Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

पत्रकारों व रीता बहुगुणा में दिमाग किसका खराब है, पाठक तय करें! देखें वीडियो

Manish Srivastava : रीता बहुगुणा जी! काश पत्रकारों का दिमाग वास्तव में खराब हो गया होता, क्या आप वाकई पत्रकारों में सबसे लोकप्रिय पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा की सुपुत्री हैं? हाल ही में सीतापुर में आयोजित जिला विकास योजना की समीक्षा बैठक का एक वीडियो वायरल हुआ। जिसमें उत्तरप्रदेश की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी पत्रकारों को अपना घरेलू नौकर समझते हुए ताव में बोल रही हैं… आपको किसने बुलाया, दिमाग खराब है क्या आप सबका.. यूपी में महज कैबिनेट मंत्री तक पहुंची असभ्यता की चौखट लांघ रहीं इलाहाबाद जैसे शिक्षित और सभ्य शहर में जन्मी श्रीमती रीता जोशी ये तक भूल गयी कि वो उत्तरप्रदेश के उन पूर्व आदरणीय दिवंगत मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की सुपुत्री हैं जिन्होंने यूपी समेत दिल्ली के पत्रकारों को इतना सानिध्य और सम्मान दिया मानो वो उनका परिवार थे।

पत्रकारों के बीच मे लोकप्रिय नेता श्री हेमवती बहुगुणा की पुत्री श्रीमती रीता जोशी सिर्फ मंत्री बनने पर सत्ता के गुरुर में ऐसी लाल-पीली हो गयी कि सार्वजनिक तौर पर पत्रकारों को बोल बैठी कि दिमाग खराब है क्या आपका? रीता जी वास्तव में पत्रकारों का दिमाग उस वक़्त खराब होना चाहिए था जब आपके भाई विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री रहते उत्तराखंड में उस क्षत्रपाल उर्फ सीपी सिंह को अवस्थापना विकास सलाहकार बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा और लालबत्ती की रेवड़ी बांटी गई थी जो राजकीय निर्माण निगम का एमडी रहते हज़ारों करोड़ के घोटालों से बेहिसाब अवैध कमाई करने का दोषी था। तमाम जांचें आजतक जारी हैं। स्मारक घोटाले का भी सबसे अहम खिलाड़ी था। पत्रकारों का दिमाग खराब होता तो वो कांग्रेसी नेता (महिला या पुरुष) बेनक़ाब होता, जिसने करोड़ों की पेशगी लेकर सीपी सिंह को ये पद दिलवाया था। पत्रकारों का दिमाग वास्तव में खराब होता तो उत्तराखण्ड में अरबों के ठेकों की दलाली करने में उस्ताद बड़का कांग्रेसी नेता सलाखों के पीछे होता। मुझे वास्तव में खुद पर भी शर्म आ रही है पत्रकारों का दिमाग इतना खराब क्यों नहीं हुआ। अगर हो जाता तो आज सरेआम यूं बेइज्जत न किये जाते।

काश पत्रकारों का दिमाग खराब हो जाता तो उत्तराखंड में 600 करोड़ से ऊपर का काला साम्राज्य बनाने वाला निर्माण निगम का इंजीनियर शिव आश्रय शर्मा आयकर छापों से पहले ही बेनक़ाब हो जाता कि आखिर विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री रहते किन ठेकों में किसने-किसने दलाली के सहारे उसे कुबेरपति बनाया और खूब माल कमाया था। रीता बहुगुणा जी आप तो जानती होंगी क्योंकि आप यूपी कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष भी रहीं हैं मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा की सगी बहन हैं। सुना है आपके बिना तो तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तराखंड रहे आपके भाई विजय बहुगुणा का पत्ता तक न हिलता था। इसलिए आपसे बेहतर कौन जानता होगा, लेकिन आप बताएंगी नहीं, क्योंकि दिमाग तो पत्रकारों के खराब हैं आप जैसे सत्तासीन बड़े मंत्रियों के थोड़े न। अफसोस रहेगा, कांग्रेस में आपके रहते पत्रकारों के दिमाग आखिर क्यों नहीं खराब हुए थे। मुझे वास्तव में बेहद दुख है कि आप अपने दिवंगत पिता के पद चिन्हों को सत्ता की लोलुप्तता में कोसों दूर छोड़ आईं हैं वर्ना आज आप कांग्रेस पार्टी को ही आगे बढ़ाने के लिए जमीनी संघर्ष कर रहीं होती। खैर पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर को छोड़ दें तो शायद ही आज तक कोई ऐसा मुख्यमंत्री आया, जिसके रिश्ते पत्रकारों से श्री हेमवती जैसे मधुर और सम्मानजनक थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

श्री बहुगुणा न सिर्फ मुख्यमंत्री रहते लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर स्थित चर्चित कॉफी हाउस में पत्रकारों के बीच जाकर चर्चा करते थे बल्कि एक-एक पत्रकार को नाम से जानते और बुलाते थे। सिर्फ यही नहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने अपने परिवहन मंत्री श्री राज मंगल पांडेय के जरिये न जाने कितने पत्रकारों को अपने कोटे से महीनों तक वेटिंग के बावजूद न मिलने वाली स्कूटरों को छूट के साथ दिलाया। तब स्कूटर की न सिर्फ महीनों वेटिंग रहती थी बल्कि ऊँचें दामों पर ब्लैक में मिलती थी। किसी पत्रकार के घर में विवाह होता था तो श्री बहुगुणा खुद पूछते थे, मेरी मदद की जरूरत हो तो निसंकोच बोलना। यूपी के बेहद वरिष्ठ पत्रकारों ने आज मुझसे दो-टूक कहा कि श्री बहुगुणा वाकई ऐसी शख्सियत थे जो आज तक न हुई। सम्मान ऐसा देते थे कि आप भावविभोर हो जाएं। हालांकि तब गिने चुने पत्रकार ही हुआ करते थे।

