मित्रों,
समाजहित में और व्यक्तिगत संवैधानिक व मौलिक अधिकारों के लिए लड़ाई में मैं आप लोगों के समर्थन व स्नेह के कारण कभी पीछे नहीं हटा। मैंने एक बड़ी लड़ाई का खुलकर आगाज किया है, जो न केवल मेरे लिये, बल्कि समूची पत्रकारिता की व्यवस्था में पत्रकारों के हित के लिए है और स्वस्थ पत्रकारिता की स्थापना के लिए भी बेहद जरूरी है। मैंने हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड के खिलाफ उप श्रमायुक्त गोरखपुर के यहां शिकायत कर दी है।
मैंने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए लिमिटेड के तहत प्रकाशित हो रहे हिन्दुस्तान अखबार का प्रबन्धन मुझे मजीठिया आयोग की सिफारिशों के अनुसार अंतरिम राहत और एरियर का भुगतान करे। ऐसे दौर में जबकि देश व राज्य की सत्ता, प्रशासन और पुलिस कार्पोरेट अखबारों के साथ खड़े हैं, मेरी शिकायत के बाद संभव है कि अखबार प्रबन्धन इन शक्तियों का दुरूपयोग करे।
हिन्दी फिल्म ‘सरकार’ का एक डायलाग याद आ रहा है। अमिताभ बच्चन इस डायलाग में कहते हैं कि, ‘‘अपनी शर्तों पर जीने वालों को उसकी कीमत चुकानी पड़ती है।’’ मैं यह कीमत चुकाने के लिए तैयार हूं। यह पोस्ट सिर्फ इसलिये साझा कर रहा हूं ताकि मन का बोझ हल्का हो जाए। उस सच से वे सभी फेसबुक मित्र वाकिफ हो सकें जिसका सामना बड़ी लड़ाईयों में करना पड़ता है। और मेरे खाते में तो एक-दो नहीं बल्कि कई ऐसी लड़ाईया हैं जिनके बारे में संक्षेप में बताना चाहूंगा।
एचएमवीएल जैसी बड़ी कंपनी के खिलाफ खुला मोर्चा, सिटी माल प्रबन्धन के खिलाफ नामजद मुकदमा, 15 लाख के ग्रीनकार्ड का घोटाला करने वालों के खिलाफ चल रही लड़ाई, पुलिस व पुलिस अफसरों की कार्यशैली के खुले विरोध और अपने क्षेत्र के कुछ आपराधिक गिरोहों व प्रभावशाली लोगों के खिलाफ खुलकर खड़े होने की फितरत के कारण निशाने पर हूं। इनमें वे प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं जिनके एक इशारे पर पुलिस और प्रशासन कुछ भी करने के लिए तत्पर रहता है।
ऐसे अपराधी भी मेरे खिलाफ हैं जिन पर 302 जैसे गंभीर मामले और आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे मामले दर्ज हैं और वे समाज में खुलेआम घूमते हुए मेरे पीठ पीछे जान से मारने की धमकियां देते रहते हैं। हाल ही में जेल से छूटकर आए मेरे एक पत्रकारसाथी ने बताया कि जेल में एक बड़े गैंग से जुड़े मेरे ही क्षेत्र के लोग मुझे निपटाने की तैयारी में हैं। हांलाकि इससे रंज मात्र भी मेरे भीतर डर का संचार नहीं हुआ है।
एक तरफ हाईप्रोफाइल दुश्मन व घोटालेबाज और दूसरी तरफ शातिर अपराधी। इन हालात में भी मैं अपनी लड़ाई के प्रति अडिग हूं। मुझे इस बात की प्रबल आशंका है कि एचएमवीएल, सिटी माल और ग्रीनकार्ड घोटाले के आरोपी मिलकर या अकेले अपने-अपने बल पर मुझे आपराधिक साजिश का शिकार बनाने की कोशिश करें। यानी फर्जी मुकदमों में फंसाने का प्रयास। यह भी बता दें कि उपरोक्त तीनों मामलों से जुड़े लोग सत्ता में बैठे हैं या फिर सत्ता उनकी गोद में बैठी है।
एचएमवीएल और अपराधियों के उल्लिखित गिरोह से जान का भी खतरा महसूस कर रहा हूं। ऐसे में यह खुला ऐलान कर रहा हूं कि अगर मुझे फर्जी केस में फंसाया जाए, किसी अन्य प्रकार का उत्पीड़न हो, दुर्घटना के माध्यम से मुझे मारा जाए या फिर मेरी हत्या की जाए तो उसके लिए इन कंपनियों व मेरे क्षेत्र में सक्रिय आपराधिक गिरोहों को ही जिम्मेदार समझा जाए। काफी दिनों से यह मन की बात आपसे से शेयर करने की इच्छा थी, लिहाजा कर दिया। आपकी दुआएं यूं ही बनी रहें और मैं अपने फौलादी इरादों के साथ लड़ाई जारी रखूं, बस यही कामना है।
आपका साथी
वेद प्रकाश पाठक
स्वतंत्र पत्रकार, चिंतक, लेखक, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता
आवास-ग्राम रिठिया, टोला-पटखौली, पोस्ट व थाना-पिपराईच,
जिला-गोरखपुर, राज्य-उत्तर प्रदेश, पिन कोड-273152
मो-8004606554, 8953002955
E-mail- [email protected] , [email protected]
ss
September 26, 2016 at 5:51 pm
Dear Ved ji, Kya aapko lagta hai ki DLC se aapko koi Nyay milega…? Nahi… kyonki har shahar ka D.L.C. aaj Malikon ke Haathon Bik chuka hai, Kuchh ek Inspectors ko chhod den to ye saarey bhi bik chukey hain… Lekin, ek aas hai, jisse hum sabon ko chhodni nahin chahiye, aur wah hai “Atmvishwas” ka aas. Himmat-e-Mardaan, Madad-e-khuda… Himmat nahin harni chahiye humsabon ko….
Sab bik jayenge, lekin abhi SC aur uskey Ranjan Gogoi sab jaise Judge abhi Zinda hain, jin par poori nishtha se vishwas karen humlog….
Thanx