मुकेश कुमार-
इससे ज़्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है कि किसान अपनी रोज़ी-रोटी की लड़ाई के लिए जान लड़ा रहे हैं और मीडिया उसे खालिस्तानियों से जोड़ रहा है, उनके आंदोलन में कई तरह की साज़िशें ढूँढ़ रहा है।
ज़ाहिर है कि ये नरेटिव बीजेपी मुख्यालय, आईटी सेल या सीधे गृह मंत्रालय से आया है और गोद लिए पत्रकार उसे विश्वसनीय बनाने की कोशिश करते हुए परोस रहे हैं।
सोचिए कितना घृणित है ये सब। वीभत्स। न कोई सरोकार, न कोई सहानुभूति। सिर्फ़ वासना से सने स्वार्थ और उसमें उछल-कूद करते एंकर-एंकरानी।
कनुप्रिया-
मीडिया कहता है पुलिस लाठी बरसा रही है, वॉटर कैनन चलाती है, वो यह नही कहता कि सरकार पुलिस से लाठियाँ बरसवा रही है. मानो पुलिस ख़ुद अपने मन से यह सब कर रही है. भले हमको सच पता हो मगर तथ्यों और तर्को के अलावा भाषा का असर भी पड़ता है. किसान पक्ष के लोग पुलिस को गालियाँ निकालते हैं और सत्ता समर्थक किसानों को. सत्ता व्यवस्था इसी तरह जनता को जनता से ही लड़वाती है, एक को दूसरे का गुनाहगार बनाती है.
सड़कों पर किसान का बेटा (पुलिस या फ़ौज) ही किसान के ख़िलाफ़ मोर्चा लेने भेज दिया जाता है, असल नीति निर्णायक अपने महलो में मोर नचाते हैं.
दीपंकर पटेल-
टीवी अपना एजेंडा कैसे सेट करता है देख लीजिए… किसान आन्दोलन का खालिस्तानी कनेक्शन निकाला जा चुका है.. अब अगर यूपी बिहार के किसानों के दिमाग में ये बात डाल दी जाय कि पंजाब हरियाणा के किसान तो देश विरोधी हैं… तो यूपी बिहार के किसान अपनी शिथिलता पर खुश रहेंगे.. बिहार के किसानों की हालत बेहद ख़राब है क्यों ख़राब है नहीं जानते.. पंजाब-हरियाणा का किसान “बुरे दिन” की आहट महसूस कर रहा है इसलिए सड़क पर है…..
तो क्या TV9 भारतवर्ष का नाम बदलकर TV9 सरकारवर्ष कर दिया जाना चाहिए? सरकार के किसान बिल से किसानों को क्या समस्या है इसपर बात नहीं हो रही?
कोरोना, भीड़, किसानों का मार्च, उपद्रव, सब पर बात करने से मन नहीं भरा, तो आखिर देश की 70 फीसदी खेतिहर जनता को किसानों के खिलाफ कैसे कर दिया जाता?
फिर टीवी9 भारतवर्ष किसानों का खालिस्तानी कनेक्शन निकालने लगा …!! क्या किसान बिना समस्या के खेती-बाड़ी छोड़कर खालिस्तानी इशारे पर आंदोलन कर रहे हैं? और अगर खालिस्तानी संगठन अभी भी इतना मजबूत बचा हुआ है कि वो किसानों को उनके मुद्दे से डायवर्ट कर दे तो.. सरकार क्या कर रही है? सुरक्षा एजेंसियां अब तक क्या कर रही थी?
किसानों के मार्च का खालिस्तानी कनेक्शन निकालकर “टीवी9 सरकारवर्ष” क्या खालिस्तानियों से देश बचाने निकला है?
क्या टीवी 9 फर्जी एजेंडा सेटिंग करके किसानों के आंदोलन के खिलाफ टीवी दर्शकों को खड़ा करना चाहता है? किसानों का आंदोलन है तो किसान बिल उसके किसानों के लिए क्या नफा-नुकसान हैं इसके बजाय खालिस्तानी झंडा मुद्दे में आ गया है?
क्यों “टीवी 9 सरकारवर्ष” क्यों?
Rohit Kashyap
November 28, 2020 at 12:56 am
जी आप से मैं सहमत हूं, यह गोदी मीडिया हराम का पैसा खा कर दर्शकों को गुमराह करते हैं और अन्नदाता किसान को खालिस्तानी साबित करने में जुटे हुए हैं |