Harsh Kumar : मदन त्यागी नहीं रहे? एक और साथी का चले जाना, बहुत हिला देने वाला समाचार। एक एक पल याद रहेगा आपके साथ बिताए समय का – “त्यागी जी।” कुछ और लिखने का मन तो नहीं हो रहा था लेकिन बहुत लोग पूछ रहे हैं तो सोचा कुछ और जानकारी दे दूं। त्यागी जी का निधन आज दोपहर को मेरठ में हुआ। वे पिछले कुछ माह से डायलिसिस पर थे।
शुगर से तो उनका नाता 20 साल से भी पुराना था, सब जानते हैं। पांच साल पहले ओपन हार्ट सर्जरी भी हुई थी और बिल्कुल स्वस्थ हो गए थे त्यागी जी। पर शुगर ने उनकी किडनी पर प्रभाव डाला था और पैरों में सूजन रहने लगी थी। कई जगह उपचार चल रहा था और त्यागी जी भी चल रहे थे। आज अचानक ही पता नहीं कैसे ये हो गया?
त्यागी जी हम सबसे बड़े थे। पत्रकारिता शुरू की थी तो वे हिंदुस्तान के बुढ़ाना संवादताता हुआ करते थे। तब अखबार दिल्ली से छपकर आता था। फिर वे जागरण में आ गए। हमारी मुलाकात उनसे जागरण में 1995 में हुई। कुछ साल बाद मैंने जागरण ज्वाइन किया तो उनके साथ (2005-12) काम किया। लंबे समय तक सेवाएं देने के बाद भी वे स्ट्रिंगर के रूप में ही काम करते रहे। बुढ़ाना में अच्छी खासी खेती बाड़ी थी और पत्रकारिता केवल शौक के लिए करते थे।
मदन त्यागी
मुझे जागरण में उनका इंचार्ज बनने का मौका मिला तो मैंने उनसे उनकी समस्या जाननी चाही। उन्होंने कहा- भाई साहब मैं रोज बुढ़ाना से मुजफ्फरनगर आता हूं, रात को जैसे तैसे पहुंचता हूं घर। मुझे भी एक दिन वीकली आफ मिलना चाहिए। जागरण में उस समय तक चलन था कि केवल स्टाफर को ही आफ मिलता था। मैंने अपने मर्जी से सभी स्ट्रिंगर्स के लिए वीकली आफ तय कर दिया। मेरठ में संपादक ने इसके लिए मना भी किया लेकिन मैंने कहा वे भी इंसान हैं और एक छुट्टी उन्हें भी मिलनी चाहिए। त्यागी जी की वजह से जागरण में ब्यूरो के सभी रिपोर्टरों को वीकली आफ मिलने लगा। जो शायद आज तक भी चल रहा है।
त्यागी जी को क्राइम रिपोर्टिंग का शौक था। वैसे वे सभी बीट के मास्टर थे। क्राइम रिपोर्टर की मौजूदगी में दायित्व उन पर ही रहता था और मजाल की कोई खबर छूट जाए। पैदल ही रिपोर्टिंग करते थे। कहते थे- भाई साहब शुगर की वजह से पैदल चलना सही रहता है। बुढ़ाना की मशहूर सांवरिया की बालूशाही मैं उनसे डिब्बे भर भरकर मंगवाता था। खुद नहीं खाते थे लेकिन मेरे लिए ले आते थे। समोसा और कोल्ड ड्रिंक एक साथ ही खींच जाते थे त्यागी जी।
गानों के शौकीन थे। कोई भी कार्यक्रम होता था तो मनोरंजन करने में सबसे आगे रहते थे। दो बेटे हैं, दोनों की शादी हो चुकी है। अप्रैल माह में छोटे बेटे की शादी में उनसे आखिरी बार मिलना हुआ था। छोटी बेटी की शादी की तैयारी थी। कोई कमी नहीं थी और भरा पूरा परिवार था लेकिन ये भी कोई उम्र है जाने की? मुश्किल से 53 -54 साल के रहे होंगे बस। उनसे जुड़ी इतनी यादें है कि बहुत कुछ लिखने का मन कर रहा है लेकिन दिल उदास है।
वरिष्ठ पत्रकार हर्ष कुमार की एफबी वॉल से.