मेरठ में एक फोटोग्राफर हैं मदन मौर्या. सीनियर फोटो जर्नलिस्ट हैं. जमाने से दैनिक जागरण की ही सेवा में है. बेहद मुंहफट और बेबाक. चोर के मुंह पर चोर कह देना उनका रोज का नियम है. चोर चाहे सीनियर पत्रकार हो या सीनियर पुलिस / प्रशासनिक अधिकारी. मदन मौर्य की इमानदारी और मुंहफटई के कारण सब चुपचाप उनकी सुनते, उन्हें झेलते रहते हैं. दैनिक जागरण, मेरठ के मालिकान बहुत अच्छे से मदन के इमानदार स्वभाव को जानते हैं, इसलिए वो मदन के खिलाफ ढेर सारी प्रायोजित शिकायतों को डस्टबिन में डालते रहते हैं, मदन के आफिस के लोगों के बारे में कड़वे बोल को सुन कर अनसुना करते हुए भी उस पर चुपचाप अमल करते जाते हैं. मदन का काफी समय से सबसे बड़ा दुख ये कि जिनके कंधों पर सिटी की रिपोर्टिंग का जिम्मा है, उन्होंने निजी स्वार्थवश पूरे पत्रकारिता के तेवर को धंधेबाजी में तब्दील कर रखा है. मदन अपने कैमरे के जरिए जिस सरोकारी व तेवरदार पत्रकारिता को अंजाम देते हैं, उसे उनके आफिस वाले कुछ लोग बेच खाने को तत्पर हो जाते हैं. ये सारी बातें और भूमिका मदन के स्वभाव-संस्कार के बारे में बताने के लिए थीं. अब आते हैं असली खबर पर.
दैनिक जागरण मेरठ के सीनियर फोटो जर्नलिस्ट मदन मौर्य
((पहली बार किसी फोटो जर्नलिस्ट ने विधानसभा टिकट खरीदने के लिए नोटों का कार्टन ले जाते नेता की तस्वीर खींची लेकिन यह खबर नेशनल न्यूज इसलिए नहीं बन पाई क्योंकि अखबार के स्थानीय सीनियर जर्नलिस्टों ने नेताओं से सौदा कर लिया.))
पिछले दिनों मदन मौर्य ने अपने कैमरे से एक ऐसा काला सच पकड़ा जिसे बड़े बड़े पत्रकार और फोटो जर्नलिस्ट नहीं पकड़ पाए. सियासी गणित के वास्ते नोटों के लेन-देन की नंगी तस्वीर और इससे संबंधित फोटो की पूरी सीरिज मदन मौर्य ने दुस्साहसिक तरीके से अपने कैमरे में कैद किया. यह सब कुछ मेरठ सर्किट हाउस के इर्द-गिर्द हुआ. असल में मेरठ सर्किट हाउस के एक कमरे में बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी रुके हुए थे. दूसरे अलग कमरे में सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर थे. उसी दौरान पीछे के गेट से काले रंग की एक जेलो कार आती है. उसमें से कुछ लोग उतरते हैं. ये लोग नोटों से भरा एक कार्टन हाथ में लिए थे. इनमें से एक था मेरठ कैंट का भावी बसपा प्रत्याशी शैलेंद्र चौधरी. कार्टन से नोट साफ नजर आते हैं. मदन मौर्य तुरंत एलर्ट होकर कैमरा चलाने लगते हैं. कैमरे की फ्लैश देख नोट लाने वालों के बीच भगदड़ मच जाती है. ये लोग कार्टन को गाड़ी में रखते हैं और गायब हो जाते हैं. नसीमुद्दीन सिद्दीकी तुरंत कह देते हैं कि ये लोग बसपा से जुड़े नहीं हैं और पैसे से उनका कोई लेना देना नहीं है. शाहिद मंजूर भी कहते हैं कि वे नहीं जानते कौन लोग हैं और उनसे मिलने का कोई कार्यक्रम नहीं था.
