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लखनऊ के नाराज पत्रकार आज काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे

: मीडिया कार्यालय पर हमले के विरोध में हुई बैठक में लिया गया फैसला : सभी हमलावरों की शीघ्र गिरफ्तारी व उनपर रासुका लगाने की मांग : विधानभवन में बैठक कर पत्रकारों ने जताई नाराजगी :

लखनऊ : हिंदुस्तान व हिंदुस्तान टाइम्स अखबार के दफ्तर में घुसकर तोड़फोड़ और वहां कार्यरत मीडिय़ा कर्मियों पर कातिलाना हमले के खिलाफ एकजुट हुए पत्रकारों ने आज दिनांक 20 अगस्त को काली पट्टी बांधकर कार्य करने का एलान किया है। विधानभवन स्थित प्रेस रूम में कल हुई पत्रकारों की बैठक में इस जघन्य हमले की कड़ी निंदा करते हुए, सरकार से यह मांग की गई वह सभी आरोपियों को अविलंभ गिरफ्तार कर उनपर रासुका के तहत कार्रवाई करे। बैठक में यह तय किया गया कि घटना के विरोध में कल विधानसभा व विधानपरिषद की कवरेज के दौरान पत्रकार अपने हाथों पर काली पट्टी बांधेंगे।

: मीडिया कार्यालय पर हमले के विरोध में हुई बैठक में लिया गया फैसला : सभी हमलावरों की शीघ्र गिरफ्तारी व उनपर रासुका लगाने की मांग : विधानभवन में बैठक कर पत्रकारों ने जताई नाराजगी :

लखनऊ : हिंदुस्तान व हिंदुस्तान टाइम्स अखबार के दफ्तर में घुसकर तोड़फोड़ और वहां कार्यरत मीडिय़ा कर्मियों पर कातिलाना हमले के खिलाफ एकजुट हुए पत्रकारों ने आज दिनांक 20 अगस्त को काली पट्टी बांधकर कार्य करने का एलान किया है। विधानभवन स्थित प्रेस रूम में कल हुई पत्रकारों की बैठक में इस जघन्य हमले की कड़ी निंदा करते हुए, सरकार से यह मांग की गई वह सभी आरोपियों को अविलंभ गिरफ्तार कर उनपर रासुका के तहत कार्रवाई करे। बैठक में यह तय किया गया कि घटना के विरोध में कल विधानसभा व विधानपरिषद की कवरेज के दौरान पत्रकार अपने हाथों पर काली पट्टी बांधेंगे।

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बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई कि हाल के दिनों में पत्रकारों व मीडिया कर्मियों पर हमले के मामले बढ़े हैं। एक ही दिन में लखनऊ और शामली जिले में अलग-अलग मामलों में अखबारों के दफ्तर पर हमले हुए। लखनऊ में जहां एचटी मीडिया के दफ्तर और कर्मचारियों को निशाना बनाया गया, शामली में हिंदी दैनिक दैनिक जागरण के दफ्तर में बदमाशों ने तोड़फोड़ की। अखबार के दफ्तर पर कल हुए हमले और वहां कार्यरत पत्रकारों व अन्य कर्मियों पर कातिलाना हमला बेहद चिंता का विषय है। ऐसा लगता है कि शायद अराजक तत्वों के मन से पुलिस का खौफ खत्म हो गया है, तभी सुरक्षित समझे जाने वाले गोमतीनगर जैसे इलाके में भी बेखौफ बदमाश न सिर्फ अखबार के दफ्तर पर हमला करते हैं बल्कि उसके बाद अस्पताल में इलाज कराने गए मीडिया कर्मियों को फिर से निशाना बनाते हैं।

बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए पत्रकार प्रांशु मिश्र ने बताया कि 20 अगस्त को काली पट्टी बांधने के साथ ही, इस पूरे मामले पर आगे की रणनीति बनाने, जांच पर नजर बनाए रखने के लिए पांच लोगों की एक एक्शन कमेटी भी गठित की गई है। ये साथी हैं श्री आनंद सिन्हा, सुश्री सुमन गुप्ता, राजीव श्रीवास्तव, प्रेमशंकर मिश्र व छायाकार विनय पांडेय। बैठक में बड़ी संख्या में प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथी मौजूद थे। इनमें प्रमुख रूप से श्री किशोर निगम, शिवशंकर गोस्वामी, रामदत्त त्रिपाठी, शरत प्रधान, पंकज झा, राजेंद्र कुमार, अतीक खान, अर्चना श्रीवास्तव, मुदित माथुर, नरेंद्र श्रीवास्तव, नीरज श्रीवास्तव, बृजेंद्र सेंगर, मनीष श्रीवास्तव, श्याम बाबू आदि मौजूद थे। बैठक के बाद पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख सचिव गृह श्री देवाशीष पांडा से मुलाकात कर उन्हें अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन भी सौंपा। श्री पांडा ने प्रतिनिधिमंडल को यह विश्वास दिलाया कि इस प्रकरण में अपराधियों के खिलाफ  कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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उधर, उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) ने लखनऊ में हिंदुस्तान अखबार के कार्यालय पर अराजक तत्वों के द्वारा किये गए हमले की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों के विरूद्ध कड़ी सजा की मांग की है. उपजा की लखनऊ इकाई के अध्यक्ष अरविन्द शुक्ला ने कहा अराजकतत्वों ने हिंदुस्तान के कार्यालय में जो तोडफोड और हमला किया उसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले का संज्ञान लेते हुए इस तरह के मामलो पर सख्त और गंभीर कार्यवाही करनी चाहिए. अरविन्द शुक्ला ने कहा की दुर्घटना के बाद पिटते हुए राहगीरों को बचाने के लिए सहृदयता का परिचय हिंदुस्तान के पत्रकार साथियों ने दिया है वहीं दूसरी तरफ इसकी प्रतिक्रिया में एक सभासद और उसके गुंडों ने जिस बर्बरता और गुंडागर्दी की है उसके खिलाफ गंगेस्टर एक्ट की कारवाई होनी चाहिए. उन्होने कहा कि सरकार और प्रशासन को इस बात को गंभीरता से लेने की जरूरत है और एक ठोस नीति बना कर पत्रकार बिरादरी की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाये जायें।

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0 Comments

  1. asheesh bajpai

    August 20, 2015 at 4:08 pm

    यदि ऐसे ही सभी अख़बारों के पत्रकार मजीठिया लागू करने पर भी एकजुट हो जायें तो सभी अख़बारों के मैनेजमेंट मजबूर हो जाएंगे। नहीं तो दूसरों के हक़ की लड़ाई लड़ने वाले पत्रकारों का शोसण होता रहेगा। पत्रकारों का हक़ मारकर, मालिक और मैनेजमेंट मालामाल होते रहेंगे। पत्रकारिता का स्तर गिरता रहेगा। जैसा होता आया है कि कोई पत्रकार अपने बच्चों को पत्रकार नहीं बनाएगा। मंहगाई की ऐसी मार पड़ेगी की खाने के लाले पड़ जाएंगे।
    कहीं ऐसा न हो की हमला एक बड़े अखबार पर हुआ तो सब बड़े छोटे एक हो गए। बाकी जब अपने ही हक़ की लड़ाई नहीं लड़ पाओगे तो युवा पीढ़ी को क्या जवाब दोगे। उन्हे गलत सिस्टम से लड़ना क्या बताओगे। …. आगे भी जमाना कहीं यह न कहे की कुछ नहीं कर पाये तो पत्रकार बन गये.…।

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