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मुलायम कुनबे में झगड़े से जो बड़े खुलासे हुए, उसे आपको जरूर जानना चाहिए….

Nikhil Kumar Dubey : घर के झगड़े में जो बड़े ख़ुलासे हुए…

1: यादव सिंह घोटाले में रामगोपाल और अक्षय फँसे हैं, बक़ौल शिवपाल. 

2: अमर सिंह ने सेटिंग करके मुलायम को जेल जाने से बचाया था: ख़ुद मुलायम ने बताया.

3: शिवपाल रामगोपाल की लड़ाई में थानों के कुछ तबादले अखिलेश को जानबूझकर करने पड़े थे: ख़ुद अखिलेश ने कहा.

4: राम गोपाल नपुंसक है : अमर सिंह ने कहा.

5: प्रतीक काग़ज़ों में पिता का नाम एम एस यादव लिखते हैं लेकिन मुलायम के किसी हलफ़नामे में उनके दूसरे बेटे का नाम नहीं

6: प्रमुख सचिव बनने की योग्यता मुलायम के पैर पकड़ने से तय होती है : अखिलेश.

<p>Nikhil Kumar Dubey : घर के झगड़े में जो बड़े ख़ुलासे हुए...</p> <p>1: यादव सिंह घोटाले में रामगोपाल और अक्षय फँसे हैं, बक़ौल शिवपाल.  </p> <p>2: अमर सिंह ने सेटिंग करके मुलायम को जेल जाने से बचाया था: ख़ुद मुलायम ने बताया. </p> <p>3: शिवपाल रामगोपाल की लड़ाई में थानों के कुछ तबादले अखिलेश को जानबूझकर करने पड़े थे: ख़ुद अखिलेश ने कहा. </p> <p>4: राम गोपाल नपुंसक है : अमर सिंह ने कहा. </p> <p>5: प्रतीक काग़ज़ों में पिता का नाम एम एस यादव लिखते हैं लेकिन मुलायम के किसी हलफ़नामे में उनके दूसरे बेटे का नाम नहीं </p> <p>6: प्रमुख सचिव बनने की योग्यता मुलायम के पैर पकड़ने से तय होती है : अखिलेश.</p>

Nikhil Kumar Dubey : घर के झगड़े में जो बड़े ख़ुलासे हुए…

1: यादव सिंह घोटाले में रामगोपाल और अक्षय फँसे हैं, बक़ौल शिवपाल. 

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2: अमर सिंह ने सेटिंग करके मुलायम को जेल जाने से बचाया था: ख़ुद मुलायम ने बताया.

3: शिवपाल रामगोपाल की लड़ाई में थानों के कुछ तबादले अखिलेश को जानबूझकर करने पड़े थे: ख़ुद अखिलेश ने कहा.

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4: राम गोपाल नपुंसक है : अमर सिंह ने कहा.

5: प्रतीक काग़ज़ों में पिता का नाम एम एस यादव लिखते हैं लेकिन मुलायम के किसी हलफ़नामे में उनके दूसरे बेटे का नाम नहीं

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6: प्रमुख सचिव बनने की योग्यता मुलायम के पैर पकड़ने से तय होती है : अखिलेश.

Shamshad Elahee Shams: मैं पहलवान मुलायम सिंह का न कभी प्रशंसक रहा न कभी उसके साईकिल छाप समाजवाद का वकील. बहुत दिनों से सैफई में कब्बड्डी का मैच देशभर का मनोरंजन कर रहा है उसे मैं भी देख रहा हूँ. मुलायम सिंह की घटिया राजनीति जिसका इतिहास सिर्फ और सिर्फ अवसरवादिता, धोखेबाजी-टिकियाचोरी का रहा हो आखिर उस पर वक्त क्यों जाया किया जाय? ताश के पत्तो का महल एक न एक दिन ढहना ही है, आज नहीं तो कल. मुलायम सिंह की राजनीति को गौर से देखने वाले सभी जानते है कि उस पर भरोसा करना खुद को धोखा देना है. जिसका मुलायम सिंह दोस्त उसे दुश्मन की जरुरत नहीं. मुलायम सिंह ने चौधरी चरण सिंह, वी. पी. सिंह, काशीराम-मायावती, भाकपा-माकपा, नितीश कुमार, लालू प्रसाद किस किस को धोखा नहीं दिया? प्रदेश की सारी सत्ता का केंद्रीयकरण सिर्फ और सिर्फ अपने परिवार में ही कर देने वाले के दिमाग की मैपिंग करें तो यही पता चलेगा कि उसे खुद पर और अपने परिवार के लोगों के आलावा किसी दूसरे पर कभी विश्वास नहीं रहा. मुलायम सिंह ने लोहिया छाप समाजवाद के नाम पर सिर्फ अपने परिवार का एकाधिकार जिस तरह स्थापित किया वह राजनीति के किसी भी मापदंड के अनुसार निंदनीय है. आखिर जो जीवन भर बोया, अंत में वही काटेगा. आज तक दूसरो के साथ जो किया वक्त ने दिखा दिया कि उसका जवाब खुद उसका लड़का ही एक दिन उसे देगा. कल्याण सिंह और मुलायम सिंह, दोनों के राजनीतिक चरित्र एक जैसे रहे है दोनों की गति एक ही होनी है, एक की हो चुकी दूसरे की प्रक्रिया चल रही है.

