पत्रकार ललित पंडित का दावा है कि उनके ऊपर दर्ज हुए मुकदमे में पुलिस ने जो जाँच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है उससे साबित होता है कि यह मामला फर्जी है. पुलिस ने जांच रिपोर्ट में आरोपों को झूठा पाया है. सिर्फ दबाव बनाने हेतु कॉलेज प्रबंधकों द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया है. खबर चलाने पर भड़के कॉलेज प्रबंधकों ने ये फर्जी मुकदमा कोर्ट की मदद से दर्ज करा दिया.
बीते दिनों पत्रकार ललित पंडित पर दर्ज हुए मुकदमे के संबंध में नॉलेजपार्क पुलिस द्वारा कोर्ट में जमा की गई जाँच रिपोर्ट की कॉपी देखें-
ललित पंडित का कहना है कि पुलिस की जाँच से साफतौर पर यह स्पष्ट होता है कि उक्त मामला सिर्फ दबाव बनाने के लिए दर्ज कराया गया है. पत्रकार ने खबर का प्रकाशन किया तो कॉलेज प्रबंधकों द्वारा चिढ़न की वजह से कोर्ट में 156/3 का प्रार्थना पत्र डालकर मुकदमा पंजीकृत करवा दिया गया. कोर्ट में 156/3 के प्रार्थना पत्र पर सिर्फ वादी पक्ष को ही सुना जाता है. दूसरे पक्ष को अपनी बात रखने तक का मौका नहीं मिलता. साथ ही जरूरी नहीं है कि 156/3 के लिए साक्ष्य उपलब्ध हो. ऐसे में मुकदमा दर्ज कराना बहुत आसान काम हो जाता है. लेकिन यह मुकदमा दर्ज होना पत्रकार के लिए कितना हानिकारक सिद्ध हुआ है, यह सिर्फ वही समझ सकता है. आजकल के समाज मे लोग मुकदमा दर्ज होते ही व्यक्ति को दोषी समझ लेते हैं, मुकदमे की जाँच तक का इंतजार नहीं करते.
मुकदमा दर्ज करने से संबंधित कोर्ट का आदेश देखें-
मूल खबर-