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मान्यताप्राप्त संवाददाता समिति का चुनाव टालने पर राजधानी के पत्रकारों का गुस्सा फूटा, शासन और सरकार को नोटिस देंगे

लखनऊ : सिर्फ एक साल के गठित उत्तर प्रदेश मान्यताप्राप्त संवाददाता समिति का चुनाव पिछले तीन सालों से मनमाना तरीके से संगठन के पदाधिकारियों द्वारा ही लगातार टाले से राजधानी के वरिष्ठ पत्रकारों में भारी रोष है। एनेक्सी मीडिया सेंटर में इस संबंध में हुई एक बैठक पत्रकारों ने तय किया कि इसके खिलाफ मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रमुख सचिव सूचना, प्रमुख सचिव विधानसभा आदि को लिखित नोटिस देकर पूछा जाएगा कि क्या किसी कार्यकारिणी को स्वतः अपना कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार है। यदि नहीं तो क्यों न कार्यकारिणी को निष्क्रिय मानते हुए उनके पदाधिकारियों को किसी भी सरकारी कांफ्रेस अथवा प्रोग्राम में अधिकृत तरीके से न बुलाया जाए। गौरतलब है कि हेमंत तिवारी समिति के प्रदेश अध्यक्ष एवं सिद्धार्थ कलहंस सचिव हैं।

   

लखनऊ : सिर्फ एक साल के गठित उत्तर प्रदेश मान्यताप्राप्त संवाददाता समिति का चुनाव पिछले तीन सालों से मनमाना तरीके से संगठन के पदाधिकारियों द्वारा ही लगातार टाले से राजधानी के वरिष्ठ पत्रकारों में भारी रोष है। एनेक्सी मीडिया सेंटर में इस संबंध में हुई एक बैठक पत्रकारों ने तय किया कि इसके खिलाफ मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रमुख सचिव सूचना, प्रमुख सचिव विधानसभा आदि को लिखित नोटिस देकर पूछा जाएगा कि क्या किसी कार्यकारिणी को स्वतः अपना कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार है। यदि नहीं तो क्यों न कार्यकारिणी को निष्क्रिय मानते हुए उनके पदाधिकारियों को किसी भी सरकारी कांफ्रेस अथवा प्रोग्राम में अधिकृत तरीके से न बुलाया जाए। गौरतलब है कि हेमंत तिवारी समिति के प्रदेश अध्यक्ष एवं सिद्धार्थ कलहंस सचिव हैं।

   

एनेक्सी मीडिया सेंटर में सोमवार अपराह्न चार बजे राजधानी के वरिष्ठ पत्रकारों की महत्वपूर्ण बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश मान्यताप्राप्त संवाददाता समिति की कार्यकारिणी के सदस्य शरद प्रधान और मुदित माथुर ने कहा कि हम ने लिखित रूप में कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के इस मनमानेपन का विरोध किया है। बताया है कि कार्यकाल समाप्त हो जाने के बावजूद कार्यकारिणी अब वैध कैसे हो सकती है। यदि कार्यकारिणी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव आदि पदाधिकारी एवं सदस्य ही ऐसा अवैध कार्य करेंगे, मनमाना कार्यकाल बढ़ा लेने की कोशिश करेंगे तो इसका प्रदेश के बाकी पत्रकारों में क्या संदेश जाएगा। 

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आक्रोशित पत्रकारों की इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष नीरज श्रीवास्तव भी खामोशी साधकर बैठे रहे। बैठक में वरिष्ठ पत्रकार प्रांशु मिश्रा, जीसान सिद्दीकी, कुमार सौवीर, सुरेश बहादुर सिंह, मुकुल मिश्रा, अमिता वर्मा आदि के अलावा बड़ी संख्या में पत्रकार उपस्थित रहे। समिति की प्रदेश कार्यकारिणी के हेमंत तिवारी अध्यक्ष, सत्यवीर सिंह और नरेंद्र श्रीवास्तव उपाध्यक्ष, सिद्धार्थ कलहंस सचिव, देवकीनंदन मिश्रा और राजेश शुक्ला संयुक्त सचिव, नीरज श्रीवास्तव कोषाध्यक्ष एवं दस वरिष्ठ पत्रकार सदस्य हैं।  

बैठक में वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा कि अब इस मनमानेपन को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उ.प्र. मान्यताप्राप्त संवाददाता समिति का जब वर्ष 2012 में गठन हुआ था, तो लिखित तौर पर पहले से तय था कि कार्यकारिणी का कार्यकाल सिर्फ एक वर्ष होगा। अध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारियों की मनमानी से एक-एक साल कर इसका कार्यकाल अवैध तरीके से बढ़ाते हुए संगठन पर कब्जा जमाने रखने का दुष्प्रयास किया जा रहा है। पिछले तीन वर्षों से वही पुरानी कार्यकारिणी सक्रिय है। कई बार एनेक्सी तक में नोटिस लगाकर इसका लिखित विरोध किया गया मगर उसे भी पदाधिकारियों ने फड़वा दिया। लंबे समय कमेटी के चुनाव की मांग करते हुए लगातार विरोध जताया जा रहा है। कार्यकारिणी ही ऐसा करेगी तो प्रदेश के पत्रकारों में इसका क्या संदेश जाएगा। कार्यकारिणी के पदाधिकारी स्वतः मीटिंग कर कार्यकाल बढ़ा ले रहे हैं। ये कत्तई अवैध है। क्या कोई कार्यकारिणी स्वतः अपना कार्यकाल बढ़ा सकती है। 

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बैठक में तय हुआ कि लिखित रूप से इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल आदि के अलावा प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे आदि को लिखित नोटिस देकर पूछा जाएगा कि क्या किसी कार्यकारिणी को स्वतः अपना कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार है। यदि नहीं तो क्यों न कार्यकारिणी को निष्क्रिय मानते हुए उनके पदाधिकारियों को किसी भी सरकारी कांफ्रेस अथवा प्रोग्राम में अधिकृत तरीके से न बुलाया जाए। साथ ही चुनाव होने तक कार्यकारिणी को निष्क्रिय घोषित कर दिया जाए। 

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0 Comments

  1. vishal srivastav

    July 27, 2015 at 7:42 am

    गज़ब गुरु , गज़ब दोगले हैं सब , पहले नोटिस देते है और बाद में लेटर लिखते हैं … और उसमें भी और गज़ब … देवकी नंदन मिश्र और प्रदीप कुमाया दोनों पाले में खेल रहे हैं … कार्यकारिणी की बैठक में भी दस्तखत और 25 की मीटिंग की नोटिस में भी दस्तखत ? और ये शरद प्रधान खुद ही रायटर के नाम पर फर्जी मान्यता लिए बैठा है और अब नए मान्यता वाले पत्रकारों की छटनी के लिए डी आई से मिल रहा है . उनको फर्जी बता रहा है … मुदित माथुर की भी मान्यता नियम विरुद्ध है … जांच होगी तो सबकी होनी चाहिए … नए लोग क्या पत्रकार नहीं हैं .. उनका लिखा कहीं तो पढ़ने में आता है ? मुदित का तो फेसबुक के सिवा कही नहीं …. याद रखो मठाधीशों … जिनकी भी मान्यता हुई है सरकार ने की है … यदि इसमे सिर्फ वोट बैंक मैनेज करने के लिए छटनी करोगे तो वहीँ मीडिया सेंटर में ही औकात बता दी जाएगी …. इस बार नए लोग ही चुनाव लड़ेंगे और सब खलिहर बुड्डो को औकात में लायेंगे ……..

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