वरिष्ठ पत्रकारों के मुताबिक आपातकाल के समय तमाम पत्रकार जेल में ठूंस दिए गए थे तब तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने रात में ही फोन करके पत्रकारों को छुड़वा दिया था। जिससे बाद में नाराज होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इन्हें हटाकर श्री नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी थी। पत्रकारों को ऐसा सम्मान विरले नेता ही देते हैं। तभी वो पत्रकारों के बीच में बिल्कुल पारिवारिक सदस्य की भांति लोकप्रिय शख्सियत के तौर पर जाने जाते थे। मुख्यमंत्री रहते ही श्री बहुगुणा ने पत्रकारों का सम्मान ही नहीं कायम रखा बल्कि मोरारजी देसाई मंत्रिमंडल में देश के पेट्रोलियम मंत्री रहते भी कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। तब गैस कनेक्शन और सिलिंडर मिलना गंगा नहाने जैसा माना जाता था और श्री बहुगुणा ने न जाने कितने पत्रकारों को प्राथमिकता के आधार पर गैस कनेक्शन और सिलिंडर दिलवाए थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

एक वरिष्ठ पत्रकार ने इस तथ्य को स्वीकारा और कहा, मैं आज भी बहुगुणा जी का बेहद आभारी हूँ। श्री बहुगुणा दिल्ली जाने के बावजूद फोन करके बराबर पत्रकारों के हालचाल स्वयं के स्तर पर लिया करते थे। अगर श्री बहुगुणा ने किसी पत्रकार को देख भर लिया तो झट कुशलक्षेम पूछते थे। बिल्कुल साधारण और गौरवशाली व्यक्तित्व था। श्री बहुगुणा और उनकी पत्नी श्रीमती कमला बहुगुणा खुद जंग-ए-आज़ादी के जाबांज सिपाही रहे हैं। आपको देख लग तो यही रहा पहाड़ से ताल्लुक रखने वाले बेहद विनम्र अपने माता पिता से एक बेटी कुछ भी न सीख पाई। सिवाय राजनैतिक विरासत की ललक के।

श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी खुद प्रतिष्ठित इलाहाबाद विश्विद्यालय में मध्यकालीन आधुनिक इतिहास की प्रोफेसर रही हैं। उसके बावजूद देश के लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के लिए ऐसी शर्मनाक भाषा का इस्तेमाल कर रही हैं। लगता तो यही है कि पत्रकारों के बीच बेहद लोकप्रिय पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की गुणी मंत्री पुत्री श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी खुद एक नया असभ्य आधुनिक इतिहास लिखने पर आमादा हैं। अरे कम से कम आप जिला स्तरीय जिम्मेदार अफसरों से पूछ लेतीं तो आपका भी ज्ञानवर्धन होता कि जिला योजना समिति की समीक्षा बैठक में पत्रकारों को हमेशा से आमंत्रित किया जाता रहा है। लेकिन संतकबीरनगर में सांसद-विधायक के बीच हुई जूतमपैजार की दहशत आप पर इतनी हावी थी कि आपकी भाषा पत्रकारों पर ही मानों जूतमपैजार कर बैठी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आप बेहद भाग्यशाली हैं जो आज मेरे पूर्व दिवंगत सम्पादक आदरणीय श्री जगदीश नारायण शुक्ल(निष्पक्ष प्रतिदिन) जीवित नहीं हैं वर्ना अपने गृह जनपद सीतापुर में पत्रकारों को यूं अपमानित करने पर उनका दिमाग जरूर वास्तव में खराब हो गया होता और आप बेहद अच्छे से जानती हैं अगर उनका दिमाग खराब होता है तो फिर….खैर ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे। हां मुझे जरूर उलाहना दीजियेगा कि मनीष का दिमाग खराब है जो ये सब लिख दिया। मुझे वाकई खुशी होगी, क्योंकि कहीं भी गलत देखने पर मैं स्वयं अपना दिमाग खराब कर ही लेता हूँ। यहां तो बात पत्रकारों के सम्मान से जुड़ी है जिसके आगे तो मैं अपना जीवन कुर्बान कर दूं। वैसे लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के लिए भी समय आ गया है कि वो भी अपना दिमाग खराब कर ही लें ताकि आज बारम्बार यूं मान सम्मान की गरिमा का चीरहरण तो न होगा। रीता जी इस बार मैं आपको साधुवाद दूंगा कि कम से कम इसी बहाने पत्रकारों के बीच सबसे लोकप्रिय पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा जी के बारे में मेरा भी ज्ञानवर्धन हुआ। आदरणीय बहुगुणा जी को मेरी सादर विनम्र श्रद्धांजलि।

देखें मंत्री जी की करतूत और उनके दागदार अतीत का ये वीडियो…

Advertisement. Scroll to continue reading.
https://www.facebook.com/bhadasmedia/videos/578291939318942/
https://youtu.be/zuhwnhPz67c

लखनऊ के तेजतर्रार और बेबाक पत्रकार मनीष श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.


मूल खबर…

Advertisement. Scroll to continue reading.

मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने पत्रकारों से किया बेहूदा व्यवहार

1 Comment

1 Comment

  1. देव

    March 15, 2019 at 10:03 pm

    सर्व मीडिया कर्मियों को भड़ास ऑफ मीडिया जैसी सत्य समाचार को ही प्रकाशित करना चाहिए, जिससे दर्शकों एवम पाठकों को मीडिया में भरोसा हो, चाहे कोई पत्रिका हो या चाहे news चेनल सभी को भड़ास से प्रेरणा लेनी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement