आज के दैनिक भास्कर ने एक खबर को प्रमुखता से छापा है जिसका शीर्षक है- लॉकडाउन 2.0 की सिफारिश भी… । इस खबर में कहा गया है कि 18 अप्रैल से 31 मई तक दूसरा लॉकडाउन होने पर ही हालात सामान्य हो सकते हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए देश को लॉकडाउन के एक और चरण से गुजरना पड़ सकता है।
खबर में बताया गया है कि स्वास्थ्य, प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स और फाइनेंस से जुड़े विशेषज्ञों की एक समिति ने मई में दूसरे लॉकडाउन की सिफारिश की है। इस रिपोर्ट में 17 अप्रैल से बंदिशें कम करने के बाद 18 अप्रैल से 31 मई तक दोबारा लॉकडाउन की सिफारिश की गयी है।
भास्कर में प्रकाशित पवन कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक, कैम्ब्रिज के छात्र के शोध के अनुसार-21 दिनों का लॉकडाउन भारत के लिए काफी नहीं होगा। इससे हालात नहीं सुधरेंगे। इस खबर में कहा गया है कि केंद्र लॉकडाउन जैसा सख्त कदम नहीं उठाता तो भारत में कोरोना संकट भयावह हो सकता था। सितंबर तक करीब 90 करोड़ लोग कोरोना प्रभावित हो सकते थे। मौतों का आंकड़ा 42 लाख तक पहुंच सकता था। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के शोधार्थियों ने अध्ययन में यह दावा किया है।
इन शोधार्थियों ने तीन स्थितियों का अनुमान लगाया है। इनके मुताबिक, यदि देश को 13 मई तक लॉकडाउन किया जाए तो मरीजों की संख्या 10 तक रह जाएगी। दूसरी स्थिति में अगर 15 अप्रैल तक बंदी का पूरी तरह पालन किया तो इस दिन भारत में सक्रिय मरीजों की संख्या 113 होगी। तीसरी स्थिति यह कि 25 मार्च के लॉकडाउन को बढ़ाकर 13 मई तक कर दिया जाये। ऐसे में इस दिन कुल मरीज 1546 होंगे जबकि सक्रिय 10 मरीज ही होंगे।
उधर टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर का दावा कि कैबिनेट सचिव ने लॉकडाउन को तय समय से आगे बढ़ाने से साफ इंकार किया है। गौरतलब है कि एक डिजिटल मीडिया संगठन यह दावा कर रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना वायरस लॉकडाउन की मियाद को और एक हफ्ते तक बढ़ाया जा सकता है। इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में दावा किया जा रहा था कि इस मियाद को इसलिए बढ़ाया जा सकता है क्योंकि दिल्ली से प्रवासी मजदूरों के पलायन से हालात चिंताजनक हो गये हैं। खबर का सूत्र कोरोना से लड़ रहे कोविड-19 टास्क फोर्स के एक सदस्य को बताया गया। इस सदस्य का दावा है कि लॉकडाउन एक हफ्ते तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि दो अन्य अधिकारियों ने राय दी कि लॉकडाउन की यह मियाद अगले दो महीनों के लिए बढ़ायी जा सकती है।
इस खबर पर प्रसार भारती न्यूज सर्विस (पीबीएनएस) ने यह कहते हुए ट्वीट किया है कि कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने लॉकडाउन बढ़ाये जाने से साफ इंकार किया है। पीबीएनएस ने ट्वीट करते हुए कहा है कि यह फेक न्यूज है। खबर एकदम झूठी है। पीबीएनएस ने कैबिनेट सचिव से इस खबर के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने हैरानी जताते हुए साफ कहा कि लॉकडाउन को बढ़ाये जाने की कोई योजना नहीं है।
पीआइबी ने भी ट्वीट कर खंडन किया है-
आज के दूसरे अखबारों में क्या है….
