पंकज मिश्रा-
आप चाहे जो कहें देश में कोयला संकट भयानक स्थिति में है | यह संकट है तो विश्वव्यापी परंतु भारत के लिए ज्यादा खतरनाक है क्योंकि यहाँ image और narrative दुरुस्त रखने का सवाल प्राथमिक सवाल है , और निजाम की जेहनी कैफियत ” यहां कल क्या हो किसने जाना ” जैसी है |
इसके अलावा कोयला कोई ऐसी चीज़ नही है कि आज ऑर्डर दीजिए तो कल मिल जाएगा …. यहां कहने के लिए है कि इंडिया फर्स्ट , असल मे यह नैरेटिव फर्स्ट का देश है … चीन में हाहाकार , चीन में प्लान्ट बन्द , चीन बाप बाप चिल्ला रहा है यह सब इसी नैरेटिव फर्स्ट का ही नमूना है …..
क्राइसिस ग्लोबल है और चीन मैन्युफैक्चरिंग हब तो जाहिर है कि वहां क्राइसिस तो होगी ही लेकिन दूसरे का पैबंद दिखा कर आप अपना चिथड़ा नही छिपा सकते ….
अब थोड़ा सच भी जान लीजिए कि हल्ला चाहे जितना ऑस्ट्रेलिया का कीजिये , दुनिया मे उत्पादित होने वाले कोयले का 50 फीसदी चीन उत्पादित करता है उसके बाद ही ऑस्ट्रेलिया इंडोनेशिया साउथ अफ्रीका कजाकिस्तान आदि आते है | चीन और योरप के पास पैसा है जिसे वह इस समय इंटरनेशनल कोल मार्केट में फेंक कर अपने लिए कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित कर रहे है , इससे कोयले का rate तेजी से भाग रहा है , इधर हमारा पैसा लग रहा है सेंट्रल विस्टा में , हवाई जहाज में , विज्ञापनों में , रैलियो में , इस केयर में उंस फेयर में ……
तो होगा क्या ? होगा ये कि जनता और रेली जाएगी , पैसा बाबू पैसा , ऐसे दो या वैसे दो …. उधर भक्तों को व्हट्सएप जाएगा कि अकेला अलां क्या करे , अकेला फलां क्या करे …..भक्तों का कल्लायेगा , तो भी मल्हार गाएंगे बाकी लोग माथा पीटें और सेठ लोग आपदा में अवसर भुनाएँ …..
अंत मे काम आएगा कोल इंडिया ही , उसी का खून चूसा जाएगा , इसकी भूमिका बन चुकी है फिर कहेंगे प्रॉफिट नही हो रहा … सफेद हाथी है | अरे ये सब ” हाथी मेरे साथी ” वाले हाथी है … इनका रंग काला है |