सरकारी चैनल यूँ भी अपने काम के रवैये को लेकर बदनाम है और उनमे होने वाली भर्तियां कैसे होती हैं यह आप सभी जानते हैं.. लोकसभा टीवी को लगभग 10 साल हो गए है लेकिन सीमित संसाधनों में लोगों ने अच्छा काम किया है.. मगर भर्ती प्रक्रिया हमेशा सवालों के घेरे में रही है और कार्य प्रणाली भगवन भरोसे.. बहुत से लोग हैं जो वहां पिछले 9-10 साल से प्रोडक्शन असिस्टेंट या असिस्टेंट प्रोड्यूसर का काम कर रहे हैं.. तजुर्बा अच्छा खासा है लेकिन नियमों के अभाव में शोषण के शिकार हैं..
तनख्वाह नाम मात्र 30-35 हज़ार रुपए और कोई सुविधा भी नहीं.. इसी वर्ष एक महिला साउंड रिकार्डिस्ट की बीमारी से मौत हुई और उसके इलाज़ या उसके बाद उसकी इकलौती 7 साल की बेटी के निर्वहन तक के लिए एक पाई नहीं दी गई.. हालाँकि सहकर्मियों ने दो लाख की नाम मात्र राशि इकट्ठा की.. खुदा न खास्ता ये कर्मचारी या इनके परिवार का कोई किसी भी गम्भीर बीमारी से त्रस्त हो जाये तो उसका भगवान ही मालिक है..
पिछले सीईओ के कार्यकाल में इन्हीं मांगों के लिए कर्मचारियों ने तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष के घर तक पैदल मार्च भी किया.. सोचिये प्रतिवर्ष इनका कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया जाता है.. ऐसे में ये क्या प्लानिंग करेंगे अपने परिवार के भविष्य की.. ये ऐसा चैनल है जहां कैमरामैन भी 50 हज़ार ले रहा है… टेक्निकल भी इसके आसपास… मगर काम करने वाले कुछ काबिल एंकर 45 हज़ार में हैं जबकि 2-4 यहाँ भी 80 हज़ार पा रहे है.. सबसे कम सैलरी प्रोडक्शन स्टाफ की है पूरे चैनल में.. जबकि सबसे ज्यादा काम उन्हीं से करवाया जाता है..
आपको अचरज होगा पिचले 7 साल में दो बार वैकेंसी निकली है मगर भीतरी स्टाफ को कोई प्रमोशान नहीं मिला… खासकर प्रोडक्शन अस्सिटेंट को.. लोकसभा टीवी प्राइवेट चैनल के तर्ज़ पर काम करने की कोशिश कर रहा है मगर वहां के hr पालिसी पर चुप्पी साधे हुए है.. खबर है कि पिछले बार वैकेंसी में भी नेताओ की सिफारिशों का ध्यान रखा गया और एक आध तो दोस्त का बेटे या स्टाफ की बेटी जैसे नियुक्त किये गए..
इस बार भी प्रोड्यूसर में 8 में से 4 मिश्रा चयनित हुए हैं और दो तीन मध्य प्रदेश से… ये लोग RTI के ज़माने में भी भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं.. इन नियुक्तिओं पर rti के द्वारा सूक्ष्म पड़ताल करने की जरूरत है ताकि जुगाड़ू लालों पर लगाम लग सके क्योंकि साक्षात्कार सिर्फ दिखावा है क्योंकि इसमें पारदर्शिता नहीं है.. दूरदर्शन में भी पुराने लोगों को नोटिस दिया जा रहा है या कॉन्ट्रैक्ट कम बढ़ रहा है, आखिर क्यों? ये सरकारी संस्थान संघ या सरकार की रेवड़ियां नहीं हैं जो चहेतों और नाकाबिल लोगों को बाँट दी जाए..
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Comments on “लोकसभा टीवी : सबसे कम सेलरी प्रोडक्शन स्टाफ की, सबसे ज्यादा काम इन्हीं से करवाया जाता है..”
“टेक्निकल भी इसके आसपास… “
शायद तथयो के आभाव में अपने ये बात की है !
कौन काबिल एंकर 45 हजार में है और कौन 80 मेें नाम बता दें तो मेहरबानी होगी… और अगर इतने ही काबिल एंकर 45 में काम कर रहें है तो बाहर क्यो नहीं प्रयास करते… प्राइवेट चैनल के एंकर तो इससे अधिक ही पाएंगे… काबिलियत और 45 हज़ार की धौंस देने वाले एंकर बाहर मुंह उठा के देखे… औकात समझ में आ जाएगी खुद की… वैसे अगर आरटीआई पर एक्शन होता तो जिसने ये लिखा है शायद वो बाहर होता संस्थान से…
Production assistant की वेतन मात्र 35000 किस चूतिये ने इसमें नाममात्र शब्द जोड़ा है। निजी चैनल में जाएँ पहली बात तो कोई रखेगा नहीं और रख लिया तो इतना वेतन देगा नहीं। निजी चैनल की हालत तुम मूर्खो को पता ही कहाँ है कभी लोकसभा के अलावा काम किया हो तब तो जानों।14-15 घंटे काम करवाते हैं कभी भी उठा के फैंक देते हैं। salary भी वक़्त पर आती नहीं।वहीँ
लोकसभा में तुम सभी हराम की तोड़ रहे हो। क्या दिखाते हो लोकसभा चैनल के इतिहास में एक भी यादगार प्रोग्राम बनाया गया है। लोकसभा चैनल में फिल्में दिखाते हो नकारो निजी चैनल में लात मार दी जाती अब तक।
बहुत से लोग हैं जो वहां पिछले 9-10 साल से प्रोडक्शन असिस्टेंट या असिस्टेंट प्रोड्यूसर का काम कर रहे हैं.. तजुर्बा अच्छा खासा है लेकिन नियमों के अभाव में शोषण के शिकार हैं..
जब इतना अच्छा खासा अनुभव है तो यहीं क्यो सड़ रहो हो. कहीं और जाते तो शायद सैलरी और तनख्वाह दोनो बढ़ जाती, असलियत में तभी पता लगता जब कहीं जाते… क्योकि इतनी हरामखोरी कहीं और नहीं हो सकती.. और इस हरामखोरी के कोई 30-35 तो बहुत दूर है… लात और…… पर डंडा डालकर घर का रास्ता दिखा देता… यही करो तसल्ली से चमचागिरी, हरामखोरी और कामचोरी ये सब किसी और चैनल में नही हो सकता… एेसे लोगों पर क्या सीमा गुप्ता की नज़र नहीं पड़ती…
लोकसभा एक बर्बाद चैनल, इतना रूपया मिल रहा है खुश रहो, बाहर कहीं जाओगे तो लातें पड़ेंगी चूतड़ों पर। दो कौड़ी का चैनल।