उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पिछले दो दशकों से भी अधिक समय से पत्रकारिता जगत में अपनी सेवाएं दे रहे कुलदीप तिवारी उर्फ अमित का सोमवार को सिविल अस्पताल में देहांत हो गया। अमित पिछले लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। बीमारियों का कारण भागमभाग और संस्थान का तनाव बताया जा रहा है।
वर्तमान में अमित राजस्थान पत्रिका में कार्यरत थे। अमित को बेहतर लेखन शैली व ईमानदार छवि के लिए जाना जाता है। मीडिया जगत में शायद ही कोई ऐसा हो जो उनके व्यक्तित्व की तारीफ न करता हो। एक शानदार व्यक्तित्व वाले आदमी को खो देने से मीडिया जगत में शोक है। अमित के जाने का दुख है तो वहीं दूसरी ओर मीडिया संस्थानों के माहौल से थोड़ी शिकायत भी।
पिछले दो दशक से भी अधिक समय से काम कर रहे अमित की सैलरी इतनी कम थी कि वह ढंग से अपना इलाज भी नहीं करा पा रहे थे। इलाज के लिए उन्हें अपने परिवार और रिश्तेदारों की मदद लेनी पड़ती थी। बीमार होने के बावजूद भी अमित लगातार ऑफिस का दबाव और तनाव झेल रहे थे। ये जानकारी संस्थान के सभी अधिकारियों को थी पर संस्थान की ओर से कोई मदद नहीं मिली। सोमवार को सुबह 11:00 बजे के करीब उनकी मृत्यु हुई और अमित सुबह 7:00 बजे तक अपने संस्थान के लिए कार्य कर रहे थे।
दबाव का आलम ये था कि गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने के बावजूद भी अमित ऑफिस का तनाव व काम का प्रेशर झेल रहे थे। अमित की बीमारियों का ठीक न होने का एक कारण नौकरी का अत्यधिक दबाव बड़ा कारण था। मंथली टारगेट को पूरा करने के लिए अधिकारियों की ओर से दिया जा रहा दबाव व नौकरी से निकाले जाने का डर अमित तो परेशान करता था।
बेहद कम सैलरी होने के बावजूद भी अमित के ऊपर वेबसाइट पर मिनिमम खबरें लगाने, अखबार के लिए खबरें देने के साथ-साथ खबरों पर UV/PV नंबर लाने का काफी दबाव था। नोएडा में बैठे एक अधिकारी अक्सर नौकरी से निकाल देने की धमकी देते थे। पिछले एक महीने से इन अधिकारी द्वारा दूसरे प्रदेश में ट्रांसफर की धमकी दी जाती थी। पिछले दिनों लखनऊ में संचालित पत्रिका कार्यालय को एकाएक नोएडा शिफ्ट करने के आदेश दे दिए गए। इसको लेकर भी अमित काफी तनाव में थे। सिर्फ अमित ही नहीं, लखनऊ में पत्रिका में कार्यरत सभी कर्मचारी बेहद तनाव से गुजर रहे।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.