Dr Kumar Vishwas Passport Issue Wrongly reported by Amar Ujala
पत्रकारिता की गिरती साख के कई भागीदार हैं। लेकिन इस पेशे से जुड़े कई ऐसे लोग हैं, जो पत्रकारिता की अर्थी को कन्धा देने के लिए बहुत जल्दी में नज़र आते हैं। पिछले दिनों ‘अमर उजाला’ ने खबर छापी, कि कवि और आप नेता डा कुमार विश्वास का पासपोर्ट किसी विवाद के कारण गाज़ियाबाद स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय द्वारा जमा करवा लिया गया है। अगले ही दिन पासपोर्ट अधिकारी श्री यादव के हवाले से निर्देश आया, कि पूरा मामला साफ़ है। इसलिए पासपोर्ट वापस निर्गत कर दिया जाएगा। दिनांक 14 नवम्बर को डा कुमार विश्वास को पासपोर्ट निर्गत कर दिया गया।
इस पूरी प्रक्रिया की पाँच हज़ार रूपए की फीस होती है, जिसका भुगतान विश्वास द्वारा किया गया। इस खबर को दो प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों ने छापा। दैनिक जागरण ने यथास्थिति बताई, और पूरे मामले की अक्षरशः सही जानकारी दी। वहीँ अमर उजाला ने इसी खबर को ऐसे प्रस्तुत किया है, जैसे विश्वास बहुत बड़े अपराधी साबित हुए हों और अदालत से उन्हें कोई सज़ा दे दी गई हो। आश्चर्य है, कि कैसे कोई पत्रकार व्यावसायिकता का इस तरह से मज़ाक उड़ा सकता है।
15 Nov Jagran Link…
http://epaper.jagran.com/epaperimages/15112014/delhi/14gag-pg23-0.pdf
15 Nov Amar Ujala Link…
जब इसके तह में जाने की कोशिश की गई, तो पता चला कि अमर उजाला के दो स्थानीय पत्रकार संजय शिसोदिया और सौरभ पिछले लम्बे समय से विश्वास के खिलाफ बिना ठोस आधार के रिपोर्टिंग करने के आदी हैं। विश्वास जिस कॉलेज (एल आर कॉलेज, साहिबाबाद) में पढ़ाते थे, वहाँ के कार्यवाहक प्राचार्य संजय दत्त कौशिक के खिलाफ कुमार शुरू से ही खुल कर बोलते थे। कॉलेज में चर्चा है, कि वहां कई वर्ष पूर्व ही प्राचार्य की बहाली हो चुकी है, लेकिन दत्त अब भी प्राचार्य का पद हथियाए हुए है। इसके अलावा संजय दत्त कौशिक के शैक्षणिक दस्तावेज़ भी फ़र्ज़ी होने की बात सामने आई है। इसके मुताल्लिक़ दस्तावेज भी कॉलेज के कई कर्मचारियों के पास हैं। विरोध करने की वजह से कार्यवाहक प्राचार्य ने समय समय पर विश्वास को विभागीय जाँच इत्यादि में फंसाया है। लेकिन हर जाँच के बाद उच्च जाँच समितियों ने संजय दत्त कौशिक को ही षड़यंत्र का दोषी माना, जिसके कागज़ात भी हैं। चूँकि कॉलेज एक बड़े कोंग्रेसी नेता का है, और संजय दत्त कौशिक उनके चहेते हैं, इन सारे षड्यंत्रों के बावजूद कौशिक पर चेतावनी के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच कौशिक ने स्थानीय पत्रकारों को अपने पक्ष में करने के गुर सीख लिए, और मनमाफ़िक खबरें छपवाने लगे।
जब विश्वास के पासपोर्ट की बात आई, तो NOC के बहाने संजय दत्त कौशिक ने फिर से विश्वास को फँसाने की कोशिश की। पासपोर्ट के लिए NOC जारी कर, बाद में स्वयं ही पासपोर्ट अधिकारी को सूचना दे दी, कि मैंने NOC नहीं दिया है। इसकी जाँच के लिए क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने विश्वास से पासपोर्ट जमा करने को कहा, जो उन्होंने अविलम्ब जमा करवा दिया। इस खबर को अमर उजाला ने ‘बड़ा खुलासा’, ‘फर्जीवाड़ा’ इत्यादि शब्दों से सजा कर ऐसे परोसा जैसे विश्वास अपराधी हों।
9 Nov Amar Ujala…
इस बीच दिनांक 1 सितम्बर से विश्वास का अपने पद से त्यागपत्र कॉलेज प्रबंधन द्वारा स्वीकृत हो गया था। अतः NOC की उपयोगिता को शून्य मानते हुए 14 Nov को विश्वास का पासपोर्ट निर्गत कर दिया और जाँच प्रक्रिया के लिए देय पाँच हज़ार रूपए उनसे लिए गए। इस खबर को अमर उजाला के इन क्रांतिवीर पत्रकारों ने झूठे तथ्यों का जामा पहना कर ब्रेकिंग न्यूज़ बनाने की कोशिश की। थोड़ा और गहरे जाने पर पता चला कि पूर्व में भी इन पत्रकारों ने संजय दत्त कौशिक के कहने पर विश्वास के खिलाफ खबरें छापी थीं। एक बार तो यह लिख दिया,कि विश्वास कॉलेज में क्लास नहीं पढ़ा रहे, जबकि वो उस समय दो वर्ष के अवैतनिक अवकाश पर थे। ये तो भगवान ही जाने कि कौशिक से उन पत्रकारों को क्या मिलता है, लेकिन अंत में पत्रकारिता को बदनामी ही मिलती है।
भड़ास को मिले एक पत्र पर आधारित.
santosh singh
November 16, 2014 at 7:24 am
istrah ke kam se to media per se logo ka bharosa ut raha hai.isi ko pit patrkarita khte hai.
suraj
November 17, 2014 at 12:07 pm
देश का चौथा स्तम्भ ध्वस्त हो चूका है…..
अब बस bhadas4media जैसी कुछ websites ही हमारी आखिरी उम्मीद है…
आपका काम काबिले तारीफ है….