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Vishnu Nagar : लखनऊ की राजनीतिक ड्रामेबाज़ी में मुलायम सिंह यादव ने खुद स्वीकार किया है कि उन्होंने कोई ऐसा अपराध किया था, जिसमें उन्हें जेल हो सकती थी लेकिन तिकड़मेश्वर ने उन्हें किसी तरह बचा लिया। वह केस क्या था, क्या यह वही था, जिसमें आय से अधिक संपत्ति का मामला था और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि प्रमाण के अभाव में वह इस मामले को बंद करना चाहती है मगर उसने अभी तक मामला बंद नहीं किया है और मोदी सरकार बंद होने देगी भी नहीं। कांग्रेस -भाजपा दोनों इसका इस्तेमाल मुलायम सिंह को चंगुल में फँसाये रखने के लिए करती रही हैं और सब जानते हैं कि सीबीआई का रुख़ सरकार के हिसाब से बनता -बिगड़ता है। तो क्या यही मामला है या कोई और मामला, जिसमें तिकड़मेश्वर ने उन्हें बचाया?यह जानना दिलचस्प होगा और तिकड़म से बचाया गया है उन्हें तो कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए?

Vivek Dutt Mathuria : तस्वीर साफ है मुलायम अखिलेश को ट्रेंड कर रहे हैं बस ….जो मुलायम के मन में है उसे न शिवपाल जानते और न अमर सिंह. इतिहास गवाह है मुलायम सियासत में खुद के अलावा किसी के नहीं हुए….वीपी सिंह, चन्द्रशेखर, वामपंथी, मायवती, अजित सिंह और न जाने कितने हैं ज़िनके कांधे पर पैर रख कर यहां तक पहुंचे हैं अब भाजपा के नजदीक दिख रहे हैं.

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Khushdeep Sehgal : समाजवादी कुनबे की हालत देखकर एक किस्सा याद आ गया. एक बुजुर्ग सेठ को मौत से बड़ा डर लगता था. उसने खूब पूजा-पाठ करने के बाद ईश्वर से मौत से बचने का वरदान ले लिया. वरदान ये था कि यमदूत जब भी उसे लेने आएगा तो वो उसे दिख जाएगा, ऐसे में वो अपने पैर तत्काल यमदूत की ओर कर दे, जिससे यमदूत उसे ले नहीं जा पाएगा. साथ ही सेठ को ये ताकीद भी किया गया कि वो इस वरदान का किसी और से भूल कर भी ज़िक्र नहीं करेगा. एक बार सेठ बीमार होने के बाद बिस्तर पर पड़ गया. फिर वो घड़ी भी आ गई जब यमदूत उसे ले जाने के लिए आ पहुंचा. लेकिन सेठ के पास तो वरदान था, झट अपने पैर उसने यमदूत की ओर कर दिए. यमदूत फिर उसके सिर की ओर पहुंचा. सेठ ने फुर्ती से फिर अपने पैर यमदूत की ओर कर दिए. अब यही चक्कर काफी देर तक चलता रहा. यमदूत जिधर जाए, सेठ उधर ही अपने पैर कर दे. सेठ इस तरह जान बचाता रहा. यमदूत थक कर सेठ को छोड़कर जाने ही लगा था. लेकिन सेठ को पैर इधर-उधर करते देख घरवालों ने समझा कि उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है. घरवालों ने रस्सियों से सेठ के पैर बांध दिए. यमदूत का काम हो गया. अब जैसे ही वो सेठ के सिर की तरफ आया तो सेठ के मुंह से निकला…”साला जब भी मरवाया, घरवालों ने ही मरवाया”…

सौजन्य : फेसबुक

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