प्रतिष्ठा में,
श्री अशोक गहलोत,
मुख्यमंत्री,
राजस्थान, जयपुर
सम्मानीय गहलोत साहब, सादर वन्दे… मान्यवर, इसी 25 अक्टूबर को मैंने पत्र लिखकर आपके कथनानुसार अखबारों के फर्जी सर्कुलेशन के आधार पर हो रहे व्यापक फर्जीवाड़े की ओर आपको स्मरण कराया था । उम्मीद थी कि पूरे प्रदेश में हो रही लूटपाट की रोकथाम के सम्बंध में आप प्रभावी कार्रवाई करते हुए प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से आम जनता को अवगत कराएंगे।
आपकी चुप्पी इस ओर इशारा करती है कि भ्रस्टाचार की रोकथाम में आपकी और सरकार की कोई रुचि नही है । बल्कि फर्जी तत्वों को आपका खुला संरक्षण हासिल है । परिणामतः आए दिन निर्ममता से फर्जीवाड़ा करने वालो की तादाद में तेजी से इजाफा होता जा रहा है । आप मूक दर्शक की भांति सरकारी खजाने को लुटता देख रहे है।
जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री ने लूट की पूरी छूट दे रखी हो, उस राज्य में सरकारी संरक्षण में बेरहमी से लूटपाट मचना स्वाभाविक है । लूटपाट का आरोप मेरा नही, स्वयं आपका है । दर्जनों मीडियाकर्मियों की मौजूदगी में आपने राष्ट्रदूत का उल्लेख करते हुए स्पस्ट तौर पर आरोप लगाया कि इस अखबार की न तो कोई पाठक संख्या है और न ही प्रसार संख्या । फर्जीवाड़े के आधार पर सरकार से करोड़ो रूपये के विज्ञापन हासिल कर धोखाधड़ी की जा रही है।
बकौल आपके राष्ट्रदूत जैसे अखबार जो फर्जी सर्कुलेशन के आधार पर विज्ञापनों के जरिये सरकारी खजाने पर डाका डाल रहे है । आखिर ऐसे फर्जी अखबारों के कारनामों की जांच करेगा कौन ? क्या इसकी जांच अमेरिकी जांच एजेंसी सीआइए करेगी ? आपने सार्वजनिक बयान देकर यह जाहिर कर दिया कि भ्रस्टाचार पर अंकुश लगाने में आपकी सरकार पूरी तरह असहाय है।
मान्यवर, आपने राष्ट्रदूत की काली करतूत के बारे में विस्तार से आम जनता को बताया । सवाल यह उत्पन्न होता है कि इस तरह का फर्जीवाड़े की जांच करवाएगा कौन ? मुख्यमंत्री होने के नाते इस तरह का फर्जीवाड़ा रोकने के प्रति आपकी कोई जिम्मेदारी नही है ? क्या डीपीआर पूर्णतया नकारा है ? आप विवश हो या सदाशयी ? राष्ट्रदूत जैसे अखबारों की पोलपट्टी खोलकर आपने मुकम्मल तौर पर यह जाहिर कर दिया कि भ्रस्टाचार रोकने में या तो आपकी दिलचस्पी नही है या फिर अखबार माफिया के समक्ष आप नतमस्तक है।
आपके शासन में और आपकी जानकारी में इतना बड़ा घोटाला हो रहा है । मुख्यमंत्री होने के नाते इसकी रोकथाम की समस्त जिम्मेदारी केवल आपकी है । आप इस जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह असफल साबित हुए है । ऐसे में क्या नैतिक रूप से आपको मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का अधिकार है, इस पर आपको ईमानदारी और अंतर्मन से विचार करना होगा।
माना कि आप राजनीति के चाणक्य और कुशल प्रशासक है । लेकिन इस समय प्रदेश का समूचा शासन बुरी तरह चरमरा रहा है । भ्रस्टाचार चरम पर है जिस पर कोई प्रभावी रोकथाम नही है । जहां तक अखबारों की हकीकत का सवाल है, 90 फीसदी अखबारों का फर्जी सर्कुलेशन है । फर्जी सर्कुलेशन के आधार पर हर साल सरकारी खजाने पर सैकड़ो करोड़ का डाका डाला जा रहा है । फिर भी आप खामोश क्यो, जनता को इस सवाल का जवाब मिलना ही चाहिए।
इन फर्जी अखबारों को आपका संरक्षण हासिल है । । इसलिये जन सम्पर्क विभाग भी भ्रस्टाचार की गंगा में बेखौफ होकर गोते लगा रहा है । कोई उत्साही अफसर इस तरह के फर्जीवाड़े की जांच करने का दुस्साहस करता है तो सीएमओ से उसको फटकार मिलती है । इससे जाहिर होता है कि फर्जी अखबारों को संरक्षण केवल डीपीआर ही नही, सीएमओ भी दे रहा है । तभी तो फर्जी घोटालेबाज अखबार और टीवी चैनल दिन प्रतिदिन फल फूल रहे है।
आजकल एक ही अखबार द्वारा बहु संस्करण निकालने का फैशन चल पड़ा है । जब सरकार खुद लुटने के लिए बैठी है तो अखबार वाले लूट में पीछे क्यों रहेंगे ? एक ही जगह पीडीएफ कॉपी तैयार कर कई फर्जी संस्करणों के जरिये डीपीआर से हर माह करोड़ो रूपये के विज्ञापन हथियाए जा रहे है । वह भी डीपीआर अधिकारियों की मिलीभगत से । अगर डीपीआर की विज्ञापन शाखा से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की जांच कराई जाए तो सारी असलियत सामने आ जाएगी।
