उत्तर प्रदेश में दागी नौकरशाहों की अपनी अलग ही सत्ता चलती है। इन भ्रष्टों का रसूख इतना तगड़ा होता है कि भले सैकड़ों करोड़ के संगीन घोटालों के आरोप हों, बावजूद इसके मलाईदार तैनातियाँ ऐसे मिलती हैं मानो मुख्यमंन्त्री से लेकर प्रधानमंत्री तक सिर्फ इनके दरबार मे हाजिरी लगाने के लिए सत्ता में आये हैं।
अब महाभ्रष्ट आईएएस अनिल संत को ही ले लीजिए। आज के अखबारों में दागी अनिल संत के खिलाफ खबर प्रकाशित हुई है कि कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में अनिल संत समेत बाकी अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज करने के निर्देश सरकार को दिए हैं। कुछ ही समय पहले ये भ्रष्ट आईएएस रिटायर हो गया। पूरी सरकारी सेवा के दौरान सिर्फ लूट को ही अंजाम दिया। इसके बावजूद मोदी सरकार में महाभ्रष्ट आईएएस अनिल संत पूरी शान से प्रतिनियुक्ति पर विराजमान रहा। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्ही भ्रष्ट अफसरों के बगलगीर बनकर “न खाऊंगा न खाने दूंगा” का नारा बुलंद करते रहे हैं।
मैंने निष्पक्ष प्रतिदिन अखबार में तत्कालीन मुख्यमंन्त्री मायावती के सचिव रहे बेहद करीबी अनिल संत के काले कारनामों का कई बार खुलासा किया। लेकिन यूपी से लेकर दिल्ली तक की सरकारें सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। इसी दागी आईएएस अनिल संत ने अपने बाराबंकी स्थित आलीशान फार्महाउस के लिए मनरेगा के करोड़ों के बजट से नहर बनवा दी। सारा तंत्र इसके कदमों में था। खुद तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप आदित्य जैन ने स्वयं इस घोटाले को बेनक़ाब करते हुए जांच गठित की। लेकिन यूपी के भ्रष्ट आईएएस अफसरों के रसूख के आगे किसी मंत्री की क्या बिसात।
आज न उस जांच का पता है न ही रिपोर्ट का। ये तो सिर्फ एक घोटाले की नजीर मात्र है। अब कार्रवाई तो खैर छोड़िये उल्टे ये आईएएस प्रतिनियुक्ति के सहारे मोदी सरकार की गोद मे बैठकर मौज काट कर आराम से रिटायर हो गया। इस तरह न जाने कितने भ्रष्टों को मोदी सरकार ने प्रतिनियुक्तियाँ बांटी है। एक तो ऐसा है जिसके खिलाफ खुद यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई जांच की अनुशंसा कर रखी है। लेकिन इससे कौन सा मोदी सरकार की सेहत पर फर्क पड़ रहा है।
अनिल संत ने उत्तरप्रदेश आवास विकास परिषद में भी घोटालों की इबारत लिखी थी। फिर भी सरकार मेहरबान रही। वहीं बसपा राज में तो सीधे पंचम तल पर बैठे सीएम सचिव रहे अनिल संत ने कितनी लूट और कितना बड़ा अवैध साम्राज्य खड़ा किया होगा। इसका सिर्फ अंदाज़ा लगाइए। आज जब ये महाभ्रष्ट आईएएस रिटायर हो गया तब अदालत भी सख्त रुख अपना रही है। अब भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज भी हो जाए तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा।
आज उत्तर प्रदेश में एक से बढ़कर एक अनिल संत जैसे महाभ्रष्ट नौकरशाह हैं जिनकी सम्पत्तियों के आगे बिल गेट्स भी शर्मा जाए। लेकिन सरकारी तंत्र में बैठे किसी हुक्मरान के अंदर इतनी ताकत नहीं, जो एक इंच भी बाल बांका ऐसे महाभ्रष्टों का कर सके। भ्रष्टाचार का मुद्दा तो वैसे भी गया है घास चरने। तभी तो मोहनलालगंज सीट से दागी पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी का एक अदना सा पूर्व पीए लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा मारकर अरबों की अवैध कमाई करने के बाद सरकारी नौकरी को लात मारकर चुनाव लड़ रहा है। किसी मे हिम्मत है, जो ऐसे घोषित महाभ्रष्टों के खिलाफ ताल ठोंक सके। लेकिन मेरे अंदर ऐसे दागियों को देख भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्वाला और भी प्रचंड होती है इसलिए कम से कम मैं तो कभी हार मानने से रहा। बाकी प्रभु इच्छा।
लखनऊ के तेजतर्रार पत्रकार मनीष श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.
Rk
April 24, 2019 at 8:34 am
well done bro
brijesh walia
April 24, 2019 at 2:23 pm
Hi I wanted to talk to you .
Ravi
April 24, 2019 at 4:13 pm
Still it is not too late now. Hope yogi govt will nab such persons.
Buck up and appreciation for such persons like Munish Shrivastav
Dhirendra Singh Tomar
April 25, 2019 at 12:05 am
Bilkul right sir ji thanks apko