कोलकाता से प्रकाशित दी टेलीग्राफ में आज लीड की जो हेडिंग लगी है उसका हिंदी अनुवाद होगा- फिर से वही नोटबंदी वाला अहसास। दूसरे अखबारों ने रुटीन खबरें ही छापी हैं। मगर टेलीग्राफ ने मौजूदा हालात की तुलना 2016 की नोटबंदी से की है। इस खबर में लिखा है कि आनन फानन में एक बार फिर राज्य के मुख्य सचिवों और डीजीपी के साथ दो दौर की वीडिया कॉनफ्रेंसिंग के बाद गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कई दिशा निर्देश जारी किये हैं। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और जिला प्रशासन को पलायन की इस समस्या से सख्ती से निपटने के आदेश जारी कर दिए हैं।
टेलीग्राफ ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि फरमान जारी हो गये मगर इन जिलों में जरूरत के हिसाब से फंड या सुविधाएं हैं भी या नहीं- वहां इलाज के क्या प्रबंध हैं, खाने या सफाई के बंदोबस्त हैं भी या नहीं, इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है।
टेलीग्राफ के मुताबिक पिछले पंद्रह दिनों में प्रधानमंत्री दो बार देश को संबोधित कर चुके हैं और पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर चुके हैं । अगर समय रहते उन्होंने ये हिदायतें दी होतीं तो प्रवासी मजदूरों को इतनी तकलीफें न उठानी पड़ती, उन्हें राहत मिली होती।
टेलीग्राफ ने लिखा है कि जनता कर्फ्यू के बाद अब जागी है केंद्र सरकार। माना जा रहा था कि जनता कर्फ्यू से लोगों में जागरूकता फैलेगी लेकिन ऐसा न होकर यह सिर्फ थाली पीटने और तालिया बजाने तक ही सीमित रह गया। पिछले कुछ दिनों में अब तक अपने घर लौटने की जल्दी में तकरीबन 15 प्रवासी मजदूरों की मौत का भी जिक्र किया गया।
टेलीग्राफ ने पहले पन्ने पर कोरोना के नये मरीजों से संबंधित खबर को खास तवज्जो दी है। शीर्षक कुछ इस प्रकार है- शहर में सेना के डॉक्टर व दो अन्य पॉजिटिव मामले। इसके अलावा टेलीग्राफ ने एक और खबर को तीन कॉलम में प्रमुखता से छापा है जिसका शीर्षक हिंदी में कुछ इस तरह होगा- प्राइवेट अस्पतालों ने संक्रमण हॉटस्पॉट की सूची मांगी। इस खबर में बताया गया है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए प्राइवेट अस्पतालों ने केंद्र सरकार से कोरोना के संक्रमण वाले इलाकों को चिन्हित करने की मांग की है। ऐसा करने से अन्य अस्पताल भी इस जंग में शामिल होकर कोरोना को रोकने में महती भूमिका निभा सकेंगे।
इंडियन एक्सप्रेस में अरुण जनार्दनन की बाइलाइन से एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इसका शीर्षक है- केरेला में 202 मामलों में से केवल 4 को ही सूक्ष्म जांच की जरूरत। विश्व में कोरोना के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उनकी तुलना में केरेला के विशेषज्ञों का मानना है कि यहां हालात अब नियंत्रण में हैं। केरेला में कोरोना के 202 मामलों में से अब 181 ही अस्पताल में दाखिल हैं जिनमें से सिर्फ चार को ही इंटेन्सिव केयर यूनिट में सूक्ष्म जांच की जरूरत है। इन चारों में से शनिवार को 54 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है जो गल्फ से लौटा था। अन्य तीन मरीजों की सूक्ष्म जांच की जा रही है। केरेला सरकार में कोरोना के इलाज के लिए बनी सलाहकार समिति के सदस्य व वरिष्ठ एक्सपर्ट ए.एस.अनूप कुमार का कहना है कि हम इस महामारी के पहले स्टेज में हैं। हालात अब नियंत्रण में हैं। इसी खबर को विस्तार से समझाते हुए कहा गया है कि विश्व में कोरोना के मामले सात लाख पार कर गये हैं। इस हिसाब से भारत में अभी तक हजार मामले सामने आए हैं। इनमें से भी कोरोना संक्रमित बहुत कम मरीजों को ही आईसीयू में भर्ती किया जा रहा है। ऐसे में हम इस स्थिति को जल्द ही नियंत्रित कर पायेंगे। संकट की इस घड़ी में उम्मीद जगी है कि केरल में कोरोना के संक्रमण पर जल्द ही काबू पाया जा सकेगा।
हिंदुस्तान में भी लॉकडाउन और पीएम की खबर को प्रमुखता दी गयी है। हालांकि कोरोना का कहर दुनिया में बढ़ता ही जा रहा है। आम आदमी ही नहीं खास वर्ग भी कोरोना के आतंक से जूझ रहा है। इस बीमारी ने किसी को नहीं बख्शा। विदेश की बात करें तो हिंदुस्तान ने तीन कॉलम में खबर छापी है- जर्मन मंत्री ने महामारी के डर से खुदकुशी की। इस खबर से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सभी कोरोना के किस कदर खौफ में जी रहे हैं।
पत्रकार एसएस प्रिया का विश्लेषण.