चूंकि अखबारों के फर्जीवाड़े से आप पूर्ण रूप से वाकिफ है । मुख्यमंत्री होने के नाते सरकारी धन की लूटपाट रोकना आपका बुनियादी दायित्व है । इसलिए आपको चाहिए कि अखबार और टीवी चैनलों के फर्जीवाड़े की जांच के लिए राजस्थान हाईकोर्ट के किसी न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच करानी चाहिए।
उम्मीद है कि आप एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री का दायित्य का निर्वहन करते हुए जांच आयोग गठित करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्री को भी पत्र लिखेंगे जिससे भ्रस्टाचार पर मुकम्मल अंकुश लग सके । केवल भाषण देने से भ्रस्टाचार का उन्मूलन नही होता है । इसके लिए ईमानदार नीयत भी होनी चाहिए । मैं उम्मीद करता हूँ कि आप ईमानदार नीयत का परिचय देते हुए अखबार माफिया पर अंकुश लगाएंगे । मेरा सुझाव है कि निम्न बिंदुओं के आधार पर अखबारों की जांच कराई जाए जिससे फर्जीवाड़े पर मुकम्मल रोक लग सके।
आज केवल इतना ही । आगे भी भ्रस्टाचार और सरकार की व्यर्थ की नीतियों का एक जिम्मेदार नागरिक और पत्रकार होने के नाते समय समय पर खुलासा करता रहूंगा।
जांच कराने योग्य महत्वपूर्ण बिंदु –
- अखबारों के पास स्वयं की प्रिंटिंग प्रेस है या ये दूसरी प्रेस में अपना अखबार प्रकाशित करवाते है । खुद की प्रेस है तो वह कब खरीदी गई तथा उसकी प्रकाशन क्षमता क्या है ? प्रति माह कितनी राशि का प्रिंटिंग पेपर ख़रीदा जाता है । उसका बिल मय जीएसटी के ।
- प्रति माह कितनी स्याही व्यय होती है, उसका सम्पूर्ण विवरण और क्रय बिल मय जीएसटी के ।
- प्रति माह हर संस्करण पर प्रिंटिंग प्रेस चलाने के लिए कितनी बिजली का व्यय होता है । बिजली बिल का भुगतान पूर्ण विवरण के साथ ।
- कितने तकनीकी कर्मचारी नियुक्त है, उनकी नियुक्ति तथा प्रति माह भुगतान का विवरण ।
- कितने संपादकीय कर्मचारी नियुक्त है तथा उनको प्रति माह भुगतान का विवरण । संपादकीय कर्मचारियों को मजिठिया और मनसिना आयोग के अनुसार वेतन तथा भत्ते देय है । पड़ताल करें कि कर्मचारियों को आयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन और भत्ते दिए जा रहे है या नही ।
- अखबारों का कार्यालय निजी है या किराये का । निजी है तो मिल्कियत के दस्तावेज । यदि किराये का है तो किरायानामा ।
- प्रकाशित अखबारों के लिए नियुक्त एजेंट का नाम तथा देय कमीशन का विवरण ।
- अखबार वितरण के लिए नियुक्त टैक्सी या वाहनों का विवरण ।
- यदि अखबार अन्य प्रिंटिंग प्रेस में प्रकाशित हो रहे है तो उनका सम्पूर्ण ब्यौरा मय प्रकाशन क्षमता के । साथ ही प्रिंटिंग प्रेस को दिए जाने वाले भुगतान का विवरण ।
- राज्य सरकर द्वारा कब हुआ जमीन का आवंटन और वर्तमान में आवंटित भूमि का उपयोग ।
- जो समाचार पत्र वेतन आयोग के अनुसार तनख्वाह और भत्तों का भुगतान नही कर रहे है, उनके विज्ञापन पर प्रतिबंध ।
भवदीय
महेश झालानी
पत्रकार
raghav singh
November 2, 2021 at 3:10 pm
This not happening first time in Rajasthan I want to tell here one more thing that Rajasthan Patrika purchased land in Jhalana Jaipur under journalsim category very less cost and Gulab Kothari build multicomplex building given on rent what is this ? on what basis he rented that complex is also the matter of enquiry but has courage in Mr.Gahlot to take action against Gulab Kothari in fact it will not possible because Mr. Gahlot very well knows that he and his govt. full open correction for example Nowadays un world class city scheme government minister has earning money from last many years but development is still going because if the work will complete then source of income will stop that why they comes 2-3 time at work place showing that they are very committed for the development of city but purpose is other is very clear.