योगीजी चापलूस अफसरों से घिरे हैं इसलिए इन तक सही सूचनाएं नहीं पहुंच पा रही हैं. पुलिस न सिर्फ बेलगाम हो गई है बल्कि जन विरोधी भी हो गई है. जनता के पैसे पर करोड़ों अरबों रुपये सेलरी के मद में खर्च हो रहे लेकिन ये पुलिस जनता के किसी काम की नहीं है. उल्टे पुलिस वाले जनता का शोषण उत्पीड़न करने में लगे हैं.
लखनऊ में एक ऐसा वाकया हुआ है कि सुन पढ़ कर तन बदन में आग लग जाती है. पुलिस ने जो शर्मनाक भूमिका निभाई उसे देखते हुए सीधे पुलिस कमिश्नर को ही सस्पेंड कर देना चाहिए. मायावती के राज में अगर ऐसा कुछ हुआ होता तो कमिश्नर पर अब तक गाज गिर चुकी होती. लेकिन ये योगी राज है. यहां कहा कुछ जाता है लेकिन जमीन पर होता कुछ और है.
लखनऊ से प्रकाशित नए अखबार संदेश वाहक में ये खबर प्रमुखता से छपी है. क्राइम रिपोर्टर गणेश वर्मा ने मेहनत की है और पूरे तथ्य जुटाकर खबर बनाई है. नहीं पता दूसरे अखबारों ने कैसे कवर किया है. क्या उनने भी पुलिस की शर्मनाक भूमिका को एक्सपोज किया है या रुटीन की क्राइम स्टोरी ही पब्लिश किए हैं?
योगी राज में महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ और अपराधियों को बचाने में जुटे पुलिस विभाग से जुड़ी ये खबर अंदर तक हिला देने वाली है. खासकर महिलाएं इस खबर को पढ़ने के बाद खुद को ज्यादा असुरक्षित पा रही हैं. अगर अपराधी ऐसे ही बचाए जाएंगे तो कल को किसी भी महिला के साथ कहीं भी कुछ भी हो सकता है.
पढ़िए संदेशवाहक में छपी क्राइम रिपोर्टर गणेश वर्मा की खबर-