मदन मौर्य के पास पूरी स्टोरी मय फोटो थी. करोड़ों रुपये देकर आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बसपा कोटे का टिकट खरीदने का कार्यक्रम चल रहा था जो कैमरे में क्लिक हो जाने के कारण खटाई में पड़ गया. मदन ने सब कुछ अपने आफिस के हवाले कर दिया लेकिन आफिस के कुछ गणमान्य लोगों ने खेल कर दिया. सेलेक्टेड तरीके से तस्वीरें छापी. किसी को बचाया, किसी को छुपाया. मतलब ये कि मदन ने जो स्टोरी जान पर खेलकर की, उसको उनके आफिस वालों ने ही बेच खाया. कायदे से ये स्टोरी आल एडिशन फर्स्ट पेज की लीड थी. पहली बार टिकट खरीद की तस्वीर और पूरी स्टोरी पब्लिक डोमेन में आई थी, एक साहसी फोटो जर्नलिस्ट की कोशिशों के कारण. लेकिन आरोप है कि सिटी इंचार्ज से आरोपी नेता ने मिलकर मामला सेट कर लिया और पूरी खबर की हत्या हो गई. खबर को जिस रूप में डेवलप करके उछाल कर छापना था, वह नहीं हुआ. सब कुछ लीपापोती सा करके निपटा दिया गया.
लोगों ने तो इस गेम में लाखों कमा लिए लेकिन मदन मौर्य को बदले में मिल रही है धमकियां. जिन सज्जन को मेरठ कैंट से बसपा का टिकट मिलना था और जो पैसे लेकर जा रहे थे, उनने धमकाना शुरू कर दिया है कि अगर उन्हें टिकट न मिला तो मदन मौर्य का हिसाब किया जाएगा. मदन को ऐसी जाने कितनी धमकियां मिलती है लेकिन मदन अकेले ही अपनी बाइक पर रोज काम के लिए निकलते हैं और देर रात घर वापस लौटते हैं.
सूत्र बताते हैं कि दैनिक जागरण ने पहले दिन प्रत्याशी की फोटो नहीं छापी. सिर्फ नोट भरे कार्टन का ही फोटो छापा. नेता को बचा लिया जाता है, लाखों लेकर, ऐसा आरोप लगता है. प्रबंधन के पास जब शिकायत जाती है तो प्रबंधन की फटकार के बाद सिटी इंचार्ज अगले रोज से छापना शुरू करते हैं लेकिन सबको पता है कि अगर मंशा ओबलाइज करने और धंधा करने की हो तो किस तरह व कितना छाप पाएंगे. आफर मदन मौर्य को भी मिला था, लाखों का, लेकिन उन्होंने पत्रकारिता और सरोकार को सर्वोच्च रखा, संस्थान के प्रति निष्ठा व ईमानदारी को सर्वोच्च रखा. लेकिन मदन मौर्य का ठुकराया आफर उनके आफिस के उनके कुछ सीनियर्स ने लपक लिया. बस, खेल हो गया. इस घटनाक्रम से संबंधित मदन मौर्य द्वारा खींची गई नोटों की गड्डी वाले कार्टन की तस्वीर सबसे उपर है, और अन्य तस्वीरें यहां नीचे पेश हैं. और हां, आपको मदन मौर्या को बधाई देना बनता है, उनके मोबाइल नंबर 09837099512 को डायल करके. कोई अच्छा काम कर रहा है तो उसे सराहने में क्या कंजूसी करना.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट. संपर्क: [email protected]
मदन मौर्या के साहस की एक पुरानी कहानी इस शीर्षक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं:
chandrakant
August 21, 2015 at 3:03 pm
shabash maurya g
पितामह भीष्म
August 22, 2015 at 3:08 am
Good & Great working
Gopalji Journalist
August 22, 2015 at 5:55 am
भाई मदन मौर्या, वास्तव में एक निर्भीक और निडर फोटोग्राफर हैं, मै इनको फोटो जर्नलिस्ट मेरठ के नाम से सुशोभित करता हूँ।
sharad
August 22, 2015 at 7:47 am
जहाँ तक हमने देखा है की इस खबर् को दैनिक जागरण मेरठ ने ही प्रमुखता से छापा और निरंतर कवर किया! किसी को ईमानदार दिखाने के लिए किसी पर आरोप लगाना सही नही है!
Om Prakash Singh
August 24, 2015 at 7:17 am
भाईयों मैं अगर यहां कुछ पोस्ट लिखना चाहूं तो कैसे लिख सकता हूं?
g p awasthi
August 30, 2015 at 6:58 am
मदन मौर्या, वास्तव में एक निर्भीक और निडर फोटोग्राफर हैं, मै इनको फोटो जर्नलिस्ट मेरठ के नाम से सुशोभित करता हूँ।
HRISHIK
January 3, 2019 at 3:40 am
GOOD WORK . HE HAS NO AFRAID OF ANY ONE . MADAN MAURYA SHABASH JII