डॉ पूजा राय-
2016 में ट्रांसफर होकर हापुड़ आई थी। नई जगह, नया स्कूल, नए चेहरे। रहना नोएडा होता था और हापुड़ 80 किलोमीटर दूर था। शुरुआत में बस से जाती थी। हम महिला टीचरों का एक अलग ढंग होता है, दूर से देखकर पहचान जाते हैं कि सामने वाली भी अपनी ही बिरादरी की है।
कुछ दिनों बाद ही एक चेहरा पहचाना सा हो गया। और मेरी सोच सही निकली। वो भी मेरी ही तरह टीचर ही निकलीं, नाम था- सोनिया त्यागी।
सोनिया मैम ठीक मेरे बाद वाले स्टॉप से बस लेती थी, फिर हम करीब एक घंटे साथ सफर करते थे। बातें होने लगी और हम दोस्त बन गए। कुछ और शिक्षकों से पहचान हुई तो हमने महीने पर एक कैब कर लिया। और इस तरह हमारा एक ग्रुप बन गया। मैं, सोनिया मैम, वंदना और नमिता का, जिसमें बाद में प्राची और प्रियंका भी शामिल हो गईं थी।
मार्च 2018 में होली के बाद शुरू हुए इस कैब का चालक था तारा चंद। गाड़ी थी मारुति वैन। गाड़ी पर सोनिया मैम नोएडा सेक्टर- 71 पर बैठती थीं। उनके पहले वंदना, और बाद में मैं, प्राची और प्रियंका। बीते चार सालों से हमारा रोज का यही था। हम सभी तकरीबन 80 किलोमीटर का सफर रोज 2 घंटे में किया करते। हम नोएडा से हापुड़ के तमाम फ्लाईओवर बनने के गवाह रहें। अलग-अलग जगहों पर बैठते, अपने-अपने स्कूल के पास उतर जाते।
आपको पता है… औरतें जितना दर्द, जितनी खुशी अपनी साथी महिला कर्मियों के साथ बांटती हैं , उतना घर वालों से भी नहीं बांटती। हमारा रिश्ता भी ऐसा ही था। हम जिस गाड़ी से जाते, कहने को वो कैब था, लेकिन वो हमारा एक प्यारा सा, छोटा सा घर था, एक परिवार था, एक अनोखी दुनिया थी, जिसके हम छह लोग सदस्य थे। हमने इन चार सालों में खुशी, गम, तकलीफें, परेशानियां सब कुछ साझा किया। कोई टूटा तो दूसरों ने हिम्मत बंधाई, कोई परेशान हुए तो किसी ने गुदगुदाया। वो तमाम बातें जो हम घर पर भी नहीं कह पाते। हमारा याराना, हमारा बहनापा अलग ही था। सोनिया मैम अनोखी थीं। हंसती-मुस्कुराती, सबका मन लगातीं।
23 मार्च को हमारा घर टूट गया। हमारा प्यारा परिवार बिखर गया। किसी को अंदाजा नहीं था कि आज कयामत आने वाली है। हर दिन की तरह कैब पर पहले वंदना बैठी, फिर सोनिया त्यागी और प्राची, फिर मैं और फिर प्रियंका, नमिता इन दिनों छुट्टी पर है, तो वो नहीं जा रही थी। वही रोज वाली सड़क। सब मशगूल। हम हापुड़ बायपास पर पहुंचे, तभी हमारी गाड़ी ट्रक में जा घुसी। क्या हुआ, कैसे हुआ, किसी को पता नहीं। मैं और सोनिया मैम अचेत थे। वंदना, प्राची और प्रियंका ने हमें निकाला। सभी को काफी चोट आई। आलम यह था कि जो दिखने को होश में था, वो भी बेसुध था।
ड्राइवर ताराचंद भी घायल था। भयंकर चोट के बावजूद हम बच गए, लेकिन इस हादसे ने सोनिया मैम को हमसे हमेशा के लिए छीन लिया। करीब 13 साल की बेटी, 10 साल के बेटे और पति सहित हम सबको वो हमेशा के लिए छोड़ गईं हैं। सोनिया मैम की जगह हम में से कोई दूसरा भी हो सकता था, या शायद उनके साथ हम भी हो सकते थे। संयोग देखिये, सोनिया मैम को उस दिन छुट्टी पर रहना था। हमने देखकर टोका भी था। लेकिन जैसे हम सब की बालाएं उन्होंने अपने सर ले ली।
कल मेरे बुरी तरह टूटे हाथ का ऑपरेशन है, बाकी सबको भी बहुत चोट आई है। इसके बावजूद आज हम सब हैं, पर सोनिया मैम नहीं हैं। काश, जैसे हम सब बच गए, आप भी रुक गई होतीं। भले हमें थोड़ी ज्यादा चोट लग जाती। अभी ही तो हमने कैब में जमकर होली खेली थी। और ये भी गजब हुआ, 2018 की जिस होली के बाद हमने साथ जाना शुरू किया, 2022 की होली के बाद ये सफर थम सा गया है।
आपके जाने से मैंने अपनी सबसे पहली दोस्त को खो दिया। अलविदा सोनिया मैम। आपकी देह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आप हम सब में बची रह गईं हैं। आप बहुत याद आओगी।
देश रत्न श्रीवास्तव
March 26, 2022 at 7:18 pm
बहुत ही दुखद रहा ये मैम. लेकिन वैन से प्रतिदिन 80 किमी का सफर खतरनाक होता है. आप सभी लोग मिल कर एक बड़ी गाड़ी कर लीजिएगा, आगे से. स्कार्पियो, इनोवा या बोलेरो
लंबे सफर के लिए वही सुरक्षित होता है. मेरा नंबर 9451018561 है. किसी भी समस्या के लिए कॉल करें. उन्नाव में शिक्षक हूँ. सम्पर्क में जरूर बने रहें. ईश्वर आप सभी बहनों को स्वास्थ्य लाभ शीघ्र अति शीघ्र प्रदान करे एवं सोनिया मैम की आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिवार को ये अपार दुख सहने की शक्ति प्रदान करें ओम शांति