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गुलाब कोठारी जी, इमरजेंसी तो आपने अपने आफिस में लगा रखी है

‘जर्नलिस्ट जयपुर’ नामक एफबी एकाउंट की वॉल पर पोस्ट किया गया पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के नाम खुला पत्र….

माननीय गुलाब कोठारी जी,

आपका विशेष संपादकीय ‘ये भी इमरजेंसी’ पढ़ा। आपने जिस तरह आपके अखबार ‘राजस्थान पत्रिका’ को दिए जाने वाले सरकारी विज्ञापनों पर रोक लगाने को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर हमला बोलते हुए इसे “जनता की सुध ना लेने” से जोड़कर आगामी चुनाव में सत्ता ना मिलने का चेताया है, यह मुझे प्रभावित कर गया!! किसी मुद्दे पर आपकी और मुख्यमंत्री की लड़ाई में सरकारी विज्ञापनों पर अघोषित रोक को आपने जिस तरह इमरजेंसी करार दिया है, यह पढ़कर तो जनता भी भौंचक रह गई होगी!! जनता में भी डर समा गया होगा कि कहीं सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ कुछ लिखने से उनकी कॉलोनी में अघोषित बिजली कटौती शुरू ना हो जाए!! वगैरह-वगैरह!!

‘जर्नलिस्ट जयपुर’ नामक एफबी एकाउंट की वॉल पर पोस्ट किया गया पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के नाम खुला पत्र….

माननीय गुलाब कोठारी जी,

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आपका विशेष संपादकीय ‘ये भी इमरजेंसी’ पढ़ा। आपने जिस तरह आपके अखबार ‘राजस्थान पत्रिका’ को दिए जाने वाले सरकारी विज्ञापनों पर रोक लगाने को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर हमला बोलते हुए इसे “जनता की सुध ना लेने” से जोड़कर आगामी चुनाव में सत्ता ना मिलने का चेताया है, यह मुझे प्रभावित कर गया!! किसी मुद्दे पर आपकी और मुख्यमंत्री की लड़ाई में सरकारी विज्ञापनों पर अघोषित रोक को आपने जिस तरह इमरजेंसी करार दिया है, यह पढ़कर तो जनता भी भौंचक रह गई होगी!! जनता में भी डर समा गया होगा कि कहीं सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ कुछ लिखने से उनकी कॉलोनी में अघोषित बिजली कटौती शुरू ना हो जाए!! वगैरह-वगैरह!!

आपने इमरजेंसी शब्द का शानदार उपयोग किया है. मुख्यमंत्री की दिवंगत माता विजयराजे सिंधिया की भी स्वर्ग से भावनाएं भांप ली. बहुत ही बढिय़ा! आपके इस विशेष संपादकीय का पूरे दिन सोशल मीडिया, वाट्सएप पर चलाए जाने का अभियान भी रोचक रहा क्योंकि बीच-बीच में कोई ना कोई आपको आईना दिखा ही रहा था। आपके ही अखबार के कर्मी कहते दिखे कि इमरजेंसी तो आपने अपने ऑफिस में लगा रखी है। केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित मजीठिया वेज बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी लागू नहीं करके कर्मचारियों को प्रताडि़त कर रहे हैं।

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं मानने पर कर्मचारियों द्वारा आपके खिलाफ 7 अवमानना याचिकाएं लगाई गई हैं। इस पर आप कई कर्मचारियों को बर्खास्त, निलंबित और दूरदराज तबादले कर चुके हैं। केस नहीं करने वाले बाकी कमजोर कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ा रहे हैं, जिससे वे आगे भी नतमस्तक रहें। इमरजेंसी तो यह होती है!! हाल ही आपके एक वरिष्ठ अधिकारी ने भरी मीटिंग में पत्रकारों की तुलना कुत्ते से कर दी!! क्या यह इमरजेंसी के हालात नहीं? आपने अपने विशेष संपादकीय में मुख्यमंत्री की दिवंगत माता विजयराजे सिंधिया के बारे में लिखा कि ‘वे भी स्वर्ग से देख रही होंगी कि किस-किस के दबाव में सीएम क्या-क्या गलत निर्णय कर रही हैं।’ क्या आपके पिता कर्पूर चंद्र कुलिश स्वर्ग से नहीं देख रहे होंगे कि बिना किसी दबाव के मेरे उत्तराधिकारी क्या-क्या गलत निर्णय कर रहे हैं?

जर्नलिस्ट जयपुर नामक एफबी एकाउंट की वॉल से.

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8 Comments

8 Comments

  1. prem.mishra

    August 8, 2016 at 6:55 am

    इसमें गुलाब कोठारी गलत नहीं है वह तो मालिक हैं कर्मचारियों का खून चूसने के लिए ही बने हैं गलती पत्रकार बिरादरी की है वह भी उनकी हां में हां मिलाते हैं जबलपुर पत्रिका में तो मालिकों के कई भाड़ पैदा हो गए हैं इसी तरह भोपाल में संपादक आलोक मिश्रा सबसे बड़ा भाड़ है वह अरुण चौहान को पीछे करने के लिए सब कुछ करने को तैयार हैं.

