह से पुरस्कार बंद करना जरूरी हो गया था। पुरस्कार बंद करने के लिए गृहमंत्रालय का बीच में कूदना कई सवाल खड़ा करता है।

साल 2019 में हिंदी श्रेणी में कृषि पत्रकारिता के लिए “चौधरी चरण सिंह पुरस्‍कार” प्रदान किया गया था। यह पुरस्कार मुझे दुबारा नहीं मिलना है लेकिन मैं चाहता हूं उन सभी कृषि पत्रकारो को मौका मिले जो खेती बाड़ी के लिए अपनी पत्रकारिता के जरिये कुछ अच्छा करते है। मैं खुशनसीब हूँ कि बस्ती जनपद में यह पुरस्कार अभी तक 2 लोगो को मिल चुका है।

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पहले यह पुरस्कार बस्ती जनपद की शान और राज्यसभा टीवी में संसदीय मामलों के संपादक रहे आदरणीय Arvind Kumar Singh सर को प्रधानमंत्री Narendra Modi जी के हाथों प्रदान किया जा चुका है।

बदले की भावना से ओतप्रोत सरकार को अपने बदले की कार्यप्रणाली में बदलाव लाने की जरूरत है। क्यो की डर कर किसी चीज पर अपनी खुन्नस निकालना सरकार की कायरता का प्रतीक है।

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