जो मीडियाकर्मी दुनिया में नही हैं उनके परिजन भी पा सकते हैं मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ… जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ पाने के लिए वे मीडियाकर्मी भी सामने आ सकते हैं जो वर्ष 2008 से 18 जुलाई 2017 के बीच सेवानिवृत हुए हैं। यही नहीं, अगर कंपनी ने आपको इस अवधि के दौरान नौकरी से निकाल दिया है तो ऐसे लोग भी लाखों रुपये पा सकते हैं।
आपको बता दें कि जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट का स्पष्ट आदेश आ चुका है। इस आदेश को संज्ञान में लेकर अखबार मालिकों को जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ उन प्रिंट मीडिया कर्मियों को देना ही पड़ेगा जो वर्ष 2008 से अब तक यानि जुलाई 2018 के बीच रिटायर हो चुके हैं। यही नहीं, अगर किसी मीडियाकर्मी का इस अवधि में निधन हो गया है और वे निधन से पूर्व इस अवधि में ड्यूटी पर थे तब भी उनके घर वाले मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार मृतक के आश्रित के रूप में या किसी अन्य को इस बाबत सुनवाई में उपस्थित रहने का अधिकार पत्र देकर लाखों रुपये का अपना बकाया ले सकते हैं।
ये बकाया चालीस लाख रुपये तक हो सकता है। सभी मीडियाकर्मियों से निवेदन है कि अगर आपका कोई परिचित मीडियाकर्मी इस समयावधि (2008 से 2017) के बीच रिटायर हुआ है, टर्मिनेट किया गया है या उसने त्यागपत्र दिया है तो ऐसे मीडियाकर्मी को ढूंढे तथा उनकी मदद करने के लिए आगे आएं। यही नहीं, अगर कोई प्रिंट मीडिया कर्मी चाहे वह किसी भी विभाग में काम करता हो, अगर उसकी मृत्यु हो चुकी है और वह 2008 से 2017 के बीच ड्यूटी पर था या इस दौरान रिटायर हुआ था तो उसके परिजनों को खोजकर उनसे मजीठिया वेज बोर्ड के तहत 17(1) का लेबर विभाग में क्लेम लगवाएं। अगर कहीं किसी को कोई दिक्कत आए तो आप मजीठिया क्रांतिकारी शशिकांत सिंह से 9322411335 पर संपर्क कर सकते हैं।
किशोर देवांगन
July 28, 2017 at 4:22 pm
मैं दैनिक भास्कर भिलाई में पिछले 10 सालों से कंप्यूटर आपरेटर के पद पर कार्यरत था। जिसे मार्च 2017 में होली के एक-दो दिन बाद संपादक ने डरा-धमका कर इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर इस्तीफा ले लिया। क्या मैं मजेठिया का हकदार हूं। कृपया बताएं
शैलेन्द्र मिश्रा
July 26, 2018 at 7:33 pm
जब डर से इस्तीफा दे दिया तो अपने हक के लिए कैसे लड़ोगे।
Hem Singh Thakur
August 2, 2018 at 2:37 pm
मैने अगस्त 2010 से अक्टूबर 2015 तक चंडीगढ़ में दैनिक हिंदुस्तान में वरिष्ठ संवाददाता के पद पर कार्य किया है। 2015 में हिंदुस्तान मीडिया वैंचर्स लिमिटेड ने मेरा कांट्रेक्ट रिन्यू नहीं किया जिससे मुझे घर बैठना पड़ा, तब से लेकर आज तक बेकार बैठा हूं। मैने पांच साल मात्र 17 हजार रुपए मासिक वेतन तक काम किया। क्या मैं भी मजीठिया की सिफारिशों के दायरे में आता हूं अगर हां तो मुझे क्या करना होगा। मार्गदर्शन करें।