Harsh Kumar : बुरा वक्त बताकर नहीं आता। आज मथुरा के चुनाव के बारे में जानने के लिए वहां दैनिक जागरण के पत्रकार महेश चौधरी को फोन मिलाया तो फोन एक बच्ची ने उठाया और बताया कि महेश (38) तो 7 अप्रैल को दुनिया से ही चला गया। मथुरा में ही घर पर महेश को दिल का दौरा पड़ा और कल गांव में उसकी 13वीं है।
फोन पर महेश के छोटे भाई सौरभ सिंह ने सारी बात बताई। महेश मथुरा का ही रहने वाला था। रिफाइनरी के पास धाना तेजा नामक गांव एनएच2 पर स्थित है। एक बेटी व दो छोटे बेटे हैं। महेश से मेरी मुलाकात तब हुई थी जब हम जनवाणी लांच कर रहे थे और महेश जागरण मुजफ्फरनगर में था। मेरा कोई परिचय नहीं था। महेश मुझ से मिलने आफिस आया, बोला मुजफ्फरनगर में आपके बारे में बहुत सुना है इसलिए मिलने आया हूं।
उन दिनों सब सतर्क रहते थे क्योंकि जो भी हमारे दफ्तर आता था उसकी खबर हाईकमान तक चली जाती थी। पर महेश एकदम बिंदास था। कोई परवाह नहीं करता था। अक्सर आता रहा। फिर तबादला करा लिया और मथुरा चला गया। मैं दिल्ली आ गया। फोन पर लगातार टच में रहा। बुलाता था कि भाई साहब बच्चों के साथ वृंदावन आ जाओ घूमने। दो साल के लिए महेश को आगरा भेज दिया गया जागरण में ही। डेली आगरा का अप डाउन किया तो शायद शरीर का संतुलन बिगड़ने लगा।
जनवरी में फिर मथुरा लौट आया था। 7 तारीख को अनहोनी हुई और महेश चला गया। कुछ कहते नहीं बन रहा है।
पत्रकारिता में व्यस्त साथियों से बस इतना ही कहना चाहूंगा कि दोस्तों रात की नौकरी में अपनी सेहत का ख्याल रखें। खानपान पर नियंत्रण करें और कुछ योगा भी जरूर करें। बाकी तो सब ईश्वर के हाथ में है। हम लाचार हैं कुछ नहीं कर सकते, महेश के परिवार को अपनी लड़ाई खुद ही लडनी है। ॐ शांति।
दिल्ली में पत्रकारिता कर रहे वेस्ट यूपी निवासी वरिष्ठ पत्रकार हर्ष कुमार की एफबी वॉल से.