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मजीठिया वेज बोर्ड मामले में ‘नवदुनिया’ के सभी कर्मचारी लामबंद, 110 ने लगाई सुप्रीम कोर्ट में याचिका

भोपाल : मजीठिया वेतनमान को लेने के लिए देशभर के मीडियाकर्मियों ने संख्या में एकजुट कोकर सुप्रीमकोर्ट में अवमानना के खिलाफ याचिकाएं लगा रखीं हैं। पिछले एक साल से सुप्रीमकोर्ट द्वारा मजीठिया वेतनमान को लागू करने के सुनाए गए फैसले की प्रिंट मीडिया मालिक लगातार अवहेलना कर रहे हैं। भारतवर्ष में मीडिया को चौथे स्तंभ का दर्जा प्राप्त है, लेकिन इससे अधिक दुर्भाग्य की बात क्या होगी कि समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों की आवाज को उठाने वाले इन मीडियाकर्मियों को अपना ही हक लेने के लिए अपने ही मालिकों से लगातार लड़ाई लड़नी पड़ रही है। मामले पर एक वर्ष से लगातार चली सुनवाई के बाद अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सभी मालिकों को अपना पक्ष रखने के लिए अंतिम और आखिरी तारीख 28 अप्रैल 2015 सुनिश्चित की है। 

भोपाल : मजीठिया वेतनमान को लेने के लिए देशभर के मीडियाकर्मियों ने संख्या में एकजुट कोकर सुप्रीमकोर्ट में अवमानना के खिलाफ याचिकाएं लगा रखीं हैं। पिछले एक साल से सुप्रीमकोर्ट द्वारा मजीठिया वेतनमान को लागू करने के सुनाए गए फैसले की प्रिंट मीडिया मालिक लगातार अवहेलना कर रहे हैं। भारतवर्ष में मीडिया को चौथे स्तंभ का दर्जा प्राप्त है, लेकिन इससे अधिक दुर्भाग्य की बात क्या होगी कि समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों की आवाज को उठाने वाले इन मीडियाकर्मियों को अपना ही हक लेने के लिए अपने ही मालिकों से लगातार लड़ाई लड़नी पड़ रही है। मामले पर एक वर्ष से लगातार चली सुनवाई के बाद अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सभी मालिकों को अपना पक्ष रखने के लिए अंतिम और आखिरी तारीख 28 अप्रैल 2015 सुनिश्चित की है। 

इसी क्रम में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से प्रकाशित ‘जागरण प्रकाशन लि. का समाचार पत्र नवदुनिया’ के कर्मचारियों ने अपने प्रबंधन के खिलाफ एकजुट होकर माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपना हक पाने के लिए याचिका लगा रखी है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कर्मचारियों की संख्या करीब 110 है, जो शायद देश में इस तरह का अपने आप में पहला मामला है जहां पर किसी संस्थान के कर्मचारी एक साथ अपने अधिकारों के लिए प्रबंधन के खिलाफ लामबंद हुए हैं। इस मुहिम में सभी विभागों के कर्मचारी (संपादकीय से लेकर मशीन विभाग तक में कार्यरत) एकजुट हैं। इस में सबसे खास बात यह है कि मजीठिया लेने के लिए यहां के कर्मचारी स्वेच्छा से स्वतः ही जुड़ते चले गए हैं। उन पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं डाला गया। 

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उनका कहना है कि यदि हम सभी कर्मचारी अपने अधिकारों के लिए एक साथ एक मंच पर आएं हैं तो इसका सारा श्रेय पत्रकारों के हक के लिए लड़ाई लड़ने वाले सर्वोच्च न्यायालय के एडवोकेट तथा आईएफडब्लूजे के महासचिव परमानंद पांडेजी, भाडास4मीडिया.काॅम के संपादक यशवंत सिंह, जनसत्ता एक्सप्रेस तथा मजीठिया मंच आदि जैसी सोशल साइट्स को देते हैं जिन्होंने लगातार मजीठिया के संबंध में जागरूक लेख तथा उनसे संबंधित जानकारियां समय-समय पर पत्रकारों को उपलब्ध कराते रहे। 

नवदुनिया के सभी साथियों का कहना है कि उन्होंने इस मुहिम को आंदोलन का रूप देने के लिए हम सब एक अनुशासित सिपाही की भांति हैं। उन्होंने एक रणनीति के तहत इस आंदोलन को अंजाम दिया है और ‘सभी कर्मचारी इस मजीठिया आदोलन के सारथी हैं।’ उनको किसी तरह का कोई प्रलोभन नहीं दिया गया। जब पिछले साल मजीठिया वेतनमान लागू करने को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया था, तब सभी पत्रकारबंधुओं को लगा कि वास्तव में अच्छे दिन आ जाएंगे, लेकिन मालिकों ने माननीय न्यायालय के आदेश की अवहेलना की और सभी कर्मचारी चातक पक्षी के समान मुंह खोले ही रह गए और मिला कुछ भी नहीं। तब सबने मिलकर फैसला किया कि अब एक बार पुनः सुप्रीमकोर्ट की शरण में जाकर अपने अधिकारों के लिए गुहार करनी होगी।

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उनका कहना है कि मजीठिया को लेकर उनकी लड़ाईका उद्देश्य एकदम पवित्र और स्वच्छ है। साथ ही सभी अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं। उन्हें केवल और केवल माननीय सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय मान्य होगा और सभी कर्मचारी प्रबंधन से किसी भी प्रकार के समझौते के मूड में नहीं हैं। इसके अतिरिक्त वहां के सभी साथियों ने देश के सभी प्रिंट मीडिया के कर्मचारियों से अपील करते हुए कहा है कि अन्य संस्थानों के साथी भी अपने अधिकारों को लेकर लामबंद हों ताकि सभी को वास्तव में मजीठिया वेतनमान का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।  

भोपाल के इन पत्रकारों के हौसले को देखकर बचपन में अकसर सुना जाने वाला विचार याद आता है कि एकता में ही शक्ति होती है।

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0 Comments

  1. media reportar

    March 17, 2015 at 9:13 am

    Kort me jaane vaalo Me ek bhee maam sahara vaalo ka nahee hai ..sabke sab heenjde ho gaye hai..

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