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मजीठिया मामले पर अखबार मालिकों ने हरकत से बाज न आने की ठानी, नोटिस लेने से इंकार

दिल्‍ली सरकार द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करने के प्रयास को अखबार मालिक असफल करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। पहले ही दिन टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आइएनएस के हवाले से इस निर्णय पर ही सवाल खड़ा कर दिया।

दिल्‍ली सरकार द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करने के प्रयास को अखबार मालिक असफल करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। पहले ही दिन टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आइएनएस के हवाले से इस निर्णय पर ही सवाल खड़ा कर दिया।

आईएनएस और अचाबार के प्रबंधकों को पता नहीं है कि मजीठिया वेज बोर्ड को लागू कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट का है। केंद्र सरकार और राज्‍य सरकार तो बस क्रियान्‍वयन एजेंसियां हैं। यही बात घूमा- फिरा के दैनिक जागरण के वकील और पूर्व केंद्रीय कानून तथा मानव विकास संसाधन मंत्री कपिल सिब्‍बल सुप्रीम कोर्ट को भी बता रहे हैं लेकिन मालिकों को ये बात समझ में नहीं आ रही है। 

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दिल्‍ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और मजीठिया वेज बोर्ड इम्पिलिमेंटेशन संघर्ष समिति की मांग पर दिल्‍ली के सभी अखबारों से मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की रिपोर्ट तलब की है। इससे बचने के लिए इंडियन एक्‍सप्रेस ने दिल्‍ली सरकार का यह नोटिस लेने से यह कह कर मना कर दिया कि उनका कार्यालय अब दिल्‍ली में नहीं है। 

क्‍या तर्क है, जनसत्‍ता के नाम पर ली गई जमीन और कार्यालय वहीं बहादुरशाह मार्ग पर मौजूद है लेकिन कर्मचारी कहीं और चले गए। दिल्‍ली सरकार भी हार मानने वाली नहीं थी। नोटिस तामिल कराने गए अधिकारी ने ऊपर से आदेश ले सरकार का नोटिस इंडियन एक्‍सप्रेस के भवन की दीवार पर ही चस्‍पा कर दिया।   

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मजीठिया मंच एफबी वॉल से

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0 Comments

  1. KASHINATH MATALE

    May 21, 2015 at 10:27 am

    Aisa Notice Sabhi State Govt (Maharashtra Govt) ki orse bhi liklana chahiye !

  2. raghu

    July 31, 2015 at 5:43 am

    कल राजस्थान पत्रिका के सम्पादकीय मैं मुख्य हैडिंग था देर है अंधेर नहीं बिलकुल सही लिखा है ग़दर गुलाब कोठारी इस धरती पर देर हैं मगर अँधेर नहीं है दुनिया को ज्ञान बाटते हो मगर ये बात तुम पर भी लागू होती है बूढ़े तुमने भी तो अति मचा रखी है अपने कर्मचारियों के साथ जो अन्यं कर रहे हो उस का भी तो एक दिन अंत होगा मानस के रचनाकार मैे ही राधा मै ही कृष्ण अवं ज्ञान मूर्ति पुरुष्कार को खरीद कर अपने आप को महिमा मंडित करने वाले भृष्ट पत्रकार अब तुम्हारा भी तो अंत होता चाहिए तुमने अपने कर्मचारियों को चार सेल वेतन बृद्धि अवं महगाई भत्ता नहीं दिया है साथ हे साथ उनके साथ बी बदले के भवन के साथ आप बुरा व्य्हार कर रहे हो आखिरकार तुम्हारी इस भृष्ट सत्ता का अंत अब ही नजदीक है
    बूढे अभी बे समय हैं सुधर जहॉ बरना मेमन की तरह तुम्हे जीते जी हे मर जाओगे
    इति गुलाब कथा पार्ट दो

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