  2. Mazharuddeen Khan

    August 7, 2016 at 4:05 pm

    राजस्थान पत्रिका समूह को सरकारी विज्ञापन बन्द करना या चालु रखना सरकार व पत्रिका प्रबंधन के बीच का मामला है। इससे जनता का कोई सरोकार नहीं है। लोगों को देश दुनिया की खबरें पढ़ने को मिले, इसके लिए अख़बार खरीदता है। अख़बार निकालने पर सरकारों ने रोक नहीं लगाई है तो फिर आपातकाल की बात क्यों कर रहा है पत्रिका प्रबंधन। क्या अख़बार सरकारी विज्ञापन हासिल करने के लिए पब्लिश किया जा रहा है। राजस्थान पत्रिका अपना इतिहास खंगाले की अतीत में उसने किस पोलिटिकल पार्टी और नेता का सपोर्ट करने के जाना जाता था। रही बात पत्रकारिता की तो अब वह बीते दिनों की बात हो गयी है। पुराने पत्रकारों को हटाकर नये पत्रकारों को कम वेतन पर भर्ती कर मजीठिया वेज बोर्ड से बचने की कवायद् की जा रही है। कम वेतन पर काम करने वाले पत्रकारों को न्यूज़ के अलावा दूसरे नैतिक व अनैतिक काम करने के लिए लिए विवश होना पड़ रहा है।

  3. sanjay

    August 8, 2016 at 2:25 pm

    patkarita me अब वह बात नही रही जो पहले होती थी। अब तो पत्रकारिता चाटुकारिता में परिवर्तन हो गया है. जिसके लिए हर अखबार के मालिक सरकार से अपना रिस्ता अच्छा बनाना चाहता है. पटरी बैड गई तो सरकार की कार्यप्राणाली अच्छी है नहीं तो आलोचनओं के ढेर। .

  4. ravi kuamr

    August 9, 2016 at 7:38 am

    vilkul sahi kaha aap ne imergency to is buddhe gaddar gulab kothair ne aape sansthan main lagar rakhi hai aur rajasthan sarkar ka dosh dekha raha hai kyoi iske kamay to band ho gai jo. duinya ko updesh dena wale mr Gulabkotahi jara pane bhee grahwan main jhank ke dekho ki tum kitne imandar ho aaj lagbhag 5-6 salo se tune karamchariyoe ko d.a.kha gaye itna he nahi tu karamchariyo ke aanual increasemnt ko bhe kha gahaa . tumen likha putra moha main vasundhra ji andhe ho gai to buddhe tu bhee to apne dono shravan kumar ke moha main andha hogya na wo tujhe nahi dikhai deta kyo ko tere aulad hain in salon ne to aatank macha rakha wo tunjhe nahi dikh rha . wage bord ke bat kare to tune bhee to supremen court ke order ki andekhi kar rakhi hai wah kya duiniya se chhipa hai jab karamchari s.c.chale gae to tere in nalayak audoae ne unko turminate karna chalu kar dia aur duina ko bata ra rah ki sarka ne hamare vigyapn band yad kar ki tune he likhkar diya tha ki hamari vigyapan rate bado ham apne karamchariyo ke salay increase kar dent increase karna to dur ke bad ulti kam karna chalu kar diya . every year advt.20% badhte ho , news paper ke rate bhe badha rahi fir bhee tera pet nahi bhara liken employes ko kya diya sudhar dekhe par article likhwar apne nam se chhapawnae wale duniya ke varisth lekhak but buri maut maroge sudhar jao bahut bebakuf banaya ab pathak warg bahut samajhdar ho gaya hain tumhi haramkhori ko samajh gaya hi .

  5. Guest

    January 13, 2017 at 10:30 am

    Rajasthan Patrika Agar Sarkari Vigyapan nahi milne ke karan itana pareshan ho raha he to use akhbar chhapna band kar dena chahiye. Patrika ke rahne ya nahi rahne se paathko ko koi fark nahi padega kyon ki rajasthan patrika se behtar bazar me bahut se newspaper he.

  6. Rajesh Sharma

    November 12, 2018 at 12:17 pm

    Respectfully

    Sh. Gulab Kothari Ji.
    Myself have the reasons of imposing EMERGENCY in the State of Rajasthan. The Memorandum dated 05-05-2018 is being prolonged by the Governor of Rajasthan, in this regards. Your Honor would be pleased to give personal appointment, at the earliest.

  7. Rajesh Sharma

    November 12, 2018 at 12:36 pm

    Myself want to personal meet with you, on the Emergency issue in Rajasthan

  8. Siddharth pal

    March 3, 2019 at 4:12 pm

    Mera naam santosh pal he me ek hakour ho me Pardesipura center indore se copy leta ho our vaha he agent ka naam manoj ji our center incharge ka naam rohit he meri aapse ek request he ki mere pass patrika ki 40 copy bachh rahi he our koi is copy ko kam karne ke liye tyare nahi he jisse mujhe byaj se lake rupay dena par rahe he jisse me bhaut pareshan ho gaya ho kripya karke aap meri is 40 copy ko kam karvane ki kripya kare me bhaut pareshan ho gaya hu aap meri copy kam karva dijiye
    Patrika pepar bhaut badiya he hame patrika pepar se koi dikkat nahi he bus ye jo copy ki raadi ho rahi aapki isse kam karey aap yaha ke centar incharge ko bol ke meri copy kam karva dijiye
    Santosh pal
    9229433466
    8602233466

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