अवधेश कुमार-
कोरोना को क्या मानें, कैसा व्यवहार करें… ना मैं डॉक्टर हूं न कोरोना विशेषज्ञ। सत्य है कि कोई डॉक्टर दुनिया में अभी तक कोरोना का विशेषज्ञ नहीं बना है। क्यों? मैं एक वर्ष से स्वयं बीमार हूँ। इस बीच मुझे भी एक बार कोरोना पोजिटिव रिपोर्ट मिला। इलाज हुआ। मेरे परिवार के कई लोग कोरोना की गिरफ्त में आए। हमने कई अच्छे मित्र – परिचित खोए। एक वर्ष में कोरोना पर नजर रखने के कारण जो कुछ मेरी समझ में आया है उसके अनुसार मैं कुछ सुझाव दे रहा हूं। एक, कोरोना को लेकर मीडिया की खबरों से, सरकार के कदमों से बिल्कुल भी भयभीत न हों। दबाव में ना आएं।
अपना जीवन सामान्य तरीके से ही जीते रहे रहें। साफ-सफाई तो वैसे ही जरूरी है। मास्क में कोई हर्ज नहीं है। हालांकि मास्क से कोरोना न हो ऐसा भी सिद्ध नहीं हुआ। दूसरे, अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई तब भी बिल्कुल न घबराए, न डरें। बहुत ज्यादा या असह्य परेशानी न हो तो अस्पताल की सोचे भी नहीं। घर में रहें। जितने उपाय आप जानते हैं उनमें जो संभव है उनका प्रयोग करें। एलोपैथ डॉक्टर, वैद्य, होम्योपैथ चिकित्सक इनमें से जो भी संपर्क में हैं उनसे राय मशविरा करें और विवेक के अनुसार पालन करें। कोरोना अपने आप जानलेवा नहीं है। कोरोना से ज्यादातर मौतें अस्पतालों में हुई है।
प्राइवेट अस्पतालों में अगर वहां आपकी किसी प्रमुख डॉक्टर से दोस्ती नहीं है तो जाइए ही नहीं। अगर आपको दूसरी गंभीर बीमारियां हैं तो अवश्य थोड़ी ज्यादा सावधानी और सतर्कता की आवश्यकता होगी। यह पहली बार है जब कहा गया कि एक टीका आप ले लेंगे तो उससे आप सुरक्षित नहीं होंगे। दूसरा टीका लेंगे उसके कुछ दिन बाद आपके अंदर एंटीबॉडी विकसित होगा। अजीब बात है।
क्या टीका की पहली खुराक व एंटीबॉडी का अंश भी विकसित नहीं करेगा? क्यों दूसरा टीका लगेगा तभी पहला टीका भी काम करना शुरू करेगा? स्वास्थ्यकर्मियों को तो दोनों टीके लग गए। बावजूद खबरें आ रही हैं कि एम्स जैसे अस्पताल के अनेक डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमित हो गए। कंपनियों का तर्क है कि टीका लगा लेने से आप कोरोना संक्रमित नहीं होंगे ऐसा हमने नहीं कहा बल्कि जो बड़ा वाला कोरोना है वह नहीं होगा, इसका छोटा हमला होगा। यह भी विचित्र तर्क है। लेकिन डॉक्टर, एलोपैथी दवा विशेषज्ञ, रसायन विशेषज्ञ आदि इस प्रकार की शब्दावली और भाषा का प्रयोग करते हैं जिससे लगता है कि यह
ये बातें बिल्कुल वैज्ञानिक हैं। उस भाषा में हम आप जवाब नहीं दे सकते हैं।
ऐसे भी मामले आ रहे हैं जिनमें टीका लेने के बाद परेशानियां बढ़ी हैं। वैसे तो टीका के बाद हल्का-फुल्का बुखार या अन्य परेशानियां सामान्य बात है। हम सबके जीवन में ऐसा अनुभव आया है। लेकिन अगर परेशानी ज्यादा हो तो चिंता प्रकट करना स्वाभाविक है। हम सबमें जो लोग टीका लगवाना चाहते हैं वे जरूर लगवा लें। इससे सुरक्षा का भाव पैदा होता है। लेकिन यह मत मानिए कि टीका लगाने के बाद कोरोना आपको नहीं होगा। अपने शरीर को स्वस्थ करने, स्वस्थ बनाए रखने, रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने के जो पारंपरिक खानपान, जड़ी-बूटियों, व्यायाम- योग आदि उपाय हैं उन्हें अपनाएं रखें, परिवार, दोस्तों रिश्तेदारों सबको इसके लिए प्रेरित करें।
एक पंक्ति में कहूं तो कोरोना को आज जितना बड़ा हौवा दुनिया भर में बनाया गया है वैसा वह है नहीं। एक सामान्य सी बीमारी है। यह किसी पर हमला कर सकता है। संपर्क में आए लोगों को भी हो सकता है। अच्छा है कि आम लोग इसे समझने लगे हैं और मीडिया की खबरों से प्रभावित हुए बिना अपनी सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। बस, यही रास्ता है।
Ramesh
April 17, 2021 at 5:01 pm
Chutiya bachpan se ho ya crash course kiye ho be??? Why do someone go to hospital? when they are already critical then only one gets admitted. Read science research of corona! it is deadly.