नईदुनिया के एमपी स्टेट हेट आनंद पांडे को एक रिपोर्टर ने आईना दिखा दिया। पांडे ने कुछ दिन पहले रिपोर्टरो को फरमान सुनाया कि वे जहां भी रिपोर्टिंग के लिए जाएं वहां से अपना सेल्फी नईदुनिया के संपादकीय टीम के आफिशियल वाट्सएप ग्रुप पर डालें। उनका यह फरमान सुनकर रिपोर्टर भौचक रह गए थे। पहले दो तीन दिन को कुछ रिपोर्टरों ने इसका पालन किया पर जब मीडिया जगत में इसकी खबर फैलने के बाद उनकी हंसी उड़ने लगी और यह कहा जाने लगा कि क्या आप लोगों पर संपादक को भरोसा नहीं है तो रिपोर्टरों ने सामूहिक रूप से फैसला लेकर सेल्फी डालना बंद कर दिया।
जनवरी के पहले सप्ताह में रिपोर्टरों की फुलकोरम मीटिंग में फिर यह मुद्दा उठा और पांडे ने पूछताछ शुरू की तो रिपोर्टरों ने अपना दर्द बताना शुरू किया। कुछ ने अपनी आपबीती सुनाते हुए जब सरेआम अखबार की हंसी उड़ने की बात कही तो पांडे भड़क गए। रिपोर्टरों ने कहा सर हमारा भी कुछ स्वाभिमान है और हम ऐसा नहीं कर पायेंगे। शहर के पत्रकार और अफसर हमसे चटकारे लेकर कहते हैं कि भैया पहले सेल्फी तो डाल लो ताकि आपके संपादक को भरोसा हो जाए कि आप काम तो कर रहे हो। इस पर पांडे ने कहा सेल्फी मेरी जिद है और मैं इस मामले में कोई समझौता नहीं करूंगा। आपको हर हालत में सेल्फी डालना ही होगा और जो ऐसा नहीं कर सकता है वह नौकरी छोडक़र चला जाए। पांडे के इस रुख ने रिपोर्टरों को निराश कर दिया।
नईदुनिया के सीनियर रिपोर्टर नवीन यादव ने फुलकोरम में ही फिर से इसका विरोध किया और कहा- सर, यह हमारे आत्मसम्मान के खिलाफ है। शहर में हमारी हंसी उड़ रही है और लोग अखबार को लेकर भी तरह तरह की बातें कर रहे है। पांडे जब अपने निर्णय पर अडिग रहे और नवीन से कहा कि आप यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं तो नौकरी छोडक़र चले जाएं क्योंकि मुझे तो वैसे भी 4-5 विकेट गिराना ही है तो यादव ने कहा- ऐसे हालत में मेरे लिए यहां नौकरी करना संभव नहीं है। उन्होंने पांडे से कहा आप अब तो मेरा इस्तीफा ही ले लो। आप जैसे संपादक के साथ काम करना मैरे लिए वैसे भी मुमकिन नहीं है। यादव के इस रुख से पांडे भौचक रह गए।
जागरूक
January 23, 2015 at 5:25 pm
आनंद पांडे खुद एक नाकाम रिपोर्टर, असफल संपादक और खुदगर्ज इंसान है। इस तरह के हास्यास्पद आदेश उनकी संकीर्ण मानसिकता और संकुचित क्षमता का सबूत है। पौरस का हाथी और कौन हो सकता है।
rajesh agrawal
January 24, 2015 at 3:59 pm
जागरुक पूरी तरह जागरुक हैं। उन्होने बिलकुल सही कहा, यह खुदगर्ज, नकारा और पूरी तरह से असफल संपादक है। भास्कर मे इसके एडिशन खबरों, क्वालिटी आदि में सबसे नीचे रहते थे। इसीलिए वहां से हटाया गया। और सेल्फी का निर्णय तो जमीर पर चोट करने वाला है।कोई भी खुदगर्ज रिपोर्टर इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। नई दुनिया द्वारा पांडे को नियुक्त करना अखबार के लिए हाराकिरी करने जैसा है।
Moti
January 24, 2015 at 5:48 pm
देख लेना
। एक साल पूरा नहीं होगा और उससे पहले या तो आनंद पांडे नईदुनिया में नहीं होगा, या फिर इंदौर में
नईदुनिया नहीं होगा।
akj
February 8, 2015 at 5:03 pm
Pandey ji ki ma ki…selfie.
Rakesh Tiwari, Bhopa
February 17, 2015 at 9:15 am
rajesh agrawal जो लोग भास्कर को जानते नहंी वहां के एडशिनों को जानते नहीं जो आप जैसे चुतयिो है जिन्हें भास्कर ने कभी लिया नहीं वे बताएंगे की किसका एउिशन सबसे खराब रहता था; अरे चुतिये यह वही आनंद पांडे है जिसका एडशिन भास्कर में हमेशा सरृवश्रेष्ठ माना जाता रहा है;
Rakesh Tiwari, Bhopa
February 17, 2015 at 9:17 am
rajesh agrawal, जागरूक, Moti, akj ————— जो लोग भास्कर को जानते नहंी वहां के एडशिनों को जानते नहीं जो आप जैसे चुतयिो है जिन्हें भास्कर ने कभी लिया नहीं वे बताएंगे की किसका एउिशन सबसे खराब रहता था; अरे चुतिये यह वही आनंद पांडे है जिसका एडशिन भास्कर में हमेशा सरृवश्रेष्ठ माना जाता रहा है;
talwar
February 17, 2015 at 9:19 am
यह गलत कमेंट लखिने वाले सभी ये सब चुतयिे हैं चुतिये या यो कहो मादरजात