साथियों, हिमाचल प्रदेश में मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने को लेकर मेरे द्वारा बनाया गया दबाव काम करता नजर आ रहा है। हालांकि श्रम विभाग हरकत में तो आया है, मगर अखबार प्रबंधन के दबाव के भय और सहयोग न करने की आदत के चलते श्रम निरीक्षकों को वांछित जानकारी नहीं मिल पा रही है। राहत वाली खबर यह है कि जो श्रम निरीक्षक कभी अखबारों के दफ्तरों की तरफ देखने से भी हिचकिचाते थे, वे आज वहां जाकर जानकारी मांगने को मजबूर हैं। जैसे की आपको ज्ञात है कि मैं मजीठिया वेज बोर्ड के खिलाफ मई २०१४ से लड़ाई लड़ रहा हूं। श्रम विभाग में शिकायतों व आरटीआई के तहत जानकारियां मांगने का दौर जारी है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में पिछले सात माह से मामला चल रहा है। हाल ही में माननीय सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ाई पहुंचा दी है।
यहां बाकी साथियों के लिए अहम जानकारी यह है कि हिमाचल प्रदेश का श्रम विभाग जो मजीठिया वेज बोर्ड और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को लागू करवाने में पहले तो सुस्त रफ्तार था, अब अपनी खाल बचाने को हरकत में दिख रहा है। करीब सात माह की सुस्त रफ्तारी के बाद मेरी शिकायत पर विभाग ने अखबार प्रबंधकों के खिलाफ छानबीन तेज कर दी गई है। इसका खुलासा आरटीआई से प्राप्त जानकारी से हुआ है। इसके अलावा इस बात का भी खुलासा हो रहा है कि किसी प्रकार अमर उजाला व दैनिक जागरण प्रबंधक श्रम विभाग को झूठी जानकारी परोस कर कानूनी कार्रवाई से बचने की कोशिश में लगे हुए हैं। वहीं पत्रकारिता की दलाली के लिए मशहूर पंजाब केसरी प्रबंधन तो गुंडागर्दी पर उतारू है। इसके अलावा दिव्य हिमाचल व हिमाचल दस्तक मजीठिया को आंशिक तौर पर लागू करने की बात करके माननीय सर्वोच्च न्यायालय का मजाक उड़ाते दिख रहे हैं। वहीं हमीरपुर जिला से प्रकाशित आपका फैसला, पहली खबर व दैनिक न्यायसेतू खुद को घाटे का अखबार बताकर मजीठिया देने से बच रहे हैं। इस मामले में श्रम निरीक्षकों की दयनीय हालत का भी पता चल रहा है।
पंजाब केसरी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी
साथ में संलग्र की जा रही आरटीआई की जानकारी में जिला कांगड़ा के तहत पालमपुर व धर्मशाला के श्रम निरीक्षकों से मिली जानकारी शामिल है। पालमपुर में तैनात महिला श्रम निरीक्षक ने बताया कि जब वह मजीठिया वेज बोर्ड से जुड़ा रिकार्ड देखने पंजाब केसरी की परौर स्थित युनिट में गईं तो उनके साथ सहयोग नहीं किया गया और कहा गया कि रिकार्ड अखबार के मालिक विजय चौपड़ा के पास जालंधर में है। जब उन्होंने जालंधर में संपर्क किया तो उनसे सही ढंग से बात तक न की गई। अब उन्होंने पंजाब केसरी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। कार्रवाई के बारे में श्रम निरीक्षक से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि वह जल्द निदेशालय को रिपोर्ट भेजने जा रही हैं।
उजाला, जागरण, दिव्य हिमाचल व दस्तक ने टरकाया
जिला कांगड़ा के तहत आने वाली अखबारों की युनिटों के प्रबंधकों ने श्रम निरीक्षक को झूठी जानकारी देकर टरका दिया है। यह बात आरटीआई से मिली जानकारी से पता चल रही है। उजाला व जागरण की ओर से लिखा गया है कि ये दोनों अखबार मजीठिया वेज बोर्ड दे रहे हैं। जबकि इन दोनों के खिलाफ कोर्ट में कार्रवाई चल रही है। वहां ये दोनों अखबार जवाब नहीं दे पा रहे और श्रम निरीक्षकों को झूठी जानकारी परोस रहे हैं। इस जानकारी को इनके खिलाफ कोर्ट में आधार बनाया जा सकता है। वहीं प्रदेश का तीसरे नंबर का कमाई करने वाला अखबार दिव्य हिमाचल भी गुमराह कर रहा है। इसके संबंध में कहा गया है कि यह अखबार आंशिक तौर पर मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतन दे रहा है, जबकि सच्चाई सब जानते हैं। यही हाल हिमाचल दस्तक का है।
बिलासपुर के श्रम अधिकारी का जवाब हास्यास्पद
हमीरपुर श्रम अधिकारी का चार्ज देख रहे बिलासपुर के श्रम अधिकारी से आरटीआई के जवाब में हंसाने वाले जानकारी मिली है। इसमें लिखा गया है कि यहां के अखबार घाटे में हैं। इस कारण वे वेजबोर्ड नहीं दे रहे। इसके अलावा उन्होंने इन युनिटों पर खुद कार्रवाई करने के बजाय पत्रकारों को कोर्ट में जाने की भी सलाह दे डाली है।
श्रम विभाग के अधिकारियों को नहीं पूरी जानकारी
मजीठिया के इस लड़ाई में एक बात और पता चली है कि केंद्र सरकार ने मजीठिया वेज बोर्ड को देश भर में लागू करवाने के लिए प्रदेशों के श्रम विभाग से तालमेल बिठाने व वहां श्रम अधिकारियों व श्रम निरीक्षकों को इसके बारे में प्रशिक्षित करने तक की जहमत नहीं उठाई है। मसलन श्रम अधिकारी व निरीक्षक यह तक नहीं जानते कि वेज बोर्ड के तहत अखबारों की आय और कर्मचारियों के वेतन का निर्धारण कैसे किया जाए। उन्हें बेसिक से लेकर डीए तक कैल्कुलेट करने का पता नहीं है। ऐसे में जब श्रम निरीक्षक अखबारों के द तरों में जा रहे हैं, तो उन्हें झूठी जानकारी देकर भेज दिया जाता है कि वे तो वेज बोर्ड के तहत वेतन दे रहे हैं। वहीं श्रम निरीक्षक भी अपना बोझ कम करने के लिए इसी झूठी जानकारी को आला अधिकारियों को भेज कर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की अवमानना कर रहे हैं।
भवदीय
रविंद्र अग्रवाल
वार्ड-८, कालेज रोड कांगड़ा
जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश-१७६००१
aam patrakaar
February 12, 2015 at 11:48 am
Salute hai aapko
purushottam asnora
February 12, 2015 at 2:42 pm
jo akhabar suprim court ko dhata bata rahe hain we ptrakarou ka kitna shoshan karte houge samjha ja sakta hai. ye media kahlane k kabil ugha hain blki media k nam par klank hain.
Praveen
February 12, 2015 at 5:32 pm
Amar Ujala management openly says that case of Ravindra Agarwal is manged. Now no case exist. What is the reality…
ravinder
February 13, 2015 at 6:05 am
Reality will be revealed after 25th Feb. Also you should go through HP High court Web site and watch CWP no 5975 of 2014. So don’t